भागवत के बाद अब योगी शुरू करेंगे राम मंदिर की तैयारी..

 

गोरखपुर :  राम मंदिर निर्माण एक बड़ा मुद्दा होता जा रहा है जिस पर सियासत भी गर्म आ चुकी है  बीजेपी की ओर से राम मंदिर निर्माण की बात ऐसे समय में की जा रही है जब कुछ दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस पर सुनवाई शुरू होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मामला जमीन विवाद के तौर पर ही निपटाया जाएगा। बताते चले  इस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अब राम मंदिर बनाने की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। एक दिन पहले RSS चीफ ने कहा था कि राम मंदिर बनाने के लिए मोदी सरकार को कानून बनाना चाहिए। शुक्रवार को गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम के बगैर जनकल्याण का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता है।

सीएम ने कहा, ‘मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीलाओं के साथ-साथ हम उनके आदर्शों को जीवन में उतारें। समाज में इसका प्रचार-प्रसार करें। रामलीलाओं की भव्यता के साथ-साथ समाज के इस भव्य मंदिर को भी उसी रूप में बनाने की तैयारी हमें करनी चाहिए जिस प्रकार से भव्य मंदिर के रूप में राम की लीलाओं का आयोजन हम करते हैं।’

आपको बता दें कि विजयादशमी से एक दिन पहले अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने का आह्वान किया था। भागवत ने कहा कि मंदिर पर चल रही राजनीति को खत्म कर इसे तुरंत बनाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि जरूरत हो तो सरकार इसके लिए कानून बनाए। 2019 के लोकसभा चुनावों में अब कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में मंदिर की मांग जोर पकड़ने के राजनीतिक निहातार्थ भी निकाले जा रहे हैं।

मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने की मांग उठाते हुए परोक्ष रूप से मोदी सरकार को भी नसीहत दी है। मोहन भागवत ने कहा, ‘भगवान राम किसी एक संप्रदाय के नहीं हैं। वह भारत के प्रतीक हैं। सरकार किसी भी तरह से कानून लाए। लोग यह पूछ रहे हैं कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार है फिर भी राम मंदिर क्यों नहीं बन रहा।’

29 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
खास बात यह है कि बीजेपी की ओर से राम मंदिर निर्माण की बात ऐसे समय में की जा रही है जब कुछ दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस पर सुनवाई शुरू होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मामला जमीन विवाद के तौर पर ही निपटाया जाएगा। अयोध्या जमीन विवाद मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर से शुरू होगी। मुख्य पक्षकार राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिंदू महासभा हैं। इसके अलावा अन्य कई याची जैसे सुब्रमण्यन स्वामी आदि की अर्जी है जिन्होंने पूजा के अधिकार की मांग की है, लेकिन सबसे पहले चार मुख्य पक्षकारों की ओर से दलीलें पेश की जाएंगी।

क्या है अयोध्या विवाद
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा, जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़े को दूसरा हिस्सा दिया गया, इसी में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल है। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा यथास्थिति बहाल कर दी थी।

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