लखनऊ। लखनऊ में मंगलवार को किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर में आॅस्टियो आर्थराइटिस वाॅकाथाॅन रैली का आयोजन किया गया। इस वाॅकाथाॅन का मुख्य उद्देश्य आॅस्टियो आर्थराइटिस के प्रति लोगों के जागरूक करना था। इस अवसर पर केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भटट् ने नियमित व्यायाम, रोजाना टहलने एवं धूप का प्रतिदिन सेवन ही इस बीमारी का एकमात्र इलाज बताया। अपनी दिनचर्या से मात्र कुछ समय निकाल कर किस प्रकार से स्वस्थ्य जीवन का लाभ लिया जा सकता है।
किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रिह्मेटोलाॅजी विभाग एवं सोसाइटी फाॅर आॅस्टियो आर्थराइटिस रिसर्च के संयुक्त तत्वावधान में नेशनल आॅस्टियो आर्थराइटिस डे का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भटट् के नेतृत्व में आयोजित इस वाॅकाथाॅन में छात्र-छात्राओं समेत कई विभागों के प्राचार्य, डाॅक्टरों, कर्मचारियों व आमजन ने बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया। अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर से शुरू हुई यह वाॅकेथाॅन बड़ी पैथोलाॅजी से होती हुई कलाम सेंटर में जाकर सम्पन्न हुई। इस दौरान हाथों में बैनर-पोस्टर लिए वाॅकाथाॅन में शामिल सैकड़ों डॉक्टरों, छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों व आमजन ने आॅस्टियो आर्थराइटिस के प्रति लोगों को बचाव व स्वस्थ्य जीवन जीने का संदेश दिया।
इस रोग में हड्डियों पर मौजूद टिशूज में लचीलापन कम हो जाता है। इस रोग में हड्डियों के जोड़ों के कॉर्टिलेज घिस जाते हैं। उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। आमतौर पर यह बीमारी अधेड़ावस्था यानी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में इसके होने की आशंका ज्यादा होती हैं। लेकिन शहरी जीवन में यह बीमारी युवाओं में भी दिखायी दे रही है। जोड़ों में दर्द होना, जोड़ों में तिरछापन, चाल में खराबी अर्थात चलने- फिरने की क्षमता का कम होना जैसे लक्षण इस बीमारी में दिखाई देते हैं।
आॅस्टियोआ आर्थराइटिस घुटनों में होने वाले एक आम गठिया की तरह ही है, लेकिन इसके कारण डायबिटीज और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। आॅस्टियोआर्थराइटिस वाले मरीजों में गैर आॅस्टियोआर्थराइटिस वाले लोगों की तुलना मे मृत्यु दर कई गुना अधिक है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। सिर्फ व्यायाम एवं संयमित दिनचर्या ही इससे बचाव का एकमात्र उपाय है।
डाॅ. सिद्धार्थ दास ने बताया कि आॅस्टियो आर्थराइटिस, डायबिटीज और हृदय से संबंधित बीमारियां आमतौर पर साथ-साथ होती हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस बीमारी की शंका होने पर इसका प्रारंभिक निदान और प्रबंधन अच्छी तरह से किया जाना चाहिए। डायबिटीज और हृदय से संबंधित बीमारियों के बचाव के लिए चलना-फिरना अथवा जाॅगिंग करना लाभदायक होता है। लेकिन मरीज यह चीज आसानी से नहीं कर पाते हैं। इस वजह से डायबिटीज और हृदय से संबंधित बीमारियां और बढ़ जाती हैं।
डाॅ. सिद्धार्थ दास ने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए वजन को न बढ़ने दें, पैदल चलें। इससे वजन नियंत्रित रहेगा। बहुत अधिक समय के लिए उकड़ू न बैठें। उन्होंने बताया कि आमतौर पर भारतीय महिलाएं उकड़ू बैठ कर ही घरेलू कार्य करती हैं, जैसे घर में पोछा लगाते समय या फिर खाना बनाते समय, ऐसा न करने से इस बीमारी में आराम मिलता है।
डाॅ. सिद्धार्थ दास ने बताया कि घुटने या जोड़ों पर चोट लगने से भी आॅस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा बना रहता है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि घुटने या जोड़ों पर चोट न लगे और अगर लग भी जाए तो तुरन्त किसी विशेषज्ञ से उसका इलाज करवाए। उन्होंने बताया कि केजीएमयू के गठिया रोग विभाग में इस रोग से पूरी तरह से तो निजात संभव नहीं है, क्योंकि फिलहाल यह लाइलाज बीमारी है। लेकिन डायबिटीज व हृदय से संबंधित बीमारियों की तरह इस बीमारी में भी दवाई से आराम मिल जाता है।
वाॅकाथाॅन में मुख्य रूप से सोसाइटी फाॅर आॅस्टियो आर्थराइटिस रिसर्च की सचिव डाॅ. पूजा धाओं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. एसएन शंखवार, अधिष्ठाता चिकित्सा संकाय डाॅ. विनीता दास, आईएमए की डाॅ. रूख्साना, समाजवादी पार्टी की नेत्री व लखनऊ की पूर्व महापौर प्रत्याशी डाॅ. मधु गुप्ता, वरिष्ठ नागरिक चन्द्र किशोर रस्तोगी समेत सैकड़ों डॉक्टरों, छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों व आमजन ने भाग लिया।















