मुख्य न्यायधीश को ज्ञान देने वाले दर्जन भर सेवानिवृत्त न्यायधीशों पर लगा सवालिया निशान

उत्तरप्रदेश में बुलडोजर कार्यवाही पर रोक लगाने की लगाई थी गुहार

न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता को प्रभावित करने का प्रयास: आरबी शर्मा

भास्कर ब्यूरो
नई दिल्ली। हाल ही में एक दर्जन सेवानिवृत्त न्यायधीशों ने देश के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर उत्तरप्रदेश में बुलडोजर की कार्यवाही पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है, इसके इतर एक अन्य सेवानिवृत्त न्यायधीश आरबी शर्मा ने इस मांग को गैर जिम्मेदाराना करार देते हुए कहा है कि इस प्रकार का पत्र लिखना भारत के मुख्य न्यायधीश पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं निष्ठा को प्रभावित करने का प्रयास है। इसकी जितनी भी आलोचना की जाए वह कम है। यहां जारी एक बयान में ग्रेटर नोएडा निवासी सेवानिवृत्त न्यायधीश ने कहा कि पत्र लिखने वाले सभी माननीय न्यायधीश रह चुके हैं और न्यायपालिका के आदर्शों एवं संवैधानिक दायित्वों का ज्ञान भी रखते हैं। उन्होंने सीजेआई को पत्र लिखने वाले न्यायधीशों को उनके दायित्वों का स्मरण कराते हुए कहा कि न्यायालय से न्याय पाने के लिए एक संवैधानिक और निर्धारित प्रक्रिया होती है। इससे हटकर किसी भी प्रकार से न्यायपालिका को प्रभावित करने का प्रयास न्यायपालिका की निष्पक्षता को हतोत्साहित करना है। श्री शर्मा ने कहा कि सामूहिक रुप से मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखना न्याय संगत नही कहा जा सकता। सेवानिवृत्त न्यायधीश ने अपने बयान में कहा कि इस प्रकार का पत्र लिखना व प्रकाशित कराना महज एक सस्ती लोकप्रियता व राजनीतिक लाभ अर्जित करने की भावना की तरफ इशारा करता है। उन्होंने सभी एक दर्जन न्यायधीशों को मर्यादा में रहने की सलाह देते हुए कहा कि इस प्रकार की सस्ती लोकप्रियता के हथकंडो से हमेशा दूर रहने की जरूरत है, कारण आम जनता हमारे आचरण एवं कृत्यों से ही हमारा आशय और छिपे हुए मोटिव का निष्कर्ष निकाल लेती है।

कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर चुप्पी क्यों

सेवानिवृत्त न्यायधीश आरबी शर्मा ने कश्मीर में निर्दोष पंडितों के नरसंहार को लेकर तंज कसते हुए कहा कि उस समय मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखने की हिम्मत इन सेवानिवृत्त न्यायधीशों ने क्यों नही जुटाई। उन्होंने कहा कि कश्मीर में तो निर्दोष इंसानों की हत्याएं हो रही है, जबकि बुलडोजर तो केवल ईटों के मकानों पर चलता है। उन्होंने सवाल किया क्या माननीय न्यायधीशों के लिए मिट्टी निर्मित ईटों की कीमत निर्दोष इंसानों के जीवन से भी अधिक है।

चुनी हुई सोच को दे तिलांजलि

मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखने वाले एक दर्जन सेवानिवृत्त न्यायधीशों को आत्ममंथन करने के लिए आग्रह करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि इस प्रकार की सोच से दूरी बनाए ताकि आम जनता में न्यायपालिका के प्रति विश्वास बना रहे, इससे देश की एकता और अखंडता भी मजबूत होगी।

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