स्किल : आधारित उच्च शिक्षा ही देश का भविष्य- प्रो. सुप्रिया पटनायक, वाइस चांसलर, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी

सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक कम-से-कम 50 प्रतिशत स्कूली छात्र-छात्राओं को स्किल प्रशिक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाना है। क्या आपको भारत में उच्च शिक्षा में इस तरह की पहल की आवश्यकता महसूस होती है?

प्रो. पटनायक : स्कूली छात्रों के लिए स्किल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करने के सरकार के कदम का देश के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। यह छात्रों को अपने चुने हुए करियर में उपयोग की जाने वाली तकनीक के साथ बढ़त हासिल करने और सहज होने में सक्षम बनाएगा, जिससे उन्हें अपने करियर को और बेहतर करने में मदद मिलेगी। हालांकि, एक स्किल-एकीकृत मॉडल उच्च शिक्षा में अधिक महत्व रखता है। अधिकांश अवसरों पर देखा गया है कि जो छात्र सैद्धांतिक ज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, उनका करियर ग्रोथ धीमा रहता है क्योंकि उन्हें डिग्री के बाद नौकरी के लिए जरूरी व्यावहारिक पहलू सीखने में अधिक समय लगाना पड़ता है।

मैं कहूंगी कि विश्वविद्यालयों को इंडस्ट्री के लिए कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए स्टुडेंट्स को जरूरी कौशल-आधारित प्रशिक्षण, विनिर्माण प्रक्रियाओं का व्यापक अनुभव और अभ्यास-उन्मुख प्रशिक्षण एक साथ देने की आवश्यकता है। आज, हमें व्यावहारिक अनुभव, लाइव-प्रॉडक्शन और एक्शन लर्निंग के साथ स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि मार्किट एवं उद्योग में हो रहे नए परिवर्तनों से अवगत रहें, और अवसर मिलने पर आत्मविश्वास के साथ काम कर सकें।

यह अधिक उद्यमियों को तैयार करने का भी एक शानदार तरीका है क्योंकि इससे स्टुडेंट्स किसी व्यवसाय की कार्यप्रणाली को समझने के लिए किसी कंपनी में वर्षों तक काम करने के बजाय सीधे अपना उद्यम शुरू करने में सक्षम होंगे। सेंचुरियन विश्वविद्यालय में हमने वास्तव में एक दशक से अधिक समय से प्रदर्शित किया है कि सही कदमों और साझेदारियों की बदौलत एक सैद्धांतिक प्लस उद्योग-केंद्रित व्यावहारिक शिक्षण मॉडल संभव है।

उद्योग के लिए कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए किसी संस्थान में जरूरी उच्च शिक्षा की क्या शर्तें हैं? किस प्रकार के शिक्षण मॉडल की आवश्यकता है?

प्रो. पटनायक : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने उद्योग, शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से सबके सामने रखा है। अनुसंधान-आधारित शिक्षा के एकीकरण को प्रोत्साहित करते हुए, यह क्रिटिकल थिंकिंग, हमेशा प्रश्न करने की भावना और समस्या सुलझाने के कौशल को भी बढ़ावा देता है। मौजूदा समय में कौशल एकीकृत उच्च शिक्षा की आवश्यकता है जहां स्टुडेंट्स विश्वविद्यालयी शिक्षा के दौरान उद्योग-अनुभव से व्यावहारिक ज्ञान हासिल करते हैं। विश्व

विद्यालय-परिसर को प्रशिक्षण मैदान में बदलना समय की मांग है। ऐसा टिकाऊ आजीविका मॉडल सभी भौगोलिक क्षेत्रों में स्टुडेंट्स को रोजगार योग्य बनाने में प्रभावशाली हो सकता है। सेंचुरियन यूनिवर्सिटी में हमारे पास स्टुडेंट्स को उद्योग का रियल टाइम अनुभव देने के लिए परिसर में 50 से अधिक विनिर्माण सेटअप और उन्नत उद्योग-प्रायोजित प्रयोगशालाएं हैं। यहां स्टुडेंट्स को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है और वे इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार होते हैं। हम सामाजिक प्रभाव वाली परियोजनाएं भी चलाते हैं जिनसे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा जगत और उद्योगों को गतिशील कार्यस्थलों के लिए स्टुडेंट्स को कुशल कार्यबल बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए विश्वविद्यालयों को क्या करना चाहिए?

प्रो. पटनायक : विशेषज्ञ इस दिशा में आगे बढऩे के लिए शिक्षा जगत और उद्योगों में सहयोग की सही बात कर रहे हैं। सेंचुरियन इसमें अग्रणी रहा है क्योंकि हमने कौशल-आधारित शिक्षा को विकसित करने के आदर्श वाक्य के साथ विश्वविद्यालय की स्थापना की है। हम 120 कौशल पाठ्यक्रमों और 45 डोमेन में विशेषज्ञता प्रदान करते हैं जो स्टुडेंट्स को मनपसंद करियर-चुनाव का पर्याप्त विकल्प देते हैं। सेंचुरियन विश्वविद्यालय की विनिर्माण इकाइयां स्टुडेंट्स के लिए प्रशिक्षण-आधार बन जाती हैं जहां लाइव-लैब्स में व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलता है। ये विनिर्माण इकाइयां और प्रयोगशालाएं उद्योग-अकादमिक सहयोग का एक आदर्श उदाहरण हैं जो यामाहा, दसॉल्ट सिस्टम्स और श्नाइडर इलेक्ट्रिक जैसी बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी में स्थापित की गई हैं।

कृषि में पाठ्यक्रम करने वाले हमारे छात्र पॉलीहाउस, टिशू कल्चर, ड्रोन छिड़काव और स्वचालन जैसी खेती की नवीनतम तकनीकों के बारे में सीखते हैं। यहांखेती को एक उद्यम के रूप में मानकर स्ट्डेंट्स सीखते हैं कि उपज को सर्वोत्तम कीमत देने वाले बाजारों तक ले जाने के लिए इस ज्ञान का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए। इसी तरह, किसी भी स्ट्रीम में इंजीनियरिंग करने वालों को जरूरी रियल टाइम उद्योग का अनुभव मिलता है। यह बहु-विषयक दृष्टिकोण उन्हें पासआउट होने पर पूरे आत्मविश्वास से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है। विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि के स्टुडेंट्स यहां प्रमाणपत्र, डिप्लोमा और डिग्री प्रदान करने वाले पाठ्यक्रमों से लाभ उठा सकते हैं। अन्य विश्वविद्यालयों की इसी तरह की सोच हमें उद्योग के लिए कुशल कार्यबल के सपने को कल्पना से भी जल्दी साकार करने में मदद करेगी।

यदि हम इंडस्ट्री 4.0 के लिए कुशल कार्यबल के संदर्भ में बात करें तो किन प्रमुख उद्योगों में किस कौशल की सबसे अधिक मांग है?

प्रो. पटनायक : वर्तमान में डिजिटलीकरण, प्रौद्योगिकी की मदद से उद्योगों में क्रांति लाने पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है और इसमें सबसे अधिक चर्चा हो रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) की। विभिन्न क्षेत्रों में इन प्रौद्योगिकियों का व्यापक उपयोग उन्हें और अधिक मांग वाला बनाता है। कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में नए युग के कौशल जैसे मेटावर्स टेक्नोलॉजीज (एआर/वीआर), डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, गेमिंग, क्लाउड टेक्नोलॉजी आदि की काफी मांग है। इस समय उद्योग में प्रवेश करने वाले स्टुडेंट्स को उनके साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। कोर

इंजीनियरिंग क्षेत्रों में, ऑटोमोटिव डिजाइन, ई रिक्शा निर्माण, पारंपरिक और सीएनसी मशीन, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, 5 एक्सिस, 7 एक्सिस, कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, 3डी डिजाइन, एंबेडेड सिस्टम और आईओटी, चिप फैब्रिकेशन, नवीकरणीय ऊर्जा अनुप्रयोग, औद्योगिक स्वचालन का ज्ञान, सौर विनिर्माण, स्मार्ट सिटी कौशल सबसे अधिक मांग वाले हैं। खेती की प्रक्रियाओं में भी भारी बदलाव आया है। ऐसे में जो स्टुडेंट्स पुरानी खेती के तरीकों में बदलाव लाना चाहते हैं, उन्हें कृषि, स्मार्ट कृषि, संरक्षित बागवानी, कमोडिटी और खाद्य भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण आदि में ड्रोन का उपयोग सीखना होगा। इन भविष्यवादी कौशल और विशेषज्ञता के साथ ही स्टुडेंट्स इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार हो पाएंगे।

किसी विश्वविद्यालय के लिए सतत विकास लक्ष्य क्यों आवश्यक हैं?

प्रो. पटनायक : हम सभी के पास एक ही ग्रह है और जिस तरह का जलवायु परिवर्तन, खतरनाक प्रदूषण स्तर और घटते संसाधनों से हमारा सामना हो रहा है, विश्वविद्यालयों के लिए सतत विकास लक्ष्यों पर काम करना और भी जरूरी हो गया है, क्योंकि इसी से धरती पर हमारा समय सुखद हो पाएगा। सेंचुरियन यूनिवर्सिटी में हम 17 में से 12 एसडीजी कार्यक्रमों पर काम कर रहे हैं जैसे गरीबी उन्मूलन, भुखमरी, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वच्छ पानी, उद्योग नवाचार, जलवायु कार्रवाई, लक्ष्य के लिए साझेदारी आदि। हमारे बहु-आयामी दृष्टिकोण में सामाजिक पहल भी शामिल है जहां विविध प्रकार के मुद्दों पर काम किया जाता है।

सेंचुरियन विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा के बारे में बताएं। सीयूटीएम के स्टुडेंट्स अन्य विश्वविद्यालयों के पूर्व स्टुडेंट्स से कैसे अलग हैं?

प्रो. पटनायक : सेंचुरियन विश्वविद्यालय की स्थापना लगभग 12 साल पहले हुई थी जब हमने ओडिशा के सुदूर जिले में एक असफल इंजीनियरिंग परिसर का अधिग्रहण किया था। उच्च शिक्षा के सिलसिले में वो अधिकांश स्टुडेंट्स के लिए पहला बैच था। उनके लिए सैद्धांतिक ज्ञान से कहीं अधिक पारंपरिक कक्षा शिक्षण दृष्टिकोण अनावश्यक था। तब हमने लाइव-प्रॉडक्शन के जरिये अभ्यास-उन्मुख प्रशिक्षण, एप्लाइड लर्निंग, एक्शन लर्निंग की शुरुआत की और इसने कौशल-एकीकृत उच्च शिक्षा की नींव रखी जहां हमने स्टुडेंट्स को साक्षरता और संख्यात्मकता से कहीं अधिक सिखाया। वे तकनीकी डोमेन कौशल, जीवन कौशल, व्यावसायिक कौशल और उद्यमिता कौशल भी सीख रहे हैं। हमारे कई परिसर उन स्टुडेंट्स की जरूरतों को पूरा करते हैं जो अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के समय तक उद्योग के लिए कुशल कार्यबल होना चाहते हैं।

सीयूटीएम 10वीं कक्षा स्टुडेंट्स को पीएचडी तक की शिक्षा के लिए लैटरल एंट्री ऑफर करता है। इस मॉडल में प्रवेश एवं निकास (पढ़ाई शुरू करने एवं पढ़ाई छोडऩे) के बहुविकल्प स्टुडेंट्स के लिए कितना हेल्पफुल हैं?

प्रो. पटनायक : सीयूटीएम की स्थापना हाशिये पर रहने वाले वर्गों के स्टुडेंट्स को उद्योग एकीकृत शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी। ऐसे स्टुडेंट्स को अक्सर धन की कमी या आजीविका के अभाव में पढ़ाई छोडऩी पड़ती है। आईटीआई सहित हमारे अल्पकालिक प्रमाणपत्र और डिप्लोमा पाठ्यक्रम 10वीं पास स्टुडेंट्स को उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकल्प चुनने में मदद करते हैं। ड्रॉपआउट्स स्टुडेंट्स के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल प्रवेश और निकास के बहुविकल्प उपलब्ध कराता है और यह विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली उन्हें क्रेडिट जमा करने और अपनी गति से योग्यता अर्जित करने की सुविधा प्रदान करती है। आरपीएल और वर्क एकीकृत कार्यक्रमों से उन्हें आजीवन आय के अवसर मिलते हैं। इस प्रकार यहां स्टुडेंट्स डिग्री, मास्टर कोर्स और पीएचडी भी कर सकते हैं जो अपने स्वरूप में एक छोटा उद्यमी भी हैं।

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