गोरखपुर: मुख्यमंत्री के जिले में ही बाढ़ परियोजनाएं रह गई अधूरी

गोरखपुर। पिछले साल बाढ़ आई और चली गई, लेकिन बाढ़ से बचाव के लिए जो परियोजनाएं बनाई गई थीं वह आज भी अधूरी हैं। सवाल उठता है कि कार्य पूर्ण न होने के कारण यदि तटबंध टूटते तो उसका जिम्मेदार कौन होता।बाढ़ समाप्त होने के बाद हर साल सिंचाई विभाग की तरफ से विभिन्न नदियों के तटबंधों का सर्वे कर संवेदनशील स्थानों पर बाढ़ निरोधक कार्य कराने के लिए परियोजनाएं तैयार होती हैं। उसी के तहत पिछले साल सिंचाई विभाग की तरफ से जनपद में 30 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं थीं। उनका कार्य 30 जून तक हर हाल में पूरा कर लेना था लेकिन,

आज तक पूरा नहीं हो सका। ये परियोजनाएं हैं अधूरी बोक्टा बरवार तटबंध के किलो मीटर 3.100 से किलो मीटर 5.000 के मध्य नदी की तरफ मिर्जापुर स्टोन बोल्डर से स्लोप पिचिंग कार्य। यह कार्य 760.25 लाख का है। इसका अब तक 84 प्रतिशत कार्य हो पाया है।घाघरा नदी के बाएं तट पर ग्रामसभा बुढ़नपुरा, नरहपुर, खड़ेसरी की सुरक्षा कार्य की परियोजना 396.41 लाख की है। इसका कार्य अभी 89 प्रतिशत ही हो पाया है।राप्ती नदी के तट पर मझवलियां में बाढ़ से सुरक्षा के लिए परियोजना तैयार की गई थी।

इसकी लागत 407.68 लाख थी। इसका 87 प्रतिशत कार्य हो पाया है।रोहिन नदी पर मखनहा तटबंध पर ब्रिक सोलिंग, जीओ बैग और बोल्डर पिचिंग का कार्य कराया जाना था। यह परियोजना 1183.26 लाख की थी। इस पर 93 प्रतिशत कार्य हो पाया है।कुदरिया-मानीराम तटबंध पर तटबंध के सुदृढ़ीकरण की परियोजना तैयार करनी थी, लेकिन इस पर अब तक 98 प्रतिशत कार्य विभाग के कागजात में हो गया है।

अधीक्षण अभियंता सिंचाई विभाग दिनेश सिंह ने कहा कि विभाग और ठेकेदार के बीच जो अनुबंध होता है उसके अनुसार जितना धन मिलता है उतना कार्य कराना रहता है। लेकिन, वह लोग ठेकेदारों से सिफारिश कर अधिक से अधिक काम करा लेते हैं। जितना काम हुआ है उतना धन ठीकेदार को नहीं मिला है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें