प्राइवेट स्कूलों में अनेक शुल्क के नाम पर हो रहा अभिभावकों का शोषण

क़ुतुब अंसारी
बहराइच l  तहसील नानपारा एवं मोतीपुर क्षेत्र मे अच्छी शिक्षा देने के नाम पर छोटे-बड़े दर्जनों इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालित है। इन स्कूलों मे प्रवेश एवं शिक्षण एवं विकास शुल्क के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों रूपये अभिभावकों से वसूला जाता हैं। इसके बाद स्कूल प्रबंधक द्वारा शिक्षण सामग्री व ड्रेस के नाम पर जमकर शोषण किया जाता हैं। स्थिति यह है कि प्राइमरी एवं जूनियर कक्षाओं के बच्चो की एक पुस्तक का मूल्य पांच सौ रूपये तक वसूला जा रहा हैं। बहराइच बेसिक शिक्षा मंत्री का गृह जनपद है। इसके बावजूद स्कूल संचालक बेखौफ होकर शिक्षा की दुकाने चला रहे हैं, लेकिन आमजन की इस गंभीर समस्या की ओर किसी का ध्यान नही जाता।
क्षेत्र  में लगभग एक दर्जन नामी-गिरामी स्कूलों के साथ-साथ दर्जनों अन्य इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों मे प्रवेश व शिक्षण तथा विकास शुल्क के नाम पर अभिभावकों से प्रतिवर्ष हजारों रूपये वसूले जाते हैं। इसके अलावा वर्ष में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमां व गतिविधियों के नाम पर अभिभावकों से वसूली की जाती हैं। इतना ही नही और अधिक मुनाफा कमाने की नियत से विद्यालय प्रबंधक द्वारा बच्चां को निर्धारित प्रकाशन की पुस्तके ही खरीदने का निर्देश दिया जाता हैं और वह भी स्वयं के स्कूल अथवा निश्चित दुकान से ही पाठ्य सामग्री बेची जाती हैं। महंगी पुस्तकां के साथ-साथ कापी व अन्य वस्तुएं कई-कई गुना दाम देकर अभिभावकों को खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है।
चर्चित इंग्लिश मीडियम स्कूल में चलने वाली कक्षा 7 की गणित की पुस्तक का मूल्य 230 रूपये है, जबकि इसी स्लेवर्स की गणित की एनसीआरटी प्रकाशन की पुस्तक मात्र 55 रूपये की हैं। इसी प्रकार कक्षा 2 की इंग्लिश की एक्सीड प्रकाशन की मात्र 65 पेज की एक पुस्तक 500 रूपये व दूसरी 46 पेज की पुस्तक 230 रूपये में बेची जा रही हैं। इस प्रकार कक्षा 2 मे चलने वाली लगभग 10 किताबों व कापियों आदि के नाम पर 48 सौ रूपये वसूले जाते हैं।
इसके अलावा दो से तीन ड्रेस भी बच्चों के लिए आवश्यक है। उन्हे भी अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से ही दोगुने दामां पर खरीदने पर बाध्य होना पड़ता हैं।
ऐसे में बच्चों के भविष्य को बनाने की ललक में अभिभावक जानते हुए भी इन शिक्षा के व्यापारियों की कठपुतली बनने को मजबूर है। यही कारण है कि मध्यम वर्ग के तमाम अभिभावक अपने बच्चों का इन स्कूलो मे प्रवेश नही दिला पाते। गौरतलब हैं कि इसी जनपद से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री हैं। इसके बावजूद अभिभावकों के हो रहे शोषण पर अंकुश लगाने की जहमत कोई नही उठा रहा हैं।

खबरें और भी हैं...