भारत में लगा ड्रग्स का बाजार केरल-महाराष्ट्र नशे में नंबर वन

आज की युवा पीढी लत के लिए नशा करते हैं। दरअसल नशा चीज ही ऐसी है कि जो खून में जाते ही आदमी को खुशी और स्फूर्ति का एहसास कराती है। कुछ लोग अपने दोस्तों के दबाव में आकर नशा करने लगते हैं। तीसरा कारण है सुलभता। पहले जिस शराब की बोतल खरीदने के लिए लोगों को दूर जाना पड़ता था, अब वह आसानी से मिल जाती है। जगह-जगह ठेके खुले हैं। चौथा कारण है तनाव, जिसके कारण इंसान नशा करता है। बहुत सी संस्थाए नशे की रोकथाम के लिए बहुत से प्रयत्न कर रही है।

परंतु अच्छे नतीजे नहीं मिल रहे। कुछ समय के लिए तो व्यक्ति शराब छोड़ देता है, परंतु बाद में फिर शुरू हो जाता है। अगर व्यक्ति सच में बदलना चाहता है तो उसे जरूरत है भीतर से जागरूक होने की क्योंकि सबसे बड़ी बात है मन पर काबू पाना और वह केवल ब्रह्मज्ञान से ही हो सकता है।   

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ड्रग्स के लिए भले ही पंजाब बदनामी झेल रहा है लेकिन हकीकत यह है कि पिछले कुछ सालों में केरल और महाराष्‍ट्र नशे के आगोश में तेजी से बढ़ता जा रहा है। यही नहीं, भारत के घरेलू बाजार में ड्रग्स की खपत में भी चिंताजनक रूप से बढ़ोत्‍तरी हुई है और पिछले तीन वर्षों में भारत में ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी बढ़ चुका है। नशे पर लगाम कसने के लिए सोमवार को चंडीगढ़ में पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक भी की गई। जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान के मुख्यमंत्री शामिल हुए।

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कहा जा रहा है कि दिल्‍ली के सटे इन राज्यों हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान में भी हालात दिन प्रति दिन खराब होते जा रहे हैं। ड्रग्स के सौदागर देश के इन राज्यों में तेजी से पांव पसार रहे हैं। एक सर्वे के आंकड़ों के अनुसार,  केरल में पंजाब के मुकाबले ड्रग्स हुई मौतों की संख्या दस गुना अधिक देखी गई। 2014 के दौरान देश में ड्रग्स की वजह से 3,647 आत्महत्या के मामले सामने आए थे, जिसमें महाराष्‍ट्र में सबसे ज्यादा 1,372 मामले, 552 मौतों के साथ तमिलनाडु दूसरे स्थान पर था जबकि तीसरे स्थान पर केरल था जहां 475 मौतें ड्रग की वजह से हुईं थीं। नशे के लिए बदनाम पंजाब में 2014 के दौरान ड्रग्स से मौत के सिर्फ 38 मामले सामने आए थे।

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यदि आबादी के आधार पर देखा जाए तो ड्रग्स से मौत के मामलों में केरल 14.2 फीसद के साथ सबसे आगे है। आंकड़ों के मुताबिक, 12 राज्य राष्ट्रीय औसत से भी आगे दिखे। यही नहीं, महाराष्ट्र 12.2 फीसद, तमिलनाडु 7.7 फीसद, त्रिपुरा 5.2 फीसद, मिजोरम 4.6 फीसद और मध्य प्रदेश 4.2 फीसद मौतों के साथ राष्ट्रीय औसत से आगे हैं। दिल्ली में प्रति दस लाख की आबादी पर ऐसे मात्र दो मामले सामने आए।

बता दें कि 2012 में अबतक देशभर में ड्रग्स की वजह कुल 4,000 से ज्यादा मौतें हुई थीं। वर्ष 2013 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 4500 तक पहुंच गई थी। एनसीबी के आंकड़े के मुताबिक, भारत में वर्ष 2003 से लेकर 2013 तक ड्रग्स से 25,000 से ज्यादा मौते हुईं थीं। जबकि संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में बताया गया कि पूरी दुनिया में 2014 के दौरान नशे से दो लाख लोगों की मौत हुई थी।

 

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