नशे की लत में डूबे युवा, आतंकवाद की राह छोड़ अपनाया ड्रग्स का धंधा

श्रीनगर। देश में 5 अगस्त, 2019 को हमारे संविधान में एक बड़ा फैसला लिया गया था । जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। सरकार का मानना है कि यह आतंकवाद को रोकने का एक प्रयास है। इसका परिणाम भी देखने को मिला है, पिछले 3 सालों में घाटी में आतंकवाद की मूवमेंट और पथराव की घटनाएं कम हुई हैं। युवा इस दलदल से निकल कर नई सोच की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि, कुछ युवा अब नशे की राह पर चल पड़े हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए एक-तिहाई आरोपी ड्रग्स के मामले से जुड़े हैं।

आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की जेलों में बंद 4,532 विचाराधीन कैदियों में से लगभग 1,500 कैदी नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों में शामिल हैं। इनमें करीब 900 आरोपियों की उम्र 35 साल से कम है। ज्यादातर आरोपी दक्षिण कश्मीर के रहने वाले हैं।

ड्रग्स की लत लोगों के जीवन को कर देगा तबाह

दक्षिण कश्मीर के एक युवक से हुई बातचीत के दौरान उसने बताया कि शुरुआत में उसने पहले सिगरेट पीना शुरू किया, इस बीच कई दोस्तों को चरस का नशा भी करते देखा और बाद में खुद इसका नशा करने लगा। उसकी नशे की लत को बढ़ता देख परिवार उसे नशा मुक्ति केंद्र ले गया, जहां डॉक्टरों की मदद से वह ठीक हो पाया। अब युवक ने सभी से अपील की है कि ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि ड्रग्स की यह लत आपके साथ-साथ आपसे जुड़े लोगों के जीवन को भी तबाह कर सकती है।

हेरोइन की लत छुड़ाने में मदद

दक्षिण कश्मीर में रहने वाले मोहम्मद सुभान अपने इकलौते बेटे को हेरोइन की लत छुड़ाने में मदद कर रहे हैं। सुभान ने बताया कि उनके बेटे ने 10वीं क्लास में सिगरेट पीना शुरू किया। हायर सेकेंडरी में पहुंचते ही वह चरस लेने लगा और बाद में हेरोइन का सेवन करने लगा। उन्हें पता चला कि पहले बेटे को मुफ्त में ड्रग्स दी गईं, लेकिन समय के साथ उसने टीवी, बाइक जैसे घर के सामान को बेचना शुरू कर दिया। सुभान चाहते थे कि उनका बेटा वकील बने, लेकिन उनके सारे सपने खत्म हो गए।

दक्षिण कश्मीर में ड्रग्स आसानी से मिल जाती

पुलिस अधिकारी ने बताया कि दक्षिण कश्मीर में ड्रग्स आसानी से मिल जाती हैं। आतंकवाद में शामिल होने वाले ज्यादातर युवा भी दक्षिण कश्मीर से हैं। इसलिए पुलिस के लिए आतंकवाद और ड्रग्स दोनों ही बड़ी चुनौतियां हैं, क्योंकि इसने कई लोगों की जान ले ली है। ज्यादातर ड्रग्स पंजाब और सीमा पार से लाई जाती हैं।

साल 2020 में काफी लोग गिरफ्तार

आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में नशीली दवाओं से संबंधित 1,132 मामले दर्ज किए गए थे। नशीली दवाओं की तस्करी और इसमें शामिल लगभग 1,672 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। लगभग 35 ड्रग पैडलर्स को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। 2020 में 152.18 किलोग्राम हेरोइन, 563.61 किलोग्राम चरस/गांजा, 22,230.48 किलोग्राम अफीम/पोस्त/भांग, 3,39,603 कैप्सूल, 57,925 नशीली बोतलें और 265 नशीले इंजेक्शन जब्त किए गए थे।

इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ड्रग्स के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। अकेले श्रीनगर में साल 2022 के पहले दो महीनों में 78 FIR दर्ज की गईं। पुलिस का कहना है कि लोगों द्वारा नशीले पदार्थों की बिक्री से कमाए गए धन से खरीदी गई चल और अचल संपत्तियों की भी पहचान की गई है। इन्हें जल्द जब्त कर लिया जाएगा।

कश्मीर के एक मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. हिलाल अहमद ने बताया कि कश्मीर में युवा ड्रग्स की ओर बढ़ रहे हैं। इसका एक कारण बेरोजगारी भी है। कोविड के कारण कई युवाओं की नौकरी चली गई, जिससे परेशान होकर उन्होंने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए हैं, जहां नशा करने वाले इन युवाओं को भर्ती किया जा सकता है, ताकि वे ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकें।

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