राजस्थाम में सियासी हलचल तेज: CM पद को लेकर सचिन पायलट के मन में आखिर कब तक होगी खलबली

जयपुर। कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे निर्वाचित हो गए हैं। खड़गे के अध्यक्ष बनते ही राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है। राजस्थान के सियासी विवाद पर अब कांग्रेस हाईकमान की हैसियत से खड़गे को ही फैसला करना है। राजस्थान में सियासी बवाल के बाद से अब तक स्थिति जस की तस है। सियासी घमासान के बाद पार्टी की ओर से कहा गया था कि सीएम पर एक दो दिन में फैसला हो जाएगा, लेकिन कई दिन निकलने के बाद भी कोई फैसला नहीं हो पाया। इसके बाद नया बयान आया कि राजस्थान के सीएम पर कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद फैसला होगा। दसअसल 2023 में राजस्थान विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए कांग्रेस भी फूंक-फूंककर कदम रख रही है।

खड़गे के आगामी कदम पर सबकी निगाह

पार्टी अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों में से किसी को भी नाराज करना नहीं चाहती। अगर पार्टी गहलोत को सीएम बनाए रखती है तो सचिन पायलट को मनाने की चुनौती होगी। वहीं पायलट को सीएम बनाती है तो गहलोत और उनके समर्थक विधायकों की नाराजगी झेली होगी। सरकार गिरने का जोखिम भी है। ऐसे में हो सकता है पार्टी कोई बीच का रास्ता निकाले, जिससे दोनों ही नाराज ना हो। खड़गे को राजस्थान के सियासी हालात की अच्छी तरह जानकारी है। जिस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार विधायकों ने किया था, उसके पर्यवेक्षक खड़गे ही थे। ऐसे में खड़गे के आगामी कदम पर सबकी निगाह टिकी हुई है।

शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेन्द्र राठौड़ पहुंचे दिल्ली

कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बहिष्कार के मामले में अनुशासनहीनता के आरोप में जिन तीन नेताओं संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को नोटिस दिया था, वे तीनों नेता बुधवार को दिल्ली पहुंचे और मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर उन्हें अध्यक्ष बनने की बधाई दी।

क्या तीनों नेताओं को सख्त सजा मिलेगी?

तीनों नेताओं ने पिछले दिनों ही नोटिस का जवाब दिया था। इस पर तीनों ने जवाब भी दे दिए। अब समिति की बैठक में इनके जवाब पर निर्णय होना है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी का एक वर्ग अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए तीनों को सख्त सजा देने के पक्ष में है, जबकि दूसरे वर्ग का कहना है कि सीएम गहलोत माफी मांग चुके हैं। इसलिए इस मामले को बंद कर देना चाहिए। अब देखना होगा कि खड़गे इस पर क्या फैसला लेते हैं।

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