
निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Gangrape Case) के चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह (Mukesh Singh) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान सनसनीखेज दावा किया है। दोषी मुकेश ने मंगलवार को कहा कि जेल प्रशासन ने उससे जबरन केस के एक अन्य दोषी अक्षय (Akshay) के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया।
He (convict Mukesh) was also sexually assaulted in Tihar jail, Mukesh's lawyer Anjana Prakash claimed during the hearing in Supreme Court. #NirbhayaCase https://t.co/Od9RHHB3Fu
— ANI (@ANI) January 28, 2020
दोषी की वकील ने लगाए आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश सिंह से सवाल किया कि वह यह आरोप कैसे लगा सकता है कि उसकी दया याचिका अस्वीकार करते समय राष्ट्रपति ने सही तरीके से विचार नहीं किया। इसके साथ ही मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान दावा किया कि तिहाड़ जेल में उसके साथ यौन उत्पीड़न की घटना भी घटी है। ऐसे में कोर्ट को इस मामले में अपने फैसले पर विचार करने की जरूरत है।
SC ने दोषी से पूछे सवाल
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने मुकेश कुमार सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश से सवाल किया कि वह यह दावा कैसे कर सकते हैं कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पर विचार के समय सारे तथ्य नहीं रखे गए थे। पीठ ने सवाल किया, “आप कैसे कह सकते हैं कि ये तथ्य राष्ट्रपति महोदय के समक्ष नहीं रखे गए थे? आप यह कैसे कह सकते हैं कि राष्ट्रपति ने सही तरीके से विचार नहीं किया?” दोषी के वकील ने जब यह कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गये थे तो सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारा रिकार्ड, साक्ष्य और फैसला पेश किया गया था।
दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के फैसले पर उठाए सवाल
मुकेश कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका अस्वीकार करने में प्रक्रियागत खामियां हैं। उसका दावा है कि दया याचिका पर विचार करते समय उसे एकांत में रखने सहित कतिपय परिस्थितियों और प्रक्रियागत खामियों को नजरअंदाज किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने मौत की सजा के मामले में कई फैसलों और दया करने के राष्ट्रपति के अधिकार का हवाला दिया। उन्होंने यह भी दलील दी कि राष्ट्रपति ने दुर्भावनापूर्ण, मनमाने और सामग्री के बगैर ही दया याचिका खारिज की। बता दें कि कोर्ट राष्ट्रपति द्वारा 17 जनवरी को मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। गौरतलब है कि दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों को एक फरवरी को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किया था।
निर्भया के दोषियों की रोजाना नई चाल
बता दें कि निर्भया के दरिंदों को 1 फरवरी को फांसी दी जानी है। वहीं अपनी फांसी से बचने के लिए मुकेश और उसका वकील आए दिन जेल प्रशासन पर कोई न कोई नया आरोप लगा रहा है।
दया याचिका खारिज
गौरतलब है कि 17 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram nath Kovind) ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी थी और शनिवार को उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी।















