अयोध्या आंदोलन में लगे दल को श्रेय लेने का हक: चम्पत राय

मंदिर-निर्माण पर मोदी-योगी का भाजपा को श्रेय देने के सवाल पर बोले विहिप पुरोधा

चम्पत राय

हेमेन्द्र तोमर

अयोध्या। जब भी इस जिले की बात आती है, तो राम मंदिर की बात पहले आती है। और जब राम मंदिर की बात आती है तो अब उससे जुड़े ट्रस्ट की बात आती है। और, राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट के प्रमुख चंपत राय के बगैर इस मंदिर निर्माण की नीति के बारे में कुछ कहना व्यर्थ सा है। विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता चंपत राय ने दैनिक भास्कर के कई सवालों पर बेबाक बातचीत की। प्रस्तुत है, उसके अंश:-

दैनिक भास्करराम मंदिर निर्माण किसकी देन? कोर्ट की या भाजपा की?

चंपत राय: यह समाज की जागृत शक्ति की देन है। हिंदू जनता की अंतर्शक्ति का परिणाम है यह। और जिस किसी ने भी मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया है, उसको श्रेय लेना भी चाहिए। इस काम में जिन संस्थाओं ने या जिस दल ने अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरणा दी वह यश ले रहे तो कोई गलत बात नहीं।

दैनिक भास्कर:-  योगी जी का कहना है कि अयोध्या में इतना काम होगा कि लोग यहां आकर कहेंगे कि मुस्कुराइए कि हम अयोध्या में हैं। लेकिन वह समय कब आएगा?

चंपत राय:  अयोध्या में इस 1 जनवरी, 2022 को 1 लाख 18 हजार लोग रामलला के दर्शन के लिए आए। जबकि उस दिन कोई त्यौहार नहीं था और यह स्पष्ट करता है कि अयोध्या में आने पर लोग अभी से मुस्कुराने लगे हैं। राम मंदिर निर्माण के साथ ही लोग भी और अयोध्या भी मुस्कुराने लगी है।

काशीमथुरा की ओर रुख होगा राम मंदिर पूरा बन जाने के बाद ही।

दैनिक भास्कर: अयोध्या की सफलता के बाद अब विहिप के लिए पहले काशी विश्वनाथ या मथुरा कृष्ण जन्म भूमि का मुद्दा?

चंपत राय: समझदारी केवल इसी बात में है कि पहले एक पैर ठीक से जम जाए, तभी दूसरा पैर आगे बढ़ाया जाए। इसलिए पहले राम मंदिर पूरी भव्यता और सुदृढ़ता के साथ बन जाए, उसके बाद अगले चरण देखे जाएंगे क्योंकि दिसंबर, 2023 का जो समय राम मंदिर निर्माण के लिए पूर्ण होने का लक्ष्य है, उसके बाद ही अगले लक्ष्य की ओर बढ़ना ठीक रहेगा।

वर्ष 2014 से हिंदुओं का रक्त संचार ठीक होने से हिंदू-मुसलमान हो रहा

दैनिक भास्कर: यह चर्चा ज्यादा होने लगी है कि देश में 2014 के बाद से हिंदू-मुसलमान बहुत ज्यादा होने लगा है, मतलब मोदी के पीएम बनने के बाद से। इस बारे में विहिप क्या सोचती है?

चंपत राय: दरअसल हिंदू समाज के अंदर रक्त संचार बंद सा कर दिया गया था इसलिए उसको चुभन व दर्द का अनुभव नहीं हो पा रहा था। राम जन्मभूमि आंदोलन से हिंदुओं के प्रत्येक अंग में रक्त संचार प्रवाहित होने लगा और 2014 के बाद से उसे और प्रभावी बल मिला इसलिए अपनी प्रताड़ना पर वह खुलकर प्रतिक्रिया करने लगा है। वर्ष 2014 में उसे मिली शक्ति से गतिमय रक्त संचार के प्रवाह का यह परिणाम है। जो अब थमने वाला नहीं।

राम मंदिर परिसर में नहीं लिखा जाएगा किसी भी दानदाता का नाम

दैनिक भास्कर:  मंदिर निर्माण के कुछ वैशिष्ट्य के बारे में बताएं।

चंपत राय : दिसंबर, 2023 तक मंदिर निर्माण पूर्ण होने की संभावना है।  कुल 70 एकड़ के भूखंड में 33 फ़ीसदी में भवन निर्माण होगा। बाकी में हरियाली और वृक्ष होंगे। वृक्ष भी वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित 350 में से वे 250 वृक्ष होंगे, जो यहां की जलवायु में रह सकें। कुल 400 खंभों पर बना यह मंदिर ढाई एकड़ में होगा। और हां, यह जो बात सामने आ रही है कि दानदाताओं का नाम भी परिसर में उल्लिखित होगा, यह सत्य नहीं है। कुल 11 करोड़ दानदाताओं का नाम लिखा जाना संभव न होगा। कोई तन से, कोई मन से और कोई धन से लगा है और सब के काम को प्रभु श्री राम देख रहे हैं।

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