फिल्मों जैसी लव-स्टोरी : लड़के ने दिया ‘जली’ मंगेतर का साथ, छोड़ आया करोड़ों की जॉब

आप सभी ने विवाह फिल्म जरूर देखी होगी, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोग कहते हैं कि जो फिल्मों में दिखाया जाता है वो असल जिंदगी में नहीं हो सकता है। पर यह पूरी तरह सच नहीं है क्योंकि कई बार फिल्मों में दिखाई जाने वाली घटनाएं वास्तविक जीवन में भी घटित होती है, कुछ ऐसा ही हुआ आज।

विवाह फिल्म की बात हमने इसलिए की क्योंकि इसमें जो कहानी दिखाई गई उससे हमारे समाजिक सोच को ऊंचा दिखाने का प्रयास किया गया, इस फिल्म में आपने देखा होगा कि पूनम का रोल निभाने वाली अमृता राव का शरीर शादी से कुछ ही समय पहले पूरी तरह से जल जाता है, और उनके मंगेतर का किरदार निभा रहे शाहिद कपूर फिर भी उससे शादी करते हैं। ये कहानी पर्दे पर तो लोगों को बहुत पसंद आई थी लेकिन इसके बावजूद लोग बस यही कह रहे थें कि ये सच में नहीं होता है।

पर आज जिस घटना के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो बिल्कुल ऐसी ही है। दरअसल इस खबर को जानकर आप कहेंगे कि इंसानित फिल्मों में ही नहीं अभी भी सच्चे जीवन में भी देखने को मिल सकती है। जिस घटना की चर्चा हम कर रहे हैं उसे जानने के बाद हर कोई इस लड़के को सलाम कर रहा है और तो और उसके माता-पिता के संस्कारों को भी सलाम कर रहा। ये घटना मध्यप्रदेश की हैं जहां सागर के रहने वाली दवेंद्र ने कुछ ऐसा किया है की उसके घर में ही नहीं उसके सुसराल में भी उसकी इज्जत बहुत बढ़ गई है।

बता दें कि दवेंद्र की शादी इसी साल 26 जनवरी 2019 को होने वाली थी इस दौरान सभी तैयारी भी हो गई थी कार्ड भी बंट गए थें लेकिन अचानक एक घटना घटी और सब धरा का धरा रह गया। क्योंकि पूर्णिमा के साथ एक हादसा हुआ और शादी को टालना पड़ा। पूर्णिमा गरमपानी ले रही थी की अचानक उसका पैर फिसला और आग में झुलस गई, जिससे पूर्णिमा की काफी बॉडी जल गई थी।

हालांकि इनके घर वालों ने उसके इलाज के लिए भोपाल हॉस्पिटल में एडमिट कराया, जानकारी के लिए बता दे की, पूर्णिमा के भाई और पिता का निधन भी एक घटना के कारण हो गया था और पूर्णिमा और उसकी बहन प्राची की देखभाल उसकी माँ करती थी ऐसे में बड़ी बेटी का शरीर पूरी तरह जल जाने से उन्हें संभालने वाला कोई नहीं था। इस दौरान हर किसी को चिंता थी कि ये रिश्ता टूट जाएगा।

पर वो कहते है ना की अपने बच्चों के संस्कार कभी कभी काम आ जाते हैं। दवेंद्र को जब इस घटना का पता चला तो वो अपनी नौकरी छोड़कर सीधे पूर्णिमा के पास आ गया और उसकी देखभाल करने लगा, ऐसे में पूर्णिमा की माँ और बहन को बहुत साहरा मिला, इतना ही नहीं हैरानी की बात तो ये थी कि दवेंद्र ने पूर्णिमा को इसी जली हालत में अपनाने का फैसला किया है। उनका कहना था कि अगर ये घटना उनके यहाँ हो जाती तो हम क्या करते ? इसलिए मैं ऐसी घटना होने पर पूर्णिमा और उसके परिवार का साथ नहीं छोड़ूगा।

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