
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में कुलपति ने किया ध्वजारोहण
प्रयागराज।
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मंगलवार को कुलपति माननीय प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा देश आन, बान, शान का प्रतीक है। राष्ट्रीय ध्वज हमारी अस्मिता का प्रतीक है। हमारा लोकतंत्र दुनिया का आदर्श लोकतंत्र है।आज दुनिया यह सोचने लगी है तथा यह स्वीकार करने लगी है कि शांति का मार्ग भारत की गर्भनाल से ही निकलेगा। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हमारे लिए राष्ट्र तथा संविधान प्रथम है। यह देश किसी के दबाव, प्रभाव,अभाव में नहीं बल्कि संविधान के अनुसार चलेगा। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश असीम उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस मना रहा है। देश के उत्साह के साथ विश्वविद्यालय परिवार भी आगे बढ़ रहा है। यह मात्र एक पर्व का दिन नहीं है बल्कि यह हमारे लिए समर्पण, शौर्य और साहस का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संविधान आज के दिन क्रियान्वित हुआ और जो संविधान हमारे सामने क्रियान्वित हुआ, वह आज हमारे समक्ष है।
कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि यह केवल हमारे लिए 395 आर्टिकल, 22 भाग एवं 8 अनुसूचियों का संग्रह मात्र नहीं है। न हीं वह कुछ पेजों का संग्रह है बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि यह देश किसी व्यक्ति का नहीं, किसी समूह विशेष का नहीं, किसी क्षेत्र विशेष का नहीं बल्कि यह देश कानून एवं विधि के अनुसार स्थापित होगा। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हम अपने उच्च आदर्शों को लेकर निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद अनेकानेक उपलब्धियां हमारे सामने हैं। इन उपलब्धियों पर गर्व और गौरव करना, उनको दोहराना और उनको उत्साह के साथ मनाना आज समय की आवश्यकता है। प्रोफेसर सिंह ने सचेत किया कि यह आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि जो राष्ट्र विरोधी ताकतें हैं उनके मंसूबे सफल न हों। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस देश की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारा लोकतंत्र है। जो लोग आज तक ये दंभ भरते थे कि लोकतंत्र का जन्म यूरोप की गोद से हुआ है, आज उनके मंसूबे फेल हो रहे हैं और हमारा लोकतंत्र दुनिया का आदर्श लोकतंत्र सिद्ध हुआ है।
कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में जो परिवर्तन हुए हैं, वह दुनिया में बेमिसाल हैं। इतना बड़ा शैक्षिक ढांचा दुनिया के किसी दूसरे देश में नहीं हैं। आजादी के समय देश में केवल 20 विश्वविद्यालय थे। आज हमारे देश में 900 विश्वविद्यालय और लगभग 55000 डिग्री कॉलेज हैं।वसुधैव कुटुंबकम की भावना हमारा उच्च आदर्श है।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हमने यह भी मिसाल कायम की है कि दुनिया भले इस कोरोना महामारी से भयाक्रांत हो जाए, त्राहिमाम-त्राहिमाम करने लगे लेकिन इस कालखंड में भी भारत ने जो संयम दिखाया है और जिस भाव भावना से कोरोना के खिलाफ भारत खड़ा हुआ है वह भी एक मिसाल है।
विश्वविद्यालय परिवार को संबोधित करते हुए प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हम समाज हित और राष्ट्र हित में अपने निहितार्थों और स्वार्थों का त्याग करते हुए समाज हित और राष्ट्र हित में अपने को लगाएं और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि मानें। हमारे लिए राष्ट्र प्रथम है और संविधान प्रथम है। मीडिया प्रभारी डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सिंह ने विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों से मिलकर उन्हें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी।










