
जय श्री राम! चिन्मय मिशन दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित, अयोध्या धाम में श्री राम कथा शिविर पूरी धूम-धाम और गहन अध्यात्म अध्ययन में अविरत है।
शिविर के दूसरे दिन, श्रीरामचरितमानस में आगे बढ़ते हुए स्वामीजी ने मुख्य रूप से देवी सती और भगवान शिव के प्रसंग का अवलोकन किया। देवी सती द्वारा ली गई भगवान राम की परीक्षा के संदर्भ में, स्वामीजी ने इस तथ्य को प्रतिष्ठित किया कि ईश्वर परीक्षा का नहीं अपितु जिज्ञासा का विषय है। परीक्षा का जन्म संशय से होता है, और परीक्षण उसका होता है जो हमारी सीमित इंद्रियों से जाना जा सके। इसके विपरीत, अध्यात्म में जिज्ञासा का आधार श्रद्धा एवं सत्संग श्रवण होता है। देवी सती की माता पार्वती बनने तक की यात्रा वास्तव में एक साधक की ही यात्रा है, संशय से श्रद्धापूर्ण जिज्ञासा की ओर, अहंकार से ईश्वर-शरणागति की ओर।
आगे बढ़कर, श्री नारद मोह की कथा बताते हुए स्वामीजी ने श्रोताओं के मन में इस बात का गूढ़ प्रस्थापन किया, कि हमारे अंदर के सद्गुण तथा दुर्गुणों पर विजय, भगवान के कारण ही है। यदि हमारा अपने सद्गुणों पर अभिमान हो जाता है, तो उस अहंकार से हम सभी दुर्गुणों अंततोगत्वा पुनः गिर पड़ते हैं। ईश्वर को ही समर्पित रहते हुए, तथा उनका स्मरण करते हुए जीवन यापन करना, यही आदर्श जीवनशैली है। स्वामीजी ने ज़ोर देते हुए इस बात को रखा कि, “जीव का प्रयोजन अपने मिथ्या बढ़ाई को थोपना नहीं, अपितु ईश्वर की ही महिमा को प्रगट करना है।”

शिविर में आए सभी लाभार्थी इस आयोजन का पूर्ण आनंद ले रहे हैं। प्रतिदिन शिविर के सभी श्रोताओं के लिए स्वादिष्ट और दिव्य महाप्रसाद का तीनों समय प्रबंध है। साथ ही, सभी शिविरार्थी भगवान श्री राम लल्ला तथा भव्य राम मंदिर का दर्शन प्राप्त करके अत्यंत हर्ष और अनुग्रह का अनुभव कर रहे हैं। स्वामीजी के साथ अनौपचारिक रूप से भी श्रोताओं को भेंट करने तथा प्रश्नोत्तर करने का अवसर मिलता है। सभी भक्तगण चिन्मय मिशन वैश्विक संस्था की इस सुंदर धरोहर में स्नान करके धन्य हैं, और अयोध्या धाम में आकर अत्यंत प्रसन्नचित्त हैं!
दैनिक भास्कर उत्साह के साथ यह सूचनाएं एवं कथा के विशेष बिंदु प्रतिदिन आप तक पहुंचाता रहेगा! हमारे साथ जुड़े रहें! जय श्री राम!










