
भगवान शिव को डमरू अत्यंत प्रिय है। इससे निकलने वाले नाद यानी कि ध्वनि को ब्रह्मनाद कहते हैं। इसकी ध्वनि समस्त ब्रह्मांड में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। भोलेनाथ जब प्रसन्न होते हैं तब भी और जब क्रोधित होते है तब भी डमरू बजाते हैं। धर्मशास्त्रों में मान्यता है कि जिस भी घर में डमरू होता है, वहां कभी भी नकारात्मक ऊर्जा का संचार नहीं होता है। उस स्थान और घर में हमेशा ही शिव कृपा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस अत्यंत शुभ डमरू क हस्तरेखा शास्त्र में भी इतना ही महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं जिनकी भी हथेली में यह शुभ चिह्न होता है, ऐसे लोग काफी भाग्यशाली होते हैं। साथ ही भोले की कृपा से उनके जीवन में कुछ और विशेष तरह की खुशियां और संपन्नता आती हैं। आप भी जानें कि हथेली में डमरू के चिह्न के होने का क्या अर्थ होता है और कहीं ये आपकी भी हथेली पर तो नहीं?
दि बृहस्पति पर्वत पर हो डमरू का निशान
हस्तरेखा शास्त्र में डमरू को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि यह निशान बहुत ही कम लोगों की हथेली में होता है। हालांकि जिनकी भी हथेली में यह निशान होता है उनपर भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है। इसके अलावा अगर यह बृहस्पति पर्वत पर हो तो इसका आशय यह होता है कि जातक उच्च पद पर आसीन होगा। या फिर वह प्रख्यात हस्तरेखा विशेषज्ञ या बतौर हीलर काम करेगा।
स्तरेखा में डमरू का यह भी होता है आशय
हस्तरेखा शास्त्र में बताया गया है कि हथेली में कहीं पर भी डमरू का निशान कई बात का संकेत होता है। इसके होने से जातक के जीवन में कभी भी रुपए-पैसे की कमी नहीं होती। इसके अलावा करियर में भी वह नित ऊंचाइयों को छूता है। मान्यता है कि जिनके भी हाथ में डमरू का निशान होता है वह काफी आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। कार्यों से इतर वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय मेडीटेशन और योग में बिताते हैं।
जातक को कभी नहीं होती ऐसी परेशानी
हस्तरेखा शास्त्र में डमरू के निशान को काफी पवित्र और शुभ माना गया है। इसके मुताबिक हथेली में किसी भी स्थान पर पाए जाने वाला यह चिह्न कई तरह के संकेत देता है। इनमें से यह भी एक है कि जातक को जिंदगी के हर क्षेत्र में बैलेंस करना काफी अच्छी तरह से आता है। जिनकी हथेली में यह निशान हो वह खराब से खराब हालात में भी भोलेनाथ की कृपा से विजय प्राप्त करते हैं। साथ ही इनके पास कभी भी पैसे की किसी तरह की कमी नहीं होती। इनका आंतरिक स्वास्थ्य यानी कि ये मानसिक रूप से काफी मजबूत होते हैं।
अगर डमरू के साथ बनते हों त्रिभुज
हस्तरेखा शास्त्र में बताया गया है कि अगर किसी जातक की हथेली पर बृहस्पति पर्वत पर डमरू के साथ त्रिभुज बना हो तो यह अत्यंत शुभ संकेत है। हालांकि यह बहुत ही रेयर होता है। लेकिन अगर हो तो समझ लें कि उसे कभी भी कोई भी परास्त नहीं कर सकता। वह जीवन के हर क्षेत्र में ऊंचाईयों पर होता है। वाकपटुता में उसका कोई जवाब नहीं होता। इन्हें हर तरह के लोगों और हर तरह की स्थितियों से निपटना बखूबी आता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इनकी मैनेजिंग स्किल काफी अच्छी होती है।














