UP पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने परचम लहराया, लखनऊ से प्रयागराज तक बीजेपी की करारी हार

Uttar Pradesh, Jan 16 (ANI): Samajwadi Party National President Akhilesh Yadav addresses media during a press conference at party office in Lucknow on saturday. (ANI Photo)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने परचम लहराया है। 75 जिला पंचायतों की 3050 सीटों के नतीजों में अखिलेश यादव की पार्टी ने सत्ताधारी बीजेपी को पछाड़ दिया है। 2022 से पहले हुए ये चुनाव काफी अहम थे। पहली बार बीजेपी ने भी खुलकर पंचायत चुनाव में ताकत आजमाई थी। लेकिन रिजल्ट के बाद पार्टी को बड़ा झटका लगा है। लखनऊ से लेकर वाराणसी तक बीजेपी को शिकस्त झेलनी पड़ी है। यही नहीं अयोध्या में भी समाजवादी पार्टी ने 40 में से 24 सीटें जीतकर झंडा बुलंद किया है। वहीं पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से भी सपा को फायदा मिला है।

जिला पंचायतों में सपा का जलवा, गढ़ में हारी बीजेपी
जिला पंचायतों की कुल 3050 सीटों के नतीजों में मुख्य विपक्षी सपा ने बीजेपी को काफी पीछे छोड़ दिया है। एक निजी चैनल के आंकड़ों के मुताबिक सपा समर्थित प्रत्याशियों ने 790 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं बीजेपी को सिर्फ 599 सीटों पर ही जीत मिल सकी है। निर्दलीय और अन्य को सबसे ज्यादा 1247 सीटों पर सफलता मिली है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को 354 सीटें मिली हैं। वहीं कांग्रेस सिर्फ 60 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी है। चुनाव के नतीजे इसलिए भी अहम है क्योंकि बीजेपी को अपने गढ़ में ही हार मिली है। अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और प्रयागराज में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली है। अयोध्या जिला पंचायत की 40 में से 24 सीटों पर सपा समर्थित प्रत्याशी जीते हैं। वहीं वाराणसी जिला पंचायत की 40 सीटों में से बीजेपी के खाते में सिर्फ 7 सीटें आईं। यहां 15 सीटों पर समाजवादी पार्टी समर्थित प्रत्याशी जीते हैं। वहीं बसपा ने 5, अपना दल एस को 3, सुभासपा और आम आदमी पार्टी को 1-1 सीट मिली है।

लखनऊ से प्रयागराज तक बीजेपी की करारी हार
सूबे की राजधानी लखनऊ में बीजेपी की बुरी हार हुई है। यहां जिला पंचायत की 25 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 3 सीटें मिली हैं। वहीं सपा को 10, बीएसपी को 5 और निर्दलीय/अन्य को 7 सीटें हासिल हुई हैं। बाराबंकी की 57 में से 24 सीटें सपा ने जीती हैं। यहां बीजेपी को सिर्फ 14 सीटें ही हासिल हुईं। कानपुर जिला पंचायत में भी सपा सबसे बड़ी पार्टी बनी है। सपा को यहां 11 सीटें मिली हैं, जबकि बीजेपी को सिर्फ 8 सीटों पर जीत हासिल हुई है। मथुरा जिला पंचायत की 33 में से 12 सीटों पर बीएसपी जीती है। बीजेपी को यहां 8 सीटें मिली हैं, जबकि आरएलडी ने 8 सीटें झटकी हैं। प्रयागराज जिला पंचायत की की 84 में से 25 सीटों पर सपा ने जीत हासिल की है। यहां बीजेपी समर्थित 15 उम्मीदवार ही जीते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर में भी सपा और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर दिखी। यहां जिला पंचायत की 68 में से 20 सीटों पर सपा और 20 पर बीजेपी समर्थित कैंडिडेट जीते हैं। यहां आम आदमी पार्टी ने भी एक सीट जीती है। वहीं बीएसपी को 2 और अन्य को 25 सीटों पर जीत हासिल हुई है।

पूर्वांचल और अपने गढ़ में भी जीती अखिलेश की पार्टी
पूर्वांचल में भी अखिलेश यादव की सपा ने बीजेपी को शिकस्त दी है। देवरिया जिला पंचायत की 56 में से 27 सीटों पर सपा समर्थित जीते हैं। यहां बीजेपी को सिर्फ 6 सीटें मिली हैं। मिर्जापुर की 44 में से 11 सीटों पर सपा जीती है। वहीं बीजेपी को महज 5 सीटें मिली हैं। यहां बीएसपी को 6, अपना दल एस को 4, कांग्रेस को 2 और निर्दलीयों को 14 सीटें मिली हैं। चंदौली की 35 में से 14 सीटें सपा ने जीती हैं। यहां बीजेपी को 8 सीटों से संतोष करना पड़ा है। वहीं सपा ने अपना गढ़ बरकरार रखा है। इटावा जिला पंचायत की 24 सीटों में से 20 पर सपा और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को जीत मिली है। यहां बीजेपी और बीएसपी को 1-1 सीट ही मिल सकी है। कासगंज की 23 में से 11 सीटें सपा समर्थित उम्मीदवारों ने जीती हैं। फिरोजाबाद की 33 में से 17 सीटों पर सपा को जीत मिली है। रामपुर जिला पंचायत की 34 में से 11 सीटें सपा को मिली हैं। मैनपुरी जिला पंचायत की 30 में से 12 सीटें सपा ने जीती हैं। यहां निर्दलीयों को 9 और बीजेपी को 8 सीटें मिली हैं। आजमगढ़ जिला पंचायत की 84 में से 25 सीटों पर सपा जीती है। यहां 26 सीटों पर निर्दलीय जीते हैं। वहीं बीएसपी को 14 और बीजेपी को 10 सीटें मिली हैं।

वेस्ट यूपी में भी मुरझाया कमल
किसान आंदोलन की तपिश से वेस्ट यूपी में भी कमल एक तरह से मुरझा गया। किसान बेल्ट मेरठ, बागपत, सहारनपुर, शामली, मथुरा, अलीगढ़ जैसे जिलों में बीजेपी काफी कम सीट हासिल कर पाई। सियासी जानकार इस बदलाव को बीजेपी के लिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में खतरे के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि विधायकों की पसंद को तरजीह देना, संगठन और जनप्रतिनिधियों में तालमेल के अभाव से बीजेपी को शिकस्त मिली है। वेस्ट यूपी की राजधानी कहे जाने वाले जिले मेरठ में बीजेपी को झटका लगा है। 33 वॉर्डों में से बीजेपी समर्थित सिर्फ छह कैंडिडेट जीते। सपा के सात, बीएसपी के नौ और आरएलडी के छह कैंडिडेट को जीत मिली।

कल्‍याण सिंह के गढ़ में भी लगी सेंध
पूर्व सीएम कल्याण सिंह के गढ़ अलीगढ़ में भी बीजेपी उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट हासिल नहीं कर पाई। अलीगढ़ के अतरौली विधानसभा क्षेत्र में जिला पंचायत के आठ वॉर्ड हैं। यहां बीजेपी सात वॉर्ड पर चुनाव हारी, एक जीती है। मुजफ्फरनगर में जरूर बीजेपी को थोड़ी राहत दिखी। यहां जिला पंचायत की 43 सीटों में से बीजेपी को 13, आरएलडी को 3, बीएसपी को 3, आजाद समाज पार्टी को 6 और अन्य को 18 सीटों पर जीत मिली। एसपी का यहां खाता नहीं खुला।

बिजनौर-बागपत में आरएलडी-सपा ने बीजेपी को पछाड़ा
बिजनौर में सपा और आरएलडी गठबंधन ने बीजेपी को पछाड़ दिया। सपा को 20, आरएलडी को तीन, किसान कैंडिडेट को दो, बीएसपी को 10 और बीजेपी को आठ सीटें मिलीं। बाकी निर्दलीय के खाते में चली गई। उधर, सहारनपुर में बीएसपी ने 18 और बीजेपी ने 14 सीटें जीतीं। कांग्रेस ने छलांग लगाकर 13 सीटों पर दबदबा रखा। आजाद समाज पार्टी समेत कई निर्दलीय भी मजबूत रहे। शामली में 19 सीटों में से बीजेपी चार पर जीती। पांच पर आरएलडी, दो पर सपा और बाकी पर निर्दलीय का परचम रहा। बागपत में जिला पंचायत के बीस वॉर्डों में से 8 पर आरएलडी, 4-4 पर बीजेपी और सपा, एक पर बीएसपी और तीन पर निर्दलीय जीते।

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