
गाजीपुर। मुख्तार अंसारी के करीबी प्रॉपर्टी डीलर गणेशदत्त मिश्र के लिए रविवार की सुबह उसी भयावह अंदाज में आई जैसा कि उन्हें पहले से अंदेशा था। सरकारी अमला पूरे लावलश्कर के साथ उनकी छह मंजिला निर्माणाधीन बिल्डिंग ढाहने पहुंच गया। तमाशबीनों संग उस समय खुद गणेशदत्त भी मौके पर मौजूद थे।
बिल्डिंग ढहाने के आदेश पर डीएम एमपी सिंह की अगुवाई वाली आठ सदस्यीय बोर्ड शनिवार की देर शाम ही मुहर लगा दी थी। उसके बाद ही यह अंदाजा मिल गया था कि प्रशासन गणेशदत्त को भी मौका नहीं देगा कि वह हाईकोर्ट पहुंच कर किसी तरह की राहत पा सके। इसके लिए रविवार तड़के ढहाने के काम पर हाथ लग गया।हुआ भी यही।गाजीपुर शहर से सटे रजदेपुर देहाती स्थित श्रीराम कॉलोनी में एडीएम, एसडीएम, सीओ मय फोर्स मौके पर पहुंच गए। बल्कि उनके साथ आई तीन पोकलेन की गड़गड़ाहट से कॉलोनी के बहुतेरों की नींद सुबह सुबह ही उचट गयी। भारी भरकम पोकलेनों के बज्र प्रहारों से निर्माणाधीन बिल्डिंग ताश के पत्तों की तरह भहरा कर जमींदोज हो गयी।
मालूम हो कि प्रशासन मास्टर प्लान के मानकों की अनदेखी कर बिल्डिंग निर्माण का मामला पकड़ा था। पहले उन्हें नोटिस देने का सिलसिला शुरू हुआ। उसी बीच गणेशदत्त हाईकोर्ट चले गए लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली। बल्कि यही आदेश हुआ कि वह प्रक्रिया के तहत आएं। उसके बाद उन्होंने एसडीएम कोर्ट में अर्जी लगाई। जहां बिल्डिंग ढहाने का आदेश हुआ। उस आदेश को वह डीएम कोर्ट में चुनौती दिए। डीएम एमपी सिंह ने अपनी अगुवाई में आठ सदस्यीय बोर्ड गठित कर मामले की सुनवाई शुरू की और आखिर में एसडीएम के आदेश पर मुहर लग गई।
हालांकि अंडरवर्ल्ड, राजनीतिक हलके में प्रशासन की इस कार्रवाई को मुख्तार अंसारी और उनके लोगों के विरुद्ध चल रहे अभियान से जोड़कर देखा जा रहा है। खुद इस मामले को रंग देने के लिए समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं और अपने संपर्कियों से कहने भी लगे हैं कि योगी सरकार चुन-चुन कर ब्राह्मणों को नाहक प्रताड़ित कर रही है।









