जम्मू-कश्मीर : आज से ख़त्म हुआ गवर्नर रूल, 22 साल बाद लागू हुआ राष्ट्रपति शासन

नयी दिल्ली.  जम्मू- कश्मीर में राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे होने के बाद बुधवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। गृह मंत्रालय ने शाम को इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी। मंत्रिमंडल ने गत सोमवार को ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति शासन लगाने की गृह मंत्रालय की सिफारिश पर आज हस्ताक्षर किये। अधिसूचना के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 356 में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस संबंध में एक पत्र भेजा था, जिसके बाद केंद्रीय कैबिनेट के संज्ञान में लाया गया और राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया।

रामनाथ कोविंद अपने अधीन ले लेंगे विधायिका की सभी शक्तियां 
अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अनुच्छेद 370 के तहत एक आदेश जारी कर जम्मू कश्मीर विधायिका की सभी शक्तियों और अधिकारों का प्रयोग खुद या राष्ट्रपति के अधीन या संसद के अधीन प्राधिकरण द्वारा करने का एलान करेंगे।

18 जून को सरकार गिरने पर लगा था राज्यपाल शासन
राज्य में इसी साल 18 जून को भाजपा और पीडीपी से अलग होने के बाद से राज्यपाल शासन लागू हो गया था। 18 जून को निलंबित हुई विधानसभा को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 21 नवंबर को भंग कर दिया था।

जम्मू कश्मीर में सीधे लागू नहीं होता राष्ट्रपति शासन 
देश के अन्य भागों के विपरीत जम्मू कश्मीर में सीधे राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया जा सकता। राज्य संविधान की धारा 92 के तहत पहले छह माह के लिए राज्यपाल शासन ही लागू होगा। इस दौरान राज्यपाल चाहें तो विधानसभा को निलंबित रखें या भंग करें। इस अवधि के दौरान राज्य विधानमंडल के सभी अधिकार राज्यपाल के पास चले जाते हैं।

इन कारणों से राष्ट्रपति शासन को दिया जा सकता है विस्तार
राष्ट्रपति शासन लागू होने के छह माह के भीतर ही राज्य में नए विधानसभा चुनाव कराना जरूरी है। अगर किन्हीं कारणों से चुनाव न हो सकें तो राष्ट्रपति शासन को अगले छह माह के लिए और विस्तार दिया जा सकता है। हालांकि किसी भी स्थिति में राष्ट्रपति उद्घोषणा तीन साल से ज्यादा देर तक प्रभावी नहीं रह सकती, लेकिन चुनाव आयोग अगर राज्य में चुनाव कराने में दिक्कतों का उल्लेख करते हुए उनकी पुष्टि करे तो यह शासन आगे भी लागू रखा जा सकता है।

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