देश की खातिर मुस्लिम समाज कुछ भी करने को तैयार..

भोगांव/मैनपुरी- बकरीद का त्यौहार कुर्बानी के लिये जाना जाता है लेकिन इस साल देश में कोरोना का संकट मड़रा रहा है ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों ने बकरीद की खुशियांे को देश पर कुर्बान करने का संकल्प लिया है। मुस्लिम समाज बकरीद का त्यौहार तो मनायेगें लेकिन बहुत ही सादगी एंव शालीनता के साथ। कोरोना के कहर को देखते हुये अपने अपने घरांे में ईद की नमाज के साथ बकरीद मनायेगंे।
      बकरीद का त्यौहार एक अगस्त को मनाया जायेगा लेकिन इस बार बकरीद का त्यौहार प्रत्येक वर्ष से जुंदा एवं अलग अलग नजर आयेगा। त्यौहार पर भोगांव मैनपुरी मार्ग पर स्थित ईदगाह पर सुबह के समय होने वाली सामूहिक नमाज नहीं होगी। बकरीद को लेकर हमारी टीम ने मुस्लिम समाज से बात की तो उनका कहना था कि बकरीद को ईद के त्यौहार की तरह से ही मनायेगंे। उनका कहना था कि देश में आये हुये सकंट के समय पहले देश है।  
     जामा मस्जिद सदर मुहम्मद शकील उर्फ फूलमिंया का कहना है कि कोरोना काल का दौर चल रहा है इसमंे सभी लोगांे को सावधानी बरतते हुये कुर्बानी करे तथा घर में नमाज अदा करंे एवं एक दूसरे से मिलने से बचते हुये ईद की मुबारकबाद दे, जिससे इस कोरोना महामारी से बचा जा सके।
     समाजसेवी इबराज मन्सूरी का कहना है कि बकरीद का त्यौहार कुर्बानी का त्यौहार होता है लेकिन इस कोरोना महामारी की जंग को लड़ना है तो हम सभी को एकजुट होकर इसका सामना करना होगा। उन्होने लोगों से अपील करते हुये कहा कि कोरोना के बढते प्रभाव को कम करने के लिये सभी लोग सरकार के निर्देशों का पालन करें और घरों मंे ही रहे। उन्होने कहा कि सभी लोग नमाज पढकर दुआ करें कि देश को कोरोना वायरस से जल्द ही मुक्ति मिल सके।
     चेयरमैन प्रतिनिधि अकबर कुरैशी का कहना है कि इस कोरोना महामारी मंे शासन ने जो निर्देश दिये हंै वो हम सभी लोगों की भलाई के लिये दिये हंै उन सभी निर्देशांे का शत प्रतिशत पालन करंे। सोशल डिस्टेन्स अति आवश्यक है नमाज अपने अपने घरांे मंे पढे और कुर्बानी के समय जानवरांे के खून को नालियों में न बहाये, खून को जमीन मंे गढ्डा कर दफन कर दें, जिससे बीमारी से बचा जा सकता है।
     समाजसेवी अहमद अली का कहना है कि बकरीद का त्यौहार मुस्लिम समाज के लिये एक अलग ही सन्देश देता है यह त्यौहार सदियांे से हम सभी लोग आपसी भाईचारा के साथ मनाते रहे हैं। उन्होने कहा कि यदि ज्यादा ही अधिक हो तो कुर्बानी करते समय नया मास्क, ग्लव्स पहनकर अपने औजारों को सैनेटाइज करके जानवरों की कुर्बानी दें।
      शमशाद बेग का कहना है कि जिस तरह मुसलमानांे ने ईदुल फितर की नमाज कोरोना महामारी के चलते अपने अपने घरांे में अदा की थी उसी प्रकार बकरीद की भी नमाज अपने अपने घरों में अदा करें। मस्जिद एंव ईदगाह मंे कोई भी नमाजी न जायें।
       अख्तर हुसैन का कहना है कि ईद उल अजहा की नमाज घर में पढ़कर अल्लाह से दुआ करें कि देश में अमन चैन कायम हो जायें तथा कोरोना जैसी बीमारी से इस जंग को जीत सकें जो लोग इस बीमारी की जंग मे ग्रस्त हो चुके हंै अल्लाह से दुआ करंे कि वो जल्द से जल्द ठीक हों। उन्होने कहा कि कुर्बानी शरीयत के मुताबिक करें अगर हालात ठीक नहीं और कुर्बानी करने में परेशानी हो रही हो तो कुर्बानी वाले जानवर की कीमत के पैसों को गरीबों मंे बांट दें।

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