नई दिल्ली। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोंगन ने सउदी किंग सलमान बिन अब्दुलाजीज अल सौद से सउदी पत्रकार जमाल खशोगी के गायब हो जाने की घटना को लेकर चर्चा की है। शिन्हुआ ने तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि दोनों नेताओं ने टेलीफोन पर बातचीत की और मामले की जांच को लेकर एक संयुक्त कार्यसमूह के गठन की जरुरत पर बल दिया। सउदी विदेश मंत्रालय ने दोनों नेताओं के बीच चर्चा के बाद ट्वीट किया , “ सउदी किंग ने तुर्की के साथ अपने संबंधों की मजबूती की प्रतिबद्धता व्यक्त किया और कहा कि उनके द्विपक्षीय संबंधों को कोई भी कमजोर नहीं कर सकता।” उल्लेखनीय है कि वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार एवं स्तंभकार खशोगी गत दो अक्टूबर को इस्ताम्बुल में उस समय लापता हो गये , जब वह सउदी दूतावास में प्रवेश कर रहे थे। अपुष्ट रिपोर्टों के मुताबिक संभवत: श्री खशोगी की दूतावास परिसर के भीतर हत्या कर दी गयी है , हालांकि सउदी अधिकारियों ने इन रिपोर्टों को खारिज किया है।
कौन हैं जमाल खाशोगी : जमाल सऊदी में लंबे वक्त से पत्रकारिता कर रहे हैं। सुन्नी रियासत के खिलाफ लिखने को लेकर वह हमेशा विवादों में रहे हैं। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सत्ता मिलने के बाद वह खुद निर्वासन लेकर अमेरिका चले गए थे। फिलहाल वह वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिख रहे थे। 1987 और 1995 में वह आतंकी ओसामा बिन लादेन के साथ घूमने और उनके इंटरव्यू लेने के बाद चर्चा में आए थे। सऊदी अरब के एलीट ग्रुप से भी उनके रिश्ते अच्छे हैं।
मंगेतर इंतजार करती रही, नहीं आए जमाल : हाल में 60 वर्ष की उम्र पूरी करनेवाले जमाल हाल में दो बार सऊदी के वाणिज्य दूतावास पहुंचे थे। दूसरी बार जब वह गए तो वहां से कथित रूप से वापस ही नहीं लौटे। जमाल को अपनी तुर्की मंगेतर से शादी करने थी। इसके लिए उन्हें कुछ कागजातों की जरूरत थी, उन्हें लेने वह 28 सितंबर को तुर्की में स्थित सऊदी दूतावास गए। उस दिन उन्हें 2 अक्टूबर को फिर से आकर कागजात एकत्र करने को कहा गया। बातचीत के बाद जमाल वहां से चले गए और 2 को फिर पहुंचे। उन्होंने अपने फोन और पर्स मंगेतर को दे दिए थे और उनसे बाहर इंतजार करने को कहा था। मंगेतर के मुताबिक, फिर वह बाहर खड़ी इंतजार ही करती रहीं, लेकिन जमाल नहीं लौटे।
सऊदी अरब पर शक : जमाल के आर्टिकल सऊदी सरकार पर गहरी चोट करते थे। माना जा रहा है कि इस वजह से वह सऊदी की आंखों में चुभ रहे थे। हालांकि, सऊदी का कहना है कि जमाल के लापता होने में उनका कोई हाथ नहीं है। सऊदी के मुताबिक, वह बाहर निकले थे और फिर इस्तांबुल में कहीं लापता हुए हैं। सऊदी मीडिया इसके पीछे कतर को भी जिम्मेदार ठहरा रही है।
तुर्की के निशाने पर सऊदी : सऊदी और तुर्की के बीच इस बात को लेकर बहस जारी है कि जमाल कहां से लापता हुए। तुर्की का कहना है कि जमाल दूतावास से बाहर ही नहीं निकले, वहीं सऊदी कहता है कि पत्रकार इस्तांबुल में कहीं लापता हुए। तुर्की अधिकारियों का आरोप है कि सऊदी ने दूतावास में ही जमाल को मार दिया है। उन्होंने अपने पास कुछ विडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग होने का दावा भी किया है।
अमेरिका, यूरोपीय देश सऊदी के खिलाफ : ट्रंप सरकार को अबतक सऊदी अरब के सहयोगी के तौर पर देखा गया है। लेकिन मामले के उछलने के बाद ट्रंप ने साफ कहा कि अगर पत्रकार को लापता करने में सऊदी का कोई हाथ हुआ तो उन्हें सजा के लिए तैयार रहना होगा। दूसरी तरफ यूरोप के बड़े अर्थतंत्र ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का रवैया भी कुछ-कुछ अमेरिका ऐसा ही है। सभी ने मिलकर 22 से रियाद में शुरू हो रहे फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशटिव नाम के बड़े निवेश सम्मेलन का बहिष्कार किया है।