
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने पार्टी से 7 बागी विधायकों को बर्खास्त कर दिया है। इन विधायकों पर बसपा के राज्यसभा उम्मीदवार के विरोध करने और अखिलेश यादव से मुलाकात के लिए कार्रवाई की गई है। मायावती ने कहा कि इन विधायकों की विधानसभा की भी सदस्यता रद्द करवाने के लिए भी अपील करेंगे। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर मायावती ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का फोन तक नहीं उठाया। सपा ने मेरे खिलाफ बहुत बड़ी साजिश रची थी। सपा के साथ गठबंधन का फैसला पूरी तरह गलत था। मायावती ने ऐलान किया कि आगामी एमएलसी चुनाव में उनकी पार्टी भाजपा का समर्थन करेगी।
मायावती ने गेस्ट हाउस कांड याद किया, कहा- पिता की राह पर चल रहे अखिलेश
राज्यसभा के नामांकन पत्रों की जांच के बाद मायावती ने अखिलेश यादव और उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सपा से गठबंधन का फैसला हमारा गलत था। सपा परिवार की अंदर लड़ाई की वजह से गठबंधन कामयाब नहीं हुआ। सपा सरकार में मेरी हत्या की साजिश रची गई थी। सपा से गठबंधन के दौरान गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेने का फैसला हमारी बड़ी गलती थी। एमएलसी के चुनाव में समाजवादी पार्टी को बसपा जवाब देगी। अखिलेश यादव के पिता ने भी हमारे विधायक तोड़े थे, जिनकी राह पर अखिलेश यादव चल रहे हैं।
रामगोपाल यादव से बात होने के बाद प्रत्याशी उतारा
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सपा की बहुत बुरी हार होगी, पिता की तरह अखिलेश गलत रास्ते पर चल रहे हैं। अखिलेश ने महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का फोन नहीं उठाया। सतीश चंद्र मिश्रा के द्वारा अखिलेश यादव के निजी सचिव को भी फोन किया गया, तब भी उन्होंने बात नहीं कराई। तब सतीश चंद्र मिश्रा ने रामगोपाल यादव से फोन पर बात करने के बाद अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। इनका दलित विरोधी चेहरा हमें कल राज्यसभा के पर्चों के जांच के दौरान देखने को मिला। जिसमें सफल न होने पर ये ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ की तरह पार्टी जबरदस्ती बसपा पर भाजपा के साथ सांठगांठ करके चुनाव लड़ने का गलत आरोप लगा रही है।
दलित विरोधी चेहरा सामने आया, ब्राह्मणों का भी किया अपमान
मायावती ने कहा कि, अगर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अपनी पत्नी का नामांकन कराते, तब शायद हम अपना प्रत्याशी ना उतारते। एसपी का दलित विरोधी चेहरा राज्यसभा के चुनाव में सामने आ गया। नामांकन से पहले सपा से बात करने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने बात नहीं की। बसपा के विधायकों के साथ मिलकर तोड़ मरोड़ कर एक बड़ी साजिश रची गई। हमारी पार्टी एमएलसी के चुनाव में समाजवादी पार्टी को हराने के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयारी हैं।
इन विधायकों ने की थी बगावत
| नाम | कहां से विधायक |
| असलम राइनी | भिनगा (श्रावस्ती) |
| असलम अली | ढोलाना (हापुड़) |
| हर गोविंद भार्गव | सिधौली (सीतापुर) |
| मुज्तबा सिद्दीकी | प्रतापपुर (प्रयागराज) |
| हाकिम लाल बिंद | हांडिया (प्रयागराज) |
| सुषमा पटेल | मुंगरा बादशाहपुर (जौनपुर) |
| वंदना सिंह | सगड़ी (आजमगढ़) |
क्यों इन विधायकों को निलंबित किया गया
राज्यसभा चुनाव के लिए बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम ने नामांकन पत्र पर दाखिल किया था। बुधवार को नामांकन पत्रों की जांच से पहले बसपा के इन सात विधायकों में से 4 विधायकों असलम राइनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, असलम अली ने कहा था कि प्रस्ताव पर उनके साइन नहीं है। फर्जी बनाए गए हैं। निर्वाचन अधिकारी को एफिडेविट भी दिया था कि नामांकन पत्र पर उनके हस्ताक्षर नहीं है। कुछ देर बाद सातों विधायक अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे। मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की वजह से सभी 7 विधायकों को निलंबित कर दिया।
क्या था गेस्ट हाउस कांड?
2 जून 1995 में लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस में कांशीराम ने मुलायम सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। मायावती, विधायकों के साथ गेस्ट हाउस में थीं। अचानक समाजवादी पार्टी समर्थक गेस्ट हाउस में घुस आए। समर्थकों ने मायावती से अभद्रता की, अपशब्द कहे। उनकी जान लेने की कोशिश की गई। खुद को बचाने के लिए मायावती कमरे में बंद हो गईं। इस घटना को गेस्ट हाउस कांड कहा जाता है।