नहीं रहे हिंदी साहित्य के दीप्तिमान नक्षत्र डा.उदयभान मिश्र

गोपाल त्रिपाठी
 शायद मेरा खत उन्हें नहीं मिला!
शायद मेरी याद, उन्हें नहीं आयी,
शायद वे व्यस्त है, जरूर लिखेंगे मुझे,
शायद वे नहीं लिखेंगे, शायद वे भूल जाना चाहते है मुझे
गोरखपुर। ये रचना डा.उदयभान मिश्र के हैं जो अब हमारे बीच नहीं रहे। भारत सरकार के प्रकाशन विभाग, दूरदर्शन और आकाशवाणी जैसे प्रतिष्ठित तीनों संचार माध्यमों में अपनी सेवाएं देते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में भी खूब नाम कमाया। गंवई परिवेश में पले बढे डा.मिश्र ने देश ही नहीं विदेशों में भी हिंदी साहित्य का परचम लहराया। यूं कहें वे हिंदी साहित्य के दीप्तिमान नक्षत्र थे। बीमारी के चलते सोमवार की रात 85 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पैतृक गांव बसावनपुर में अंतिम सांस ली। उनके निधन से हिंदी साहित्य को गहरी क्षति पहुंची है।
 
जीवन परिचय-  15 फरवरी 1937 को गोरखपुर जनपद के बडहलगंज क्षेत्र स्थित  बसावनपुर में जन्मे डा. मिश्र ने आगरा विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद भारत सरकार की प्रकाशन विभाग की पत्रिका “आजकल” में संपादकीय का कार्य शुरू किया। इसके बाद 2 अप्रैल 1975 को आकाशवाणी दिल्ली में बतौर कार्यक्रम अधिकारी नौकरी संभाली। उसके बाद पदोन्नति पाते हुए गोरखपुर, दिल्ली, उदयपुर, लखनऊ आदि के आकाशवाणी और दूरदर्शन केंद्रों पर निदेशक के रूप में अपनी सेवाएँ दीं।
28फरवरी 1995 को आकाशवाणी गोरखपुर से वे 31 साल की सेवा के बाद केन्द्र निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। गोरखपुर में स्थाई रूप से रहते हुए उन्होंने अब तक कविता, कहानियाँ, उपन्यास, यात्रा वृतांत, आलोचना सम्बन्धित लगभग दो दर्जन पुस्तकें लिखीं। अभी भी उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं। चमत्कृत कर देने वाली उनकी भाषा शैली और उनका ओजपूर्ण संवाद किसी को भी उनकी ओर सहज ही सम्मोहित कर लेती है। अपने जीवनकाल में उन्होंने उड़ते बादल, उड़ता गुलाब, साधना के दीप, मेरी कहानी सिर्फ मेरी नहीं, सिद्धयुग के महादूत जैसी दर्जन भर साहित्यिक पुस्तकों का सृजन किया, जिसको साहित्य जगत में काफी ख्याति मिली।
ये मिला सम्मान- अंचल श्री, भोजपुरी रत्न, अज्ञेय सम्मान, सारस्वत सम्मान आदि उपाधियों से अलंकृत
स्ंापादन- ‘कलरव’ मासिक, साप्ताहिक ‘प्रकाश’, ‘समीक्षक’ पत्रों का समय-समय पर संपादन
सम्प्रति- ‘सिद्धवास’ सांस्कृतिक मंच की स्थापना और संचालन
कृतियाँ
कविता संग्रह
‘साधना का दीप’ प्रकाशन वर्ष 1952
‘उड़ते बादल’ प्रकाशन वर्ष 1953
‘गीतों का हमला’ प्रकाशन वर्ष 1957
‘सिर्फ एक गुलाब के लिए’ प्रकाशन वर्ष 1963
‘वे और ही दिन थे’ प्रकाशन वर्ष 2000
‘चलों घर चलें’ प्रकाशन वर्ष 2006
‘कितना दूर है पटना घाट’ प्रकाशन वर्ष २०११
उपन्यास
‘नंगी आवाजें’ प्रकाशन वर्ष 1964
‘कहानी सिर्फ मेरी ही नहीं (स्मृति आख्यान)’ प्रकाशन वर्ष २००५
कहानी संग्रह
‘माधवी’ (प्रेस में)
यात्रा वृत्तांत
‘तीन सागर तेरह नदियां’ प्रकाशन वर्ष 2006
‘रामग्राम से कामाख्या तक’ प्रकाशन वर्ष 2007
आलोचना
‘कलम जो लिखती रही’ (प्रकाशनाधीन)
‘मानस को पढ़ते हुए’ (अप्रकाशित)
‘हिंदी और बंगला की आधुनिक कविता’ (शोधग्रंथ) (अप्रकाशित)
अनुवाद
‘बापू जी’ (बंगला बाल कविताओं का हिंदी कविता में अनुवाद) प्रकाशन वर्ष 1961
मुक्तिपथ पर हुआ अंतिम संस्कार
प्रख्यात साहित्यकार डा.उदयभान मिश्र का अंतिम संस्कार मंगलवार को सरयू तट स्थित मुक्तिपथ पर किया गया। दाह संस्कार के उनके अनुज पूर्व ग्राम प्रधान चंद्रभान मिश्र ने दी। उनके निधन पर पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी, पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी, विधायक डा.राधा मोहन दास अग्रवाल, चिल्लूपार विधायक विनय शंकर तिवारी, पूर्व ब्लाक प्रमुख राजबहादुर सिंह, विजय कुमार यादव, प्रेमशंकर मिश्र, नागेंद्र सिंह, डा.संजय कुमार सहित अन्य लोगों ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी।

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