माह-ए-रमजान : सिर्फ खाना और पानी नहीं, झूठ और गुस्से जैसी बातों का भी रोजा

रहमतों और बरकतों का महीना रमजान मंगलवार से शुरू हो रहा है। रविवार को चांद दिखाई नहीं देने के कारण माह-ए-रमजान अब मंगलवार से शुरू होगा।  रमजान के इस पूरे महीने में लोग रोजा रखेंगे और जकात और खैरात देंगे। पहला रोजा करीब 15 घंटे का रहेगा।

इस चिल्लचिलाती गर्मी में रोजा रखना मोमिनों के लिए इम्तेहान की घड़ी है। कई नन्हें नन्हें बच्चे कल पहली बार रोजा रखेंगे। मंगलवार अलसुबह 4.27 बजे से पहला रोजा शुरू हो जायेगा। जो शाम 7.15 रोजा इफ्तारी के साथ खत्म होगा। यह सिलसिला पूरे महीने भर ईद का चांद दिखाई देने तक चलेगा। सोमवार रात तरावीह होगी। शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में रविवार को ही रमजान की तैयारियां शुरू कर दी गई। आज भी इन इलाकों में रमजान की रौनक दिखाई दे रही है।

रमजान के महीने में तरावीह :

चांद दिखने के बाद जिस दिन चांद दिखता है उस दिन रोजेदार रात की अंतिम और पांचवीं नमाज इशा की 17 रकात नमाज के बाद 20 रकात तरावीह की विशेष नमाज पढ़ते हैं। इसमें कुरान शरीफ पढ़ा जाता है। रमजान का महीना खत्म होने और ईद से पहले हर रात तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है।

रोजा और रोजेदार :  रोजों के दौरान रोजेदार सुबह 3 बजे उठ कर सेहरी करते हैं यानि भोजन पानी आदि का सेवन करते हैं। सुबह फज्र की  नमाज से पहले तक तयशुदा वक्त तक सेहरी का समय होता है। रोजेदार पूरे दिन निराहार और निर्जल रहते हैं और किसी तरह की गंध से भी बचते हैं। वहीं सभी रोजेदार पूरे दिन पांच वक्त नमाज पढ़ते और कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं। रोजेदार दिन की चौथी और सूर्यास्त के बाद होने वाली मगरिब की नमाज से फौरन पहले तयशुदा समय पर खजूर से रोजा खोलते हैं।

इस दौरान जितना समय होता है उसके अनुरूप शरबत शिकंजी या रसीले फलों का जल्दी से सेवन करते हैं। इसके तत्काल बाद मगरिब की नमाज अदा की जाती है। वे नमाज के बाद केवल रात तक कभी भी खाना खा सकते हैं। इसके बाद इशा की नमाज अदा की जाती है और तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है।

रमजान में होंगे चार जुमे
मौलाना सुफियान निजामी ने बताया कि रमजान का पहला जुमा 10 मई को होगा, जबकि दूसरा 17 मई, तीसरा 24 मई और आखरी जुमा 31 मई को होगा।

तीन हिस्सों में बंटता है रमजान
माह-ए-रमजान मुबारक को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला खंड 1 से 10 रोजे तक होगा। इसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर है। इसके बाद दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) के और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है।

बरते ये सावधानियां

 

खजूर की जगह फल और सब्जियां लेना अत्यधिक लाभकारक साबित होता है। इसके अलावा रमजान के महीने में रोजा रखने के दौरान लोगों को कई कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे रमजान के महीने में एक मुसलमान को रोजे के दौरान खान-पान से बचना चाहिए, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए और सादगी से रहना चाहिए। वक्त पर नमाज पढ़नी चाहिए और कुरआन में कही गई बातों को जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।

 

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