पक्की सड़के, पक्के मकान, सरकारी विद्यालय भवन, जिला पंचायत को देते टैक्स फिर भी वनग्राम

कर्तनिया वन्य जीव प्रभाग के ककरहा रेंज के महबूबनगर नगर का मामला

मोतीपुर थाना क्षेत्र के महबूबनगर गांव के वन टांडिया ग्राम होने के कारण नही है राजस्व ग्राम जैसी सुविधायें

मिहींपुरवा/मोतीपुर,बहराइच l कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग अंतर्गत ककरहा वन क्षेत्र के महबूबनगर गांव को वन ग्राम बता ग्राम वासियों को राजस्व ग्राम जैसी सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। ग्रामीणो का कहना है कि हमारे गांव में पक्की सड़कें हैं, पक्के आवास है जिन पर छत भी पड़ी है। सरकारी विद्यालय भवन भी पक्का निर्मित है इन सबके अलावा हमारे गांव से जिला पंचायत कार्यालय बहराइच आवास टैक्स भी वसूल चुका है। जबकि वन ग्राम में न तो पक्की सड़कें होती है ना ही कोई ग्रामीण अपने मकान पर छत डाल सकता है और सरकार किसी तरह का टैक्स भी नही वसूलती। ग्रामीणो का कहना है कि इन सबके बावजूद वन विभाग ने हमारे गांव को वन ग्राम घोषित कर हमसे राजस्व ग्राम जैसी सभी सुविधायें छीन ली जिससे गांव का विकास रुक गया है।

दो हजार की आबादी न कोई सरकारी आवास न शौचालय

महबूबनगर के ग्रामीणों का कहना है कि पहले हम लोग ग्राम प्रधानी चुनाव में मतदान का प्रयोग करते थे किंतु वन ग्राम घोषित होने के बाद हमलोगो का प्रधानी चुनाव में मतदान करना बंद हो गया । वन ग्राम की बात कह कर सरकार की ओर से चलाई जा रही सभी योजनाओं से हम ग्रामीणो को वंचित कर दिया गया है। गांव की आबादी लगभग 2 हजार के करीब है किंतु यहां एक भी सरकारी आवास व एक भी सरकारी शौचालय नही दिये गये हैं।
वन विभाग से जब महबूब नगर में पक्के निर्माण के बाबत जानकारी ली गयी तो विभाग से कोई स्पष्ट जवाब नही मिल सका। प्रभागीय वनाधिकारी कर्तनिया यशवंत सिंह ने कहा कि वन ग्रामों के सभी नागरिकों को मतदान के अधिकार पहले से ही प्राप्त है। वनग्राम के सभी नागरिक मतदान करते हैं। महबूब नगर वनटांडिया ग्राम की श्रेणी में आता है।

डीएफओ बोले महबूबनगर है वन टांडिया ग्राम

डीएफओ कर्तनिया यशवंत सिंह ने बताया कि महबूबनगर सिर्फ वन ग्राम न होकर बल्कि वन टांडिया ग्राम है।
वनटांडिया ग्राम उन गांवो को कहा जाता है जहां पूर्व में जंगल कटान के दौरान श्रमिको को लाकर बसाया जाता था तथा कटान के पश्चात खाली हुई भूमि का प्लांटेशन कर श्रमिको को कृषि करने हेतु भूमि भी आवंटित की जाती थी। सेंच्युरी फारेस्ट घोषित होने के बाद वन टाड़ियां ग्राम के श्रमिक जहां थे वहीं बस गये चूंकि वन टांडिया गांवो में आबादी काफी पहले से ही बसी है इसलिये यह गांवो का स्वरुप वन ग्रामो से थोड़ा भिन्न है।

क्या कहते है ग्राम प्रधान

महबूबनगर से सटा हंसुलिया ग्राम पंचायत के प्रधान प्रियंका रावत कहती है कि वन टांडिया ग्राम होने के कारण महबूबनगर के लिए अलग से कोई बजट नहीं आता है। अपने पास से महबूबनगर के ग्रामीणो हेतु सरकारी नल मरम्मत एंव जल निकासी आदि  कार्य करा दिये जाते है । महबूबनगर भी राजस्व ग्राम घोषित कराने हेतु सर्वे करवाया गया है। राजस्व ग्राम घोषित होने के बाद ही महबूबनगर में सरकारी आवास समेत सभी योजनाओं का संचालन किया जा सकेगा।

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