इजराइल दौरे को लेकर टेंशन में जो बाइडेन, हमास ने तेल अवीव पर रॉकेट से किया हमला

तेल अवीव। इजराइल और हमास के बीच चल रहे जंग को लेकर 16 अक्टूबर, तेल अवीव में इजराइली संसद के शीत सत्र का पहला दिन था। इसे शुरू हुए चंद मिनट हुए थे कि अलर्ट सायरन बजने लगे। इस वक्त एक महिला सांसद बोल रही थीं। उन्होंने स्पीच बंद की और इसके फौरन बाद सभी सांसद और प्रधानमंत्री नेतन्याहू बंकरनुमा रूम्स में चले गए। कुछ देर बाद कार्यवाही फिर शुरू हुई।

ऐसे वक्त में 80 साल के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार, यानी 18 अक्टूबर को इजराइल जा रहे हैं। उनका यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब हमास लगातार इजराइल पर रॉकेट बरसा रहा है। ऐसे में इजराइल में राष्ट्रपति बाइडेन के सामने सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सिक्योरिटी की भी बड़ी चुनौती होगी। ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें भी किसी बंकर में पनाह लेनी पड़े।

घंटों की बहस के बाद तेल अवीव जाने का फैसला

बाइडेन ने इजराइल जाने से पहले अपने टॉप इंटेलिजेंस ऑफिशियल्स और एडवाइजर्स से मुलाकात की। इस बात पर घंटों बहस हुई की बाइडेन को इजराइल दौरे के लिए नेतन्याहू का निमंत्रण स्वीकार करना चाहिए कि नहीं।

इसके बाद ही बाइडेन का तेल अवीव जाना तय हुआ। सोमवार रात एक प्रेस ब्रीफिंग में अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा- प्रेसिडेंट बाइडेन न सिर्फ तेल अवीव, बल्कि जॉर्डन भी जाएंगे। यहां वो जॉर्डन, मिस्र और फिलिस्तीन के बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे।

इजराइल में मौजूद है अमेरिका की सीक्रेट सर्विस

बाइडेन अब तक 10 बार इजराइल गए हैं। वो पहली बार 1973 में अरब-इजराइल जंग से ठीक पहले तेल अवीव गए थे। तब वो सिर्फ एक सांसद थे। वहीं, उनका आखिरी इजराइल दौरा जुलाई 2022 में हुआ था। तब नेतन्याहू प्रधानमंत्री नहीं थे। इस दौरान उन्होंने कहा था- मैं इजराइल में सुरक्षित महसूस करता हूं।

बाइडेन इस साल जंग के बीच यूक्रेन भी गए थे। तब भी उनकी सिक्योरिटी को लेकर सवाल उठे थे। यूक्रेन में तो बाइडेन की सिक्योरिटी एजेंसी सीक्रेट सर्विस को सपोर्ट करने के लिए अमेरिकी सैनिक भी तैनात नहीं थे। इसलिए उसे सीक्रेट रखा गया था। जॉन किर्बी के मुताबिक इजराइल में ऐसा नहीं है।

बाइडेन की सुरक्षा का जिम्मा सीक्रेट सर्विस पर
अमेरिका के राष्ट्रपति की सिक्योरिटी का पूरा जिम्मा सीक्रेट सर्विस के पास होता है। यह एजेंसी 1865 में बनी थी, हालांकि इसे राष्ट्रपति की सुरक्षा का काम 1901 में सौंपा गया था। इसके लिए लगभग 7000 एजेंट और अफसर सीक्रेट सर्विस में काम करते हैं। इसमें महिलाएं भी हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति माने जाते हों, लेकिन उनकी सुरक्षा पर फैसले लेने का काम सीक्रेट सर्विस का है। अगर राष्ट्रपति चाहें तो भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाता है। अगर अमेरिका के राष्ट्रपति किसी भी देश की यात्रा करने का फैसला करते हैं, तो तय तारीख से लगभग तीन महीने पहले ही सीक्रेट सर्विस अपना काम शुरू कर देती है।

राष्ट्रपति एक तरह से सुरक्षा के कवच में चलते हैं, जिसमें मल्टी लेयर सिक्योरिटी है। यह ना सिर्फ बहुत मजबूत है, बल्कि बहुत महंगी भी है। दरअसल, अमेरिका ने अपने चार राष्ट्रपतियों की हत्या देखी है। 1865 में अब्राहम लिंकन, 1881 में जेम्स गारफील्ड, 1901 में विलियम मैकिनली, 1963 में जॉन एफ केनेडी।

इजराइल में बाइडेन के लिए राजनीतिक चुनौती

इजराइली फौज हमास के खिलाफ जमीनी कार्रवाई की तैयारी पूरी कर चुकी है और उसे सरकार से हरी झंडी का इंतजार है। इजराइल चाहता है कि अमेरिका हमास के खिलाफ ऑपरेशन में उसकी राजनीतिक और आर्थिक तौर पर मदद करे।

यह 2 तरह से हो सकती हैं:

1) इजराइल ने अमेरिका से 10 बिलियन डॉलर की मिलिट्री सहायता मांगी है। इसके लिए नेतन्याहू बाइडेन को मनाने की पूरी कोशिश करेंगे।
2) गाजा में जमीनी कार्रवाई का समर्थन। 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले के बाद इजराइल लगातार गाजा पर बम बरसा रहा है। इसमें 2 हजार से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई है। हमास के 6 मिलिट्री कमांडर भी मारे गए हैं।

चीन, मिस्र के अलावा कई मुस्लिम देशों का कहना है कि अब इजराइल सेल्फ डिफेंस से परे जाकर गाजा पर कार्रवाई कर रहा है। उसे अब रुक जाना चाहिए। इस बीच इजराइल अमेरिका से चाहता है कि वह गाजा पर कार्रवाई के बाद उसका साथ दे और दूसरे पश्चिमी देशों को भी उनका साथ देने के लिए मनाए।

बाइडेन की मुश्किल

बाइडेन के दौरे की वजह से गाजा में इजराइली फौज के ऑपरेशन में देरी हो सकती है। बाइडेन का कहना है कि गाजा पर कब्जा इजराइल की बड़ी गलती होगी। बाइडेन के कहा कि हमास का खात्मा जरूरी है, लेकिन गाजा पर कब्जा इजराइल की बड़ी गलती होगी।

उन्होंने कहा- हमास ने बर्बरता की है। इस संगठन का खात्मा जरूरी है, लेकिन फिलिस्तीन लोगों के लिए भी देश होना चाहिए, अलग सरकार होनी चाहिए।

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