PM मोदी बोले-कई महीनों तक रहेगा कोरोना महामारी का असर, न बरतें कोताहीः

नई दिल्ली,। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी का असर आने वाले कई महीनों तक रहेगा तथा केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे इस महामारी से लड़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को फिर सक्रिय करने पर ध्यान केंद्रित करें।

प्रधानमंत्री ने सोमवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हुए कहा कि चेहरे पर मॉस्क पहनने तथा आपस में दो गज की दूरी बनाए रखने जैसे उपायों को दैनिक जीवन का हिस्सा बना लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में अब तक दो बार पूर्णबंदी (लॉकडाउन) हो चुका है तथा इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं। इन उपायों से पिछले एक-डेढ़ महीनों के दौरान हजारों लोगों की प्राण रक्षा संभव हो पाई है।

उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या दुनिया के अनेक देशों के सम्मिलित आबादी के बराबर है। मार्च महीने की शुरुआत में भारत और दुनिया के अनेक देशों में एक जैसी स्थिति थी, लेकिन समय पर उठाए गए कदमों के कारण बड़ी संख्या में लोगों की प्राणरक्षा संभव हो पाई।

प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि कोरोना वायरस का खतरा अभी कम नहीं हुआ है तथा इस बारे में सतत जागरूक रहने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस आने वाले कई महीनों तक अपना असर दिखाएगा।

मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री का यह संवाद दूसरे लॉकडाउन (3 मई) की अवधि पूरी होने के कुछ दिन पूर्व आयोजित हुआ। मोदी और मुख्यमंत्रियों ने इस बात पर चर्चा की कि 3 मई के बाद लॉकडाउन की अवधि पूरी होने के बाद इसे किस तरह और किस सीमा तक हटाया जाए।

मोदी ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे महामारी से सर्वाधिक प्रभावित रेड जोन इलाकों में प्रतिबंधात्मक दिशा-निर्देशों का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित करें। प्रयास यह होना चाहिए कि रेड जोन (अधिक प्रभावित) क्षेत्रों को ऑरेंज जोन (आंशिक प्रभावित) तथा बाद में ग्रीन जोन (सुरक्षित) में बदला जा सके।

महामारी के खिलाफ लड़ाई में समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों की भागीदारी की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि आम आदमी अपने स्वास्थ्य के बारे में खांसी और सर्दी जैसी लक्षणों की सूचना देने के लिए आगे आ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थाओं को महामारी का मुकाबला करने के लिए नए शोध करने चाहिए।

प्रधानमंत्री ने ग्रीष्म ऋतु और उसके बाद वर्षा ऋतु में होने वाली बिमारियों पर भी ध्यान देने का आग्रह किया।

विदेशों में बसे भारतीयों को स्वदेश लाने के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात का ध्यान रखना होगा कि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो। साथ ही उनके परिवार वालों के लिए कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या न पैदा न हो।

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्रियों ने संकट की इस घड़ी में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर महामारी पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है। मुख्यमंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर कड़ी निगरानी रखे जाने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्रियों ने यह भी सलाह दी कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने महामारी का मुकाबला करने में चिकिस्ताकर्मियों और पुलिसबलों के भारी योगदान के लिए उनके प्रति आभार प्रकट किया।

प्रधानमंत्री की राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ यह चौथी बैठक थी। इसके पहले उन्होंने 20 मार्च, 2 अप्रैल और 11 अप्रैल को ऐसा संवाद किया था।

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