छत्तीसगढ़ विधानसभा : पार्टी विशेष के लिए मतदान कराने के आरोप में पीठासीन अधिकारी गिरफ्तार

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए दूसरे चरण में मतदान के दौरान पार्टी विशेष के लिए मतदाताओं को वोट कराने के आरोप में पुलिस ने एक पीठासीन अधिकारी को गिरफ्तार किया है। इस मामले को लेकर चुनाव आयोग जांच में जुट गया है।
रायगढ़ के मरवाही में धनौली मतदान केन्द्र संख्या तीन में सुबह से ही मतदाताओं की भीड़ मताधिकार का प्रयोग करने पहुंच रही थी। यहां पर तैनात पीठासीन अधिकारी कमल तिवारी ने मतदाताओं को पार्टी विशेष के लिए मतदान के लिए दबाव बनाया जाने लगा। जिसको लेकर मतदाताओं ने विरोध किया। मामले की जानकारी मिलते ही आम आदमी पार्टी ने जानकारी करते हुए आरोपों को लेकर शिकायत की। शिकायत के आधार पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
सूत्रों की मानें तो पुलिस ने शुरुआती जांच में आरोप सही पाया, जिसके आधार पर उनकी गिरफ्तारी की गई। मरवाही थाना पुलिस ने बताया कि आरोप की जांच की जा रही है। जिसके आधार पर पीठासीन अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहींस मामले को लेकर चुनाव आयोग ने भी जांच शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि, पीठासीन अधिकारी कमल तिवारी पर भाजपा के पक्ष में मतदाताओं को वोट डालने के लिए धमकाया जा रहा था। जिस पर आपत्ती जताते हुए आप पार्टी ने शिकायत की। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 

छत्तीसगढ़ का खैरगढ़ी ऐसा पहला गांव है जहां ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार

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 छत्तीसगढ़ की पूरी 90 विधानसभा में दो चरणों में चुनाव कराया जा रहा है, जिनका द्वितीय चरण का मतदान मंगलवार सुबह से जारी है। इस दौरान प्रदेश में सारंगढ़ विधानसभा की खैरगढ़ी ग्राम पंचायात ऐसी है, जहां चुनाव का बहिष्कार किया जा रहा है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में आने वाला यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं, लोगों के मन में सरकार के प्रति काफी नाराजगी भरी हुई है। खैरगढ़ी गांव में रहने वाले ग्रामीणों का जीवन-यापन सिर्फ खेती-किसानी से जुड़ा हुआ है। जहां सरकार ने नहर परियोजना का निर्माण तो कराया है लेकिन आज तक समय पर सिंचाई के लिए पानी की कोई ब्यवस्था नहीं की गई, जिससे सभी किसान कर्ज से पीड़ित हैं। ऐसी स्थितियों में गांव के लोग घरों में बैठकर चुनाव बहिष्कार करने की रणनीति बनाए हैं, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

खैरगढ़ी गांव सारंगढ़ से लगभग 30 किमी की दूरी में है, यहां आज भी शहर जाना एक सपनों सा बना हुआ है, यहां के लोग आज भी टेक्नोलॉजी से कोसों दूर है, गांव की एकता व एक दूसरे के प्रति जागरूक व प्यार बना हुआ है। यहां के बुजुर्गों के चेहरे में एक मेहनती व ईमानदारी स्प्ष्ट नजर आती है, लेकिन इन गांव वालों की आखिर मांगे क्या हैं, जरूरतें क्या हैं, ये लोग क्यों चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं बहुत बड़ी प्रश्न उठता है?

उल्लेखनीय है कि इनकी रोजमर्रा का एक मात्र साधन है खेती, मौसम के बदलाव की वजह से लगातार दो तीन वर्षों से फसल को लेकर बहुत परेशान हैं। ऐसे स्थितियों में शासन- प्रशासन भी इनका सहयोग करने से कतरा रहे हैं और गोलमोल जवाब देकर घुमाया रहे हैं। शासन-प्रशासन के इशारों को भोली-भाली जनता अब समझ चुकी है, जिसको लेकर मतदान के दिन वोट देने से बहिष्कार कर रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है विशेष दो सूत्रीय मांगों को लेकर बहुतों सालों से जिले के कलेक्टर, राज्य के मुख्यमंत्री और सभी दफ्तरों में अपनी समस्याओं को लेकर गुहार लगाई है। लेकिन आज तक कोई अधिकारी हमारी गुहार नहीं सुनी और अब हमें ऐसा लगता है कि आज भी हम गुलामी की कहर में जिन्दगी जी रहे हैं।

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