पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस ने मिशन -13 की असफलता के लिए अपनी ही सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को जिम्मेवार ठहराया है। हालांकि वर्ष 2014 के मुकाबले कांग्रेस ने राज्य की 13 में से 8 सीटों पर जीत हासिल की, परन्तु मुख्यमंत्री ने मिशन -13 के तहत प्रदेश की सभी 13 सीटें जीतने अथवा मिशन की असफलता पर इस्तीफा देने की बात कही थी। आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पत्रकारों से कहा कि सिद्धू की बयानबाजी ने पार्टी का नुकसान किया और सिद्धू के विभाग के अधीन आते शहरी क्षेत्रों ने पार्टी को पराजय देखनी पड़ी।
मुख्यमंत्री के इस बयान के साथ ही सिद्धू के विरुद्ध करवाई की प्रक्रिया तीव्र हो गई है। उधर, मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस के प्रत्याशियों के मत कम होने की स्थिति में सम्बंधित मंत्री का पद छीन लेने की हिदायत के चलते राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और परिवहन मंत्री अरुणा चौधरी की कुर्सी पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
Captain Amarinder Singh on Navjot Singh Sidhu: Indians especially servicemen will not tolerate hugging the Pakistani Army Chief. pic.twitter.com/AVZFgIraR2
— ANI (@ANI) May 23, 2019
पंजाब सरकार में नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर लगातार विवाद चल रहा है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सिद्धू द्वारा बठिंडा में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल परिवार के मध्य दोस्ताना मैच खेलने के आरोपों के बाद पंजाब की सत्ता में टकराव वाले हालात बन गए हैं। सिद्धू के आरोप का संकेत जिस ओर था उसमें बठिंडा से बादल परिवार की पुत्रवधू हरसिमरत कौर बादल और मुख्यमंत्री की पत्नी परनीत कौर की जीत के लिए दोनों के मध्य दोस्ताना मैच का आरोप था। बहरहाल, दोनों सीटों पर दोनों (कैप्टन व बादल) परिवार की महिलायें जीत गई हैं। उधर, बठिंडा से कांग्रेस के उम्मीदवार राजा वड़िंग चुनाव हार गए हैं। सिद्धू बठिंडा के साथ -साथ लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर में भी चुनाव प्रचार करने गए थे। दोनों स्थानों पर कांग्रेस के प्रत्याशी पराजित हुए हैं।
आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू की भाषा पर भी प्रश्न उठाये। उन्होंने कहा कि सिद्धू की कारगुजारी के लेकर पंजाब कांग्रेस द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे सिद्धू के खिलाफ करवाई की सिफारिश के साथ कांग्रेस हाईकमान को दिया जाएगा। इस पर अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को ही करना है।
मुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर सिद्धू मतदान से पूर्व ऐसे बयान न देते तो पार्टी को नुकसान नहीं होता। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी नाराजगी प्रकट की कि जब पंजाब सरकार बरगाड़ी ग्रन्थ बेअदबी मामले पर विशेष जांच दल बना कर लगातार कार्रवाई कर रही है तो सिद्धू को इस बारे में गलत बयानबाजी नहीं करनी चाहिए थी। सिद्धू ने विशेष जांच दल के गठन की प्रशंसा की थी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष के साथ गले मिलने पर भी कहा कि भारत के लोगों ने सिद्धू की इस बात तो स्वीकार नहीं किया।
काबिले जिक्र है कि पंजाब सरकार के लगभग छह मंत्री नवजोत सिद्धू की बयानबाजी का तीव्र विरोध कर चुके हैं। कुछ तो उन्हें (सिद्धू को) मंत्रिमंडल से निकालने की मांग भी कर चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जाखड़ के प्रयास में कोई कमी नहीं थी, परन्तु वे उन दो मंत्रियों के विरुद्ध करवाई की बात को लेकर चुप रहे, जिनके क्षेत्र में कांग्रेस के उम्मीदवारों को पराजित होना पड़ा।