लोकसभा चुनाव: जानिए क्यों है कांग्रेस पर माया-अखिलेश हावी, सामने आयी ये दो बड़ी वजह

नई दिल्ली। बसपा प्रमुख मायावती ने जिस दिन कहा कि बसपा किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव (लोकसभा) नहीं लड़ेगी, उस दिन उनके सजातीय विश्वासपात्र नौकर शाह व उ.प्र. के पूर्व मुख्य सचिव नेतराम के लखनऊ व दिल्ली के 12 ठिकानों पर आयकर विभाग का सुबह से ही छापा चल रहा था। नेतराम बसपा के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इन दिनों बसपा के फंड व चुनावी खर्च की व्यवस्था भी उन्हीं के जिम्मे होने की चर्चा है। उ.प्र. में मायावती व मुलायम के कार्यकाल में हुए खाद्यान्न घोटाला मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी का कहना है कि उ.प्र. में 2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान मायावती ने नोएडा व लखनऊ में कई स्मारक परियोजनाओं के लिए मूर्तियों की खरीद से लगायत पत्थरों की सप्लाई करवाई थी। इसके अलावा अन्य कई मामले में हुए घपलों की जांच चल रही है। इन घोटालों के कुछ मामले में नेतराम भी जांच के दायरे में हैं। नेतराम के मार्फत आयकर, प्रवर्तन निदेशालय व सीबीआई मायावती तक पहुंच सकती है। इससे डरी बसपा प्रमुख ने लोकसभा चुनाव में कहीं भी कांग्रेस के साथ तालमेल नहीं करने की घोषणा कर दी।

Image result for akhilesh maya

उनकी इस घोषणा के दूसरे ही दिन कांग्रेस की महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी, पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी व पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को साथ लेकर मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती भीम आर्मी पार्टी के युवा दलित नेता चन्द्रशेखर उर्फ रावण से मिलने चली गईं। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि कांग्रेसी नेताओं – प्रियंका, सिंधिया व राजबब्बर का मेरठ जाकर भीम आर्मी पार्टी के चन्द्रशेखर से मिलना बसपा सुप्रीमो को अच्छा नहीं लगा। उनको लग रहा है कि कांग्रेसी नेताओं ने चन्द्रशेखर के मार्फत बसपा के दलित वोट में सेंध लगाने की रणनीति के तहत यह सौहार्द यात्रा की।

Image result for कांग्रेस उत्तर प्रदेश

उसी के बाद से उनके तेवर कांग्रेस के प्रति और भी कड़े हो गये हैं। माया के दबाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव उनके निर्देशानुसार बोल रहे हैं। चन्द्रशेखर से कांग्रेसी नेताओं के मुलाकात के बाद से कांग्रेस के प्रति माया के बयान लगातार तल्ख हुए हैं। पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि 17 मार्च को आनंद बाजार पत्रिका न्यूज चैनल के कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा, ‘हमको हाथी व हाथ दोनों का साथ चाहिए’। 17 मार्च को ही उ.प्र. कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने राज्य के 80 लोकसभा सीटों में से 7 को सपा-बसपा-रालोद नेताओं के लिए छोड़ने की घोषणा की। उस पर मायावती ने 18 मार्च को दो ट्वीट करके कांग्रेस पर प्रहार किया। कहा कि हमारा गठबंधन अकेले भाजपा को पराजित करने में सक्षम है। कांग्रेस जबरदस्ती उ.प्र. गठबंधन हेतु सात सीटें छोड़ने की भ्रांति नहीं फैलाए। इसके बाद एक और ट्वीट करके माया ने कहा कि उ.प्र. समेत पूरे देश में कांग्रेस से हमारा किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं है। हमारे लोग कांग्रेस द्वारा आए दिन फैलाए जा रहे तरह-तरह के भ्रम में कत्तई नहीं आयें।

Image result for प्रियंका गांधी

नवेन्दु का कहना है कि मायावती के कड़े रूख के बाद अखिलेश ने दो घंटे बाद उनके ट्वीट को रिट्वीट किया, ‘उ.प्र. में सपा-बसपा- रालोद का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है। कांग्रेस किसी भी तरह का भ्रम न पैदा करे’। नवेन्दु का कहना है कि चन्द्रशेखर से मेरठ में कांग्रेसी नेताओं की मुलाकात के बाद से इस तरह दो दिन में माया को अपना दलित वोट कांग्रेस की तरफ जाने तथा कांग्रेस द्वारा चन्द्रशेखर को दलित नेता के तौर पर खड़ा करने का डर सताने लगा है। सपा को भी अगड़ा व मुसलमान वोट कांग्रेस की तरफ जाने का भय हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भाजपा शीर्ष नेतृत्व के विरूद्ध सीधे लगातार हमला और प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आ जाने से ब्राह्मण व मुस्लिम समाज की पहली पसंद कांग्रेस होने लगी है। मुसलमानों के जेहन में यह बात भी पैठ गई है कि मायावती कब भाजपा के साथ मिल जायें, कहा नहीं जा सकता। हो सकता है वह इस लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम आने पर उसका समर्थन देकर सरकार में शामिल हो जायें। सपा के नेता मुलायम सिंह तो भाजपा नेतृत्व के प्रति नरम हैं ही। इसके चलते मुसलमानों के मन में यह बात पैठ गई है कि केवल कांग्रेस उसके साथ छल नहीं करती है। बाकी तो सीबीआई ,ईडी,आयकर के डर से भाजपा के सामने साष्टांग हो गये हैं। इसलिए जहां भी कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के विरूद्ध ठीक से लड़ रहा होगा, वहां मुसलमान वोट उसकी तरफ जाएगा। इससे उ.प्र. में सपा व बसपा दोनों को दिक्कत हो रही है। मुसलमान छिटका तो दोनों दलों को बहुत अधिक नुकसान होगा। मायावती और सपा दोनों का जातीय वोट कुछ हद तक भाजपा ने काट ली है। इस बारे में उ.प्र. के पूर्व मंत्री सुरेन्द्र का कहना है कि समरसता और विकास के लिहाज से मुसलमान कांग्रेस को सबसे मुफीद मानता है। उ.प्र. में कांग्रेस अब उठने लगी है। यह डर बसपा को सताने लगा है। इसलिए वह इसे रोकने के लिए हर तरह के उपक्रम करेंगी। इसके अलावा कई मामलों में सीबीआई,आयकर,ईडी का भी डर है। इस दबाव में भी दोनों दल कांग्रेस से तालमेल नहीं कर रहे हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें