मध्यप्रदेश बजट : सरकार नहीं लगाएगी कोई नया टैक्स, जानिए कौन सी नई योजनाओ का मिलेगा लाभ

मध्यप्रदेश में 9 मार्च को पेश होने जा रहा वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पूरी तरह से चुनावी होगा। इस बार भी सरकार कोई नया टैक्स नहीं लगाने जा रही है। फ्लैगशिप योजनाओं के जरिए महिलाओं, किसानों और युवाओं को साधने पर फोकस किया गया है। लाडली लक्ष्मी योजना को सरकार री-लॉन्च करने जा रही है। इस योजना का लाभ ले रही लाडलियों को सरकार 5-5 हजार रुपए भी देगी। कैबिनेट की बैठक में वित्त विभाग ने बजट में प्रस्तावित प्रावधानों का प्रजेंटेशन किया था। अब विधानसभा में इसे पेश करने से पहले एक बार फिर कैबिनेट में रखा जाएगा। पहली बार चाइल्ड बजट भी लाया जा रहा है।

मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। प्रदेश के करीब 70 लाख छोटे किसानों को कस्टमर हायरिंग स्कीम के तहत अब किराए पर ड्रोन उपलब्ध कराने की योजना है। 10 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई और राहत भत्ता 31% की दर से देने के लिए राशि का प्रावधान बजट में रखा जाना तय है। ग्रामीण इलाकों में उद्योग-पर्यटन क्षेत्र विकसित करने NOC देने का अधिकार पंचायतों को दिया जा सकता है।

शिवराज सरकार ने जातिगत वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए जातिगत व धार्मिक योजनाओं पर भी फोकस किया है। इस बजट में OBC, SC-ST स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। राम वन गमन पथ निर्माण न्यास के गठन करने का ऐलान भी बजट में किया जाएगा। सरकार अलग से गो-संवर्धन के लिए नई योजना लेकर आ रही है। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में दक्षिण के प्रमुख स्थलों को जोड़ा जाएगा। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ वेलनेस’ के लिए 700 करोड़ खर्च होंगे।

छोटी सड़कों के निर्माण पर जोर
सरकार बड़ी सड़कों के बजाय ग्रामीण इलाकों की छोटी-छोटी सड़कों पर ज्यादा फोकस करने जा रही है। आगामी चुनाव को देखते हुए BJP विधायकों से 15-15 करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों के प्रस्ताव सरकार ने लिए हैं। इसका प्रावधान बजट में किया जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि बजट में ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर ध्यान दिया गया है। नर्मदा एक्सप्रेस-वे और चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण करने राशि का प्रावधान इस बजट में किया गया है। इस बार PWD को 6 हजार 500 करोड़ का बजट दिया जा रहा है।

कस्टमर हायरिंग सेंटर का विस्तार
प्रदेश में किसानों की संख्‍या 1 करोड़ 7 लाख है। इनमें से 67% ऐसे किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इन किसानों पर सरकार का फोकस है। उनकी उपज को खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्यक्रम जारी रहेगा। कृषि उपकरणों की आसान उपलब्धता के लिए कस्टमर हायरिंग सेंटर के दायरे का विस्तार किया जाएगा। इसमें ड्रोन समेत नए उपकरण शामिल किए जा रहे हैं। कस्टमर प्रोसेसिंग सेंटर योजना में भी बदलाव किया जाएगा, ताकि छोटे किसानों को भी प्रोसेसिंग की सुविधा मिल सके। मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन में अधिक राशि रखी जा रही है। ब्याज मुक्त कृषि लोन के लिए 800 करोड़ रुपए से अधिक की राशि निर्धारित की जाएगी।

ऋण माफी के लिए बजट में प्रावधान नहीं
कांग्रेस की सत्ता में वापसी का बड़ा आधार बनी किसानों की ऋण माफी योजना के लिए बजट में प्रावधान नहीं होगा। शिवराज सरकार ने प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों पर पड़े आर्थिक भार को देखते हुए वर्ष 2020-21 में 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। इसमें से 800 करोड़ रुपए समिति को दिए गए थे, लेकिन अब प्रावधान नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि कमलनाथ सरकार की ऋण माफी योजना को BJP किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा करार दे चुकी है। वर्ष 2021-22 के बजट में इस योजना के लिए सिर्फ प्रतीकात्मक राशि रखी गई थी। सहकारी समितियों से हर साल लगभग 25 लाख किसान कर्ज लेते हैं।

महंगाई भत्ते का खत्म हो सकता है अंतर
सरकार प्रदेश के 10 लाख से अधिक कर्मचारियों व पेंशनर्स को ज्यादा समय तक नाराज नहीं रख सकती है। कर्मचारियों के प्रमोशन 2016 से बंद हैं। महंगाई भत्ता भी केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में कम मिल रहा है। इस अंतर को पाटने के लिए सरकार बजट प्रावधान कर रही है। बजट में कर्मचारियों की वार्षिक वेतनवृद्धि, समयमान वेतनमान, महंगाई भत्ता और राहत के लिए स्थापना व्यय में वृद्धि की जाएगी। सभी विभाग स्थापना मद में 31% के हिसाब से महंगाई भत्ता व राहत के लिए राशि आरक्षित रखेंगे। इसमें पेंशनर्स के लिए 14% राशि रहेगी, क्योंकि केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में इन्हें अभी 14% कम महंगाई राहत मिल रही है।

कोरोना काल के पहले मध्यप्रदेश अपने कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता व राहत दे रहा था। इसके बाद केंद्र सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाकर 31% कर दिया है, लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को 20 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। इस तरह पेंशनर्स को महंगाई राहत 17% ही दी जा रही है। दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने 5% महंगाई राहत बढ़ाने पर ही सहमति दे दी है।

निवेश को बढ़ावा देने पंचायत अधिनियम में संशोधन
शिवराज सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग और पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए राज्य स्तर पर पंचायतों को एनओसी (NOC) देने का अधिकार उपलब्ध करवाएगी। इसके लिए अधिनियम में संशोधन बजट सत्र में किया जा रहा है। इसके पीछे प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने की मंशा है। जिसके सहकारिता, कृषि, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग विभाग मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना करेंगे। इसमें युवाओं के लिए नौकरी के संसाधन भी बढ़ेंगे। हालांकि ऐसे क्षेत्र जो औद्योगिक और पर्यटन की दृष्टि से विकसित क्षेत्र की श्रेणी में आएंगे, वहां एनओसी देने का अधिकार राज्य शासन अपने पास रखेगी।

इस बार चाइल्ड बजट लाएगी सरकार
शिवराज सरकार ने इस बार बच्चों (0 से 18 साल) के लिए चाइल्ड बजट बनाया है। इसके पीछे मंशा बच्चों से संबंधित सभी योजनाओं को एक छतरी के नीचे लेकर आना है। स्कूल शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, नगरीय विकास एवं आवास, पंचायत एंव ग्रामीण विकास सहित करीब 19 विभागों में बच्चों से संबंधित योजनाएं चल रही हैं, जिन्हें एक साथ लाकर बड़े स्वरूप में सरकार पेश करेगी। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को नोडल विभाग बनाया है।

पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने पर फिलहाल असमंजस
पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने पर फिलहाल सरकार असमंजस में हैं। राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर कर्मचारियों का दबाव बढ़ गया है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद करने की घोषणा की थी। यदि शिवराज सरकार कर्मचारियों की मांग मान लेती है तो उसे अपनी ही पार्टी की सरकार के फैसले को बदलना होगा। यही उसकी दुविधा है। हालांकि करीब 125 से अधिक विधायक व सांसदों ने पुरानी पेंशन लागू करने के समर्थन में मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं। इसमें बीजेपी के विधायक-सांसद के पत्र भी हैं।

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