महाराजगंज : गांव में तबाही मचा रहा महाव नाला, दहशत में ग्रामीण

प्यास व महाव की खौफ से भयाक्रांत हुए दर्जनों गांव के लोग, सिंचाई विभाग ने नहीं कराई नाले की सफाई

दैनिक भास्कर व्यूरो

महराजगंज। नौतनवा क्षेत्र का महाव नाला तबाही मचाने में शुमार है। नेपाल में हुई घनघोर बारिश से महाव नाला में बाढ़ आई है। महाव नाला खतरे के निशान से छह फीट उपर बह रहा है। इसी के चलते महाव किनारे बसने वाले गांव के लोग बेहद दहशत में आ चुके है। उन्हें डर है कि कभी भी महाव के किनारे तिनके की तरह बह जाएंगे और गांव में बाढ़ का पानी घुस जाएगा। ग्रामीणों का आरोप है कि समय रहते महाव नाले की सफाई कराई गई होती, तो शायद बाढ़ से 40 हजार की आबादी को बचाया जा सकता है। लेकिन सिंचाई विभाग और वन विभाग की पेंच में लहलहाती धान की खेती भी महाव की बाढ़ से बर्बाद हो जाएगी। बाढ़ कन्टोल रूम के अनुसार मंगलवार की सुबह महाव नाला में अचानक 11 फीट पानी पहुंच गया है। जो खतरे के निशान से छह फीट अधिक है। वहीं नेपाल के पहाड़ों से निकली प्यास नदी यानी झरही नदी भी खतरे के निशान को पार कर गई है।

महाव की सफाई पर खर्च हुए करोड़ो, फिर भी नेपाल के पहाड़ का पानी भारतीय क्षेत्र में मचाएगा तबाही

सूत्रों का कहना है कि कभी भी महाव नाला और प्यास नदी नौतनवा व ठूठीबारी क्षेत्र में तबाही मचा सकती हैं। इसे लेकर क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है। बता दें कि महाव नाला का तार नेपाल के पहाड़ी तीन नदियों से जुड़े हैं। उधर पहाड़ पर बारिश होती है, तो इधर तबाही शुरू हो जाती है। इसके बाद भी तबाही रोकने के लिए सिंचाई विभाग बाढ़ खंड दो द्वारा अभी तक कोई मुक्कमल इंतजाम नहीं किया जा सका है।

सूत्र बताते हैं कि महाव नाला सिंचाई विभाग के लिए दूधारू गांव बन गई है। इन नाले की सफाई ग्रामीणों का आरोप है कि महाव नाले की सफाई पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च होते हैं, लेकिन नाले की स्थिति जस की तस बनी रहती है। महाव नाला नेपाल के बुटवल-नारायण घाट के पूरब-पश्चिम राजमार्ग स्थित 3 छोटी-छोटी पहाड़ी नदियों से निकला है। इसमें तूरिया, पानभार व तिलकाना नदी शामिल है। यह नाला नेपाल के बुटवल, सोनवल, खैरहनी होते हुए खैरहवा दूबे टोला चकरार के पास भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है। ॉ

यही से शुरू होकर खैरहवा दूबे, चकरार, बरगदवां, हरपुर, नारायनपुर, अमहवा, विशुनपुरा, सगरहवा, गनेशपुर, शिवपुर, जहरी, महरी सहित चार दर्जन गांव क्षेत्र से निकलते हुए मनिकापुर जंगल के पास जाकर खत्म होता है। महाव नाले की लम्बाई 23 किलोमीटर की है। इनमें 8 किलोमीटर जंगल क्षेत्र में है तो 15 किलोमीटर सीमावर्ती क्षेत्र में पड़ता है। इस नाले में कुल 65 मोड़ है, जहां सभी मोड़ खतनारक स्थिति में हैं।

दैनिक भास्कर टीम ने महाव किनारे बसे खैरहवा दूबे, चकरार, बरगदवां, हरपुर, नारायनपुर, अमहवा, विशुनपुरा, सगरहवा, गनेशपुर, शिवपुर, जहरी, महरी आदि गांव की पड़ताल की। किसानों की पीड़ा असहनीय रहा। ग्रामीणों ने बताया कि चकरार निवासी चन्दर पुत्र बन्हू के खेत में हर साल महाव का किनारा टूटता है। इनका खेत बरगदवा के पूरब बांध किनारे स्थित है। श्रीराम यादव, इंतराज, बाबुलाल, मल्लू,चिनक, त्रिवेणी, फेकू, असर्फी धोबी, भोला, जयराम, नारद, छोटाई, कोदई, सुदामा, बिहारी के तकरीबन 40 एकड़ खेत रेत से पट गए। किसानों ने कहा कि यदि तत्काल महाव की बाढ़ को रोकने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई तो धान की फसल के साथ-साथ गांव को भी बचा पाना मुश्किल होगा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि हर साल महाव नाला की सफाई पर करोड़ों रूपये का भुग्रतान किया जाता है।

पिछले साल भी सिर्फ जेसीबी दौड़ाकर उनके किनारों पर थोड़ा बहुत कार्य कराया गया। लेकिन उससे बाढ़ रोकने में कोई मदद नही मिलने वाली। उन्हें चिंता इस बात है कि इस साल भी महाव में बाढ़ आएगी, तो धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। ई, आमोद सिंह, सहायक अभियंता बाढ़ खंड दो कोट– जंगल क्षेत्र में महाव की सफाई न होने से उपर का पानी खारिज नहीं हो पा रहा है। जिससे महाव नाला उफान पर आया है। जबकि विभाग ने महाव नाले की सफाई कराई है। अचानक पहाड़ पर बारिश होने से महाव नाला में जलस्तर की वृद्वि हुई है।

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