खाटूश्याम मेले का आज आखिरी दिन, लाखों की संख्या में भक्त पहुंचे दर्शन करने

खाटूश्यामजी के लक्खी मेले का आज आखिरी दिन है। दो साल बाद भरे मेले में इस बार करीब 40 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन करने पहुंचे। खाटूधाम में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। देश के साथ विदेश से भी लोग पहुंचे। ज्यादातर भक्त आज वापस अपने घर लौट जाएंगे। वहीं, कई भक्त श्याम संग होली खेलने रूकंगे। हम आपकों 22 PHOTO से खाटू की 10 दिन रही रौनक को दिखा रहे हैं।

मोर थीम पर सजाया था मंदिर
कोरोना के कारण दो साल बाद मेला भरा गया। भक्तों ने होटल और धर्मशालाओं में भी एडवांस बुकिंग करा ली थी। मंदिर को मेले के लिए आर्टिफिशियल मोर पंख से सजाया गया था। सजावट पर करीब 30 लाख रुपए खर्च किया गया। हर दिन बाबा का अलग शृंगार किया गया। बेंगलुरू और कोलकाता से हेलिकॉप्टर से फूल मंगवाए गए। मंदिर कमेटी व प्रशासन ने मेले के दौरान बाबा के दर्शन के लिए 9 जिगजैग बनाए थे। चारण मैदान, लखदातार मैदान में बने जिगजैग से होकर भक्त मंदिर तक पहुंचे। जगह-जगह भंडारे, मेडिकल कैंप और पैर दर्द होने पर मसाज करने का भी इंतजाम किया गया।

कई किमी पैदल और पेट के बल लेटकर आए भक्त
मेले में कई विदेशी भक्त भी नजर आए। रूस से आया भक्त मोलिक रींगस से खाटू तक पैदल निशान लेकर आया। इसके अलावा कई राज्यों से भक्त पैदल और पेट के बल लेटकर आए। एक पांच साल का बच्चा धूप में भी लेटकर बाबा के दर पर पहुंचा।

रींगस से तोरण द्वार तक भक्तों का रैला
मेले के चलते रींगस में खाटू मोड से खाटू कस्बे तक वनवे किया गया। ऐसे में पूरी सड़क श्रद्धालुओं से भरी हुई नजर आई। बड़ों के साथ बच्चे भी एक-दूसरे को गुलाल लगाकर पदयात्रा करते हुए आए। हरियाणा के युवा श्रद्धालु नौकरी की अरदास के लिए टोकरी में बाबा देगा नौकरी के जयकारे लगाते हुए आए थे।

बच्चों का अलग रहा उत्साह
मेले में बड़ों के साथ बच्चे भी बड़ी संख्या में बाबा के दर्शन करने पहुंचे। बच्चों उत्साह भी देखते ही बनता था। यूपी के अलीगढ़ का रहने वाला पांच साल का अभिमन्यु रींगस से खाटू तक पेट पलायन करके बाबा के दर्शन करने पहुंचा। बच्चे की मां नंदिनी ने बताया कि वह पहली बार खाटूधाम आए है। रींगस आने के बाद बाकी भक्तों को देखकर बेटे ने भी पेट पलायन करने की जिद्द की। उसकी भक्ति की आगे कुछ नहीं कहा और वह पेट के बल बाबा के दर की ओर जाने लगा। कई बच्चे ऐसे थे तो झूमते-नाचते और गुलाल खेलते हुए अपनी मस्ती में मंदिर पहुंचे।

भक्तों में बबा की दीवानगी
सीकर से खाटू मार्ग तक भक्त हाथों में निशान लेकर नजर आते थे। भक्तों की आस्था का आलम ये रहा कि, कोई पालकी में तो कोई टोकरी में लड्‌डू गोपाल को अपने साथ लेकर आया। पैदल यात्रियों के जत्थे के अलावा पेट पलायन करते हुए श्रद्धालु आए। भक्तों का कहना था कि बाबा ने उनकी हर मुराद को पूरा किया है।

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