VIDEO : आस्था के साथ खिलवाड़, रामलीला के मंच पर बार बालाओं ने लगाए ठुमके

* रसड़ा के रामलीला के दौरान बार बालाओं का डांस चर्चा में*

बलिया। आस्था इन्सान के लिए बहुत पवित्र और बड़ा होता हैं। अगर आस्था में अश्लीलता आ जाए तो इसे क्या कहेंगे। मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम का चरित्र पूरे संसार को प्रेम, उदार, भक्ति, आदर-सम्मान समरसता को सिखाता है। जहां पुरुषोत्तम राम का चरित्र आग और पानी से भी शुद्ध हैं। तभी तो पूरे भारत वर्ष अक्टूबर माह में रामलीला का नाटकीय रूप कर राम के चरित्र व आदर्शों को समाज के बीच रखा जाता हैं।

ताकि समाज राम के आदर्शों को न भुला पाये और उनके आदर्शों पर चले। बलिया के रसड़ा में ठीक उल्टा हुआ। जहां बेल्थरा विधायक धनंजय कनौजिया तथा नगर पालिका अध्यक्ष वशिष्ठ सोनी की मौजूदगी में रामलीला के दौरान बार-बालाओं का जमकर डांस कराया गया और रामलीला में लोगों के सामने अश्लीलता करा कर परोसी गयी। अश्लील गानों पर जमकर डान्स कराया गया। जहां बार-बालाओं ने छोटे-छोटे कपड़ों में जमकर ठुमके लगाए और मनोरंजन किया।अगर भगवान पुरूषोत्तम राम होते तो कहते की ये कैसी भक्ति हैं जो समाज को शर्मशार कर दे।

बलिया जनपद के आदर्श नगर पालिका रसड़ा में ऐतिहासिक रामलीला का मंचन रामलीला कमेटी के द्वारा करीब 150 सालों से किया जाता है। वहीं ब्रह्मस्थान में भगवान राम का राजतिलक का मंचन किया गया । जिसमें मर्यादा राम की मर्यादा का धज्जियां उड़ाया गया। हिन्दू संस्कृति काे गलत तरीक से पेश किया गया। भगवान राम,लक्ष्मण व माता सीता के सम्मुख जहाँ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुवे जोरदार तरीके से डीजे बजाकर बार बालाआें का अश्लील नृत्य कराकर आदर्शवादी भगवान राम काे कलयुगी भक्ताें ने जाेरदार तमाचा मारा। रातभर भोजपुरी गाने पर कमेटी के लोग नर्तकियों के संग अश्लील डांस करते रहे। रसड़ा रामलीला कमेटी ने राम के आदर्शाें काे सरेआम तार-तार कर दिया। कमेटी मजे में इतनी डूब गयी कि उसे पता तक नहीं चला कि यह रामलीला है ना कि रासलीला ?

-मर्यादा पुरुषाेत्तम भगवान श्री राम भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। भगवान राम का चरित्र पूरे संसार काे प्रेम ,उदार,भक्ति,आदार-सम्मान,समरसता का सीख देता है। इन्हाेने सत्य व संस्कार का अपने सुकर्माें के द्वारा आधार रखा । पुरुषाेत्तम राम का चरित्र आग व पानी से भी शुद्ध है। तभी ताे पूरे भारतवर्ष में आश्विन माह में रामलीला का नाटकीय रुप कर राम के चरित्र व आदर्शाें काे समाज के बीच रखा जाता है ताकि समाज राम के आदर्शाें काे न भुले बल्कि उन्ही के आदर्शाें पर चले ।

https://youtu.be/AoZHR4_5CAU

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