कानून तोड़ने वालों को तोड़ने आई अजय की ‘रूद्र’ लूटी महफिल

पिछले काफी समय से अभिनेता अजय देवगन वेब सीरीज ‘रूद्र: द एज ऑफ डार्कनेस’ को लेकर चर्चा में थे। यह अजय की पहली वेब सीरीज है, जो 4 मार्च को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई है।छह एपिसोड की इस सीरीज में अजय के साथ राशि खन्ना, ईशा देओल, अश्वनी कलसेकर, अतुल कुलकर्णी और आशीष विद्यार्थी जैसे कलाकार नजर आए हैं।राजेश मापुस्कर के निर्देशन में बनी क्राइम थ्रिलर सीरीज ‘रूद्र’ को देखने से पहले पढ़िए इसका रिव्यू।कहानीएक जबरदस्त पुलिसवाले के इर्द-गिर्द घूमती है

सीरीज की पूरी कहानी में अजय आकर्षण का केंद्र हैं, जो DCP रूद्रवीर सिंह का किरदार निभा रहे हैं जो अपराधियों के दिमाग तक पहुंचने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।आखिरी पांच कहानियों के सिरे सीधे तौर पर मर्डर मिस्ट्री से जुड़े हैं, जबकि पहले एपिसोड में कहानी लूटपाट से होते हुए कत्ल तक पहुंचती है।अजय पर खाकी वर्दी हमेशा जमी है, लेकिन इसमें बिना वर्दी के भी अजय ने कमाल कर दिया है।कहानीहर बार एक नया मामला सुलझाते दिखे अजय

हर एपिसोड में रूद्रा नए मामले की गुत्थी सुलझाता दिखता है। एपिसोड दर एपिसोड उसकी निजी जिंदगी की परतें भी खुलती रहती हैं। ईशा देओल ने अजय की पत्नी शैला का किरदार निभाया है, जो तलाक दिए बगैर किसी और के साथ लिव इन में है।राशि खन्ना (आलिया चौकसी) को सीरीज की पहली किलर के रूप में दिखाया गया है, वहीं हर एपिसोड में रूद्रा जिस तरह शातिर अपराधियों तक पहुंचकर उन्हें ठिकाने लगाता है, वो देखने लायक है।

सीरीज का पूरा दारोमदार अजय पर ही है। वह शुरू से लेकर अंत तक अपने शानदार अभिनय से बांधे रखते हैं। पुलिसिया अवतार में अजय कई बार नजर आ चुके हैं, लेकिन ‘रूद्र’ में उनका एक अलग ही कलेवर नजर आता है। उन्होंने अपनी भूमिका के लिए कितनी मेहनत की है, यह सीरीज में साफ झलकती है। अपनी पहली सीरीज में ही अजय आपको तालियां बजवाने पर मजबूर कर देंगे।कुल मिलाकर अपने डिजिटल डेब्यू में उन्होंने छाप छोड़ी है।

राशि खन्ना इस सीरीज की हीरोइन हैं। उन्होंने अपने किरदार की बारीकियों को समझा और आकर्षित किया। उनकी डायलॉग डिलिवरी भी अच्छी है।दूसरी तरफ ईशा ने अपने अभिनय से काफी निराश किया है। शायद यही वजह है कि जहां-जहां अजय की निजी जिंदगी का एंगल आया, वहां मामला बोरिंग लगा।कहानी में अतुल कुलकर्णी काफी प्रभावशाली लगे। आखिरी के दो एपिसोड तो अजय और कुलकर्णी के ही नाम हैं। अश्विनी कालसेकर और आशीष विद्यार्थी का अभिनय भी ठीक-ठाक है।निर्देशनक्या निर्देशन की कसौटी पर खरे उतरे राजेश मापुस्कर?

‘रूद्र’ राजेश मापुस्कर की पहली थ्रिलर सीरीज है। इस लिहाज से उनका काम ठीक है। उन्होंने ब्रिटिश सीरीज ‘लूथर’ के हिंदी रीमेक के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की और इसलिए इसमें मेलोड्रामा या जबरदस्ती के किसी डायलॉग को जगह नहीं मिली, जो अच्छी बात है।निर्देशक ने सीरीज के विलेन और मामले भी हटकर रखे। हालांकि, छह कड़ियों वाली इस सीरीज की शुरुआत करने में उन्होंने जरूर ढील बरती। कहानी व किरदारों को और सही से गढ़ने की गुंजाइश थी।जानकारीन्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)

‘रूद’ ब्रिटिश सीरीज ‘लूथर’ का हिंदी रीमेक है। इसका पहला सीजन 2010 में आया था, जिसमें अभिनेता इदरिस एल्बा मुख्य भूमिका में थे। ‘लूथर’ के मुकाबले ‘रूद्र’ कमजोर साबित हुुई है। दरअसल, ज्यादातर हिस्सों में सीन दर सीन इसका हिंदी अनुवाद कर दिया गया है।खामियांकहां रह गईं कमियां?

हर एपिसोड की कहानी 50 से 55 मिनट की है। चुस्त संपादन से इसे कसा जा सकता था। पहले तीन एपिसोड की रफ्तार धीमी है। स्पीड अगर आखिरी के तीन एपिसोड जैसी होती तो लंबाई भी उतनी नहीं लगती।एकसाथ इतने साइको किलर्स की कहानियां और हर केस में जरुरत से ज्यादा जांच-पड़ताल हजम नहीं होती। ट्विस्ट भी काफी खींचे गए हैं। जिस डार्कनेस की बात सीरीज की टैगलाइन में की गई, वो भी बस अंत में ही नजर आई।निष्कर्षदेखें या ना देखें

‘रूद्र’ की सिनेमैटोग्राफी यानी कैमरा वर्क काफी अच्छा है। खासकर आखिरी के तीन एपिसोड बढ़िया है, क्योंकि रोमांच बढ़ने से इसकी कहानी को लेकर उत्सुकता बढ़ जाती है।हालांकि, जितना शोर इस सीरीज को लेकर हुआ था, यह उस स्तर की नहीं है, लेकिन अगर आप अजय के फैन हैं तो समझ लीजिए कि उनकी यह सीरीज आप ही के लिए है, क्योंकि इस सीरीज की कहानी की कमान उन्होंने बखूबी संभाली है।

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