नगर के समाजसेवी व संभ्रांत लोगों ने शहीद दिवस पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

भास्कर समाचार सेवा मैनपुरी। घिरोर प्राप्त जानकारी के अनुसार घिरोर नगर पंचायत के पास लोगों ने दी श्रद्धांजलि देश के शहीद क्रांतिकारी भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु को श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें शहीदों पर पुष्प माला अर्पण कर सभी लोगों ने अपने अपने विचार रखे,केशव सिंह चौहान ने बताया कि शहीद दिवस हमेशा हम सभी को याद रहेंगा भारत के वीर भगत सिंह‚ सुखदेव और राजगुरू को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रति वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है‚ जो की प्रत्येक भारतवासी को गौरव का अनुभव कराता है। देश की आजादी के दीवाने ये तीनों स्वतंत्रता सेनानी इसी दिन हंसते हुए फांसी पर चढ़ गए थे। उन पर ब्रिटिश पुलिस के अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या का आरोप थाकाकुल शर्मा ने बताया की इन वीर सूपतों को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी लेकिन इनके बुलंद हौंसलों से भयभीत ब्रिटिश सरकार ने जन आक्रोश न भड़क जाए‚ यह सोचकर उन्हें एक दिन पहले 23 मार्च‚ 1931 को ही फांसी दे दी थी भगत सिंह एक शेर गुनगुनाया करते थे जब से सुना है मरने का नाम जिंदगी है‚ सर से कफन लपेटे कातिल को ढूंढ़ते हैं। शहीदे आजम भगत सिंह ने स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद से अपनी पहली मुलाकात के समय ही जलती मोमबत्ती की लौ पर हाथ रखकर कसम खाई थी कि उनका समस्त जीवन वतन पर ही कुर्बान होगा। 28 सितम्बर 1907 को जन्मे भगत सिंह ने 23 वर्ष के अपने छोटे से जीवनकाल में वैचारिक क्रांति की ऐसी मशाल जलाई जिससे आज के दौर में भी युवा काफी प्रभावित हैं। भगत सिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर के आसपास ही रहते थे। दोनों परिवारों में गहरी दोस्ती थी।

24 मई‚ 1908 को पंजाब के लायलपुर में जन्मे सुखदेव भगत सिंह की ही तरह बचपन से आजादी का सपना पाले हुए थे। भगत सिंह‚ कामरेड रामचंद्र और भगवती चरण बोहरा के साथ मिलकर उन्होंने लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन कर सॉन्डर्स हत्याकांड में भगत सिंह तथा राजगुरू का साथ दिया था। 24 अगस्त 1908 को पुणे के खेड़ा में जन्मे राजगुरू छत्रपति शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक थे और लोकमान्य ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक के विचारों से काफी प्रभावित थे। अच्छे निशानेबाज राजगुरू का रुझान जीवन के शुरुआती दिनों से ही क्रांतिकारी गतिविधियों की तरफ होने लगा था। वाराणसी में उनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ और वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ गए।चंद्रशेखर आजाद‚ भगत सिंह और जतिन दास राजगुरू के अभिन्न मित्र थे। पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज के कारण स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गज नेता लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरू ने 19 दिसम्बर‚1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में जॉन सॉन्डर्स को गोली मारकर स्वयं को गिरफ्तार करा दिया था और भगत सिंह वेश बदलकर कलकत्ता निकल गए थे‚ जहां उन्होंने बम बनाने की विधि सीखी। फांसी पर जाते समय तीनों गा रहे थेः–॥ दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत‚॥ मेरी मिट्टी से भी खुशबू ए वतन आएगी, उन्होंने कहा इतिहास पढ़ने के लिए नहीं जीवन में उतारकर धारण करने की चीज है, इस मौके पर बृजेश सिंह चौहान, काकुल शर्मा, केशव सिंह चौहान, भानु प्रताप सिंह चौहान, मनोज सिंह चौहान, गुड्डू तोमर, आशीष शर्मा, सलिल कांत उर्फ शास्त्री, ललित शाक्य, मधुरेश चौहान, एडवोकेट अब्दुल नईम, दुर्योधन शाक्य कुलदीप मिश्रा संजीव मिश्रा दि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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