– प्रधानमंत्री ने वाराणसी में किया स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन
– बोले- महायज्ञ की हर एक आहुति से और सशक्त होगा विकसित भारत का संकल्प
– आह्वान- आजादी के अमृतकाल में महर्षि सदाफल देव के संकल्पों को आगे बढ़ाना उनके हर अनुयायी का दायित्व
– बोले- बनारस की झलक दिखा देती है देश में विकास की रफ्तार
वाराणसी, 18 दिसंबरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी में बीता हर क्षण अपने आप में अद्भुत अनुभूतियों से भरा होता है। दो वर्ष पहले अखिल भारतीय विहंगम योग संस्थान के वार्षिकोत्सव में एकत्र हुए थे और एक बार फिर शताब्दी समारोह के ऐतिहासिक कार्यक्रम में आने का अवसर मिला। महर्षि सदाफल देव जी ने पिछली सदी में ज्ञान व योग की दिव्य ज्योति प्रज्ज्वलित की थी। इन सौ वर्षों की यात्रा में इस ज्योति ने देश-दुनिया के लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को परिवर्तित किया है। इस पुण्य अवसर पर 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। इस महायज्ञ की हर एक आहुति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा। यह मंदिर अध्यात्म, इतिहास व संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।
सरकार, समाज व संत गण मिलकर काशी के कायाकल्प का कर रहे कार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे के दूसरे दिन स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी वासियों को परिवारजनों कहकर अपना जुड़ाव स्थापित किया। पीएम ने कहा कि संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास व नवनिर्माण के नए कीर्तिमान गढ़े हैं। सरकार, समाज और संत गण मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं। आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है। यह महामंदिर महर्षि सदाफल देव जी की शिक्षाओं, उपदेशों का प्रतीक है। इस मंदिर की दिव्यता जितनी आकर्षित करती है, इसकी भव्यता उतना ही अचंभित भी करती है।
भारत ने प्रगति के प्रतिमान गढ़े हैं और समृद्धि के सोपान तय किए हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ऐसा राष्ट्र है, जो सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि व भौतिक विकास का उदाहरण रहा है। हमने प्रगति के प्रतिमान गढ़े हैं और समृद्धि के सोपान तय किए हैं। हमने काशी जैसे जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों का आशीर्वाद लिया। कोणार्क जैसे मंदिर बनाए। सारनाथ व गया में प्रेरणादायी स्तूपों का निर्माण किया। तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।
गुलामी के कालखंड में अत्याचारियों ने हमारे प्रतीकों को निशाना बनाया
पीएम ने कहा कि गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया। उन्होंने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को ही निशाना बनाया। आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों को हम पहचान देते तो देश के भीतर एकजुटता व आत्मसम्मान का भाव मजबूत होता, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हुआ नहीं। आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण तक का विरोध किया गया। यह सोच दशकों तक देश पर हावी रही। इसका नतीजा हुआ कि देश हीनभावना के गर्त में चला गया। विरासत पर गर्व करना भूल गया, लेकिन आजादी के सात दशक बाद समय का चक्र एक बार फिर घूमा।
भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता
पीएम ने कहा कि आज तीर्थों का विकास भी हो रहा है और भारत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में नए रिकॉर्ड भी बना रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है। महाकाल का महालोक अमरता का प्रमाण दे रहा है। केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बुद्ध सर्किट का विकास कर भारत दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर फिर आमंत्रित कर रहा है। अगले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा होने जा रहा है।
बनारस की झलक दिखा देती है देश में विकास की रफ्तार
पीएम ने कहा कि देश में विकास की रफ्तार क्या है, इसकी झलक अकेला बनारस ही दिखा देता है। काशी विश्वनाथ परिसर धाम के निर्माण को पिछले सप्ताह दो वर्ष पूरे हुए। इसके बाद से बनारस में रोजगार, व्यापार व कारोबार नई तेजी पकड़ चुका है। पहले एयरपोर्ट पर पहुंचते ही चिंता होती थी कि शहर तक कैसे पहुंचेंगे। टूटी सड़कें और हर ओर अव्यवस्था यही बनारस की पहचान थी, लेकिन अब बनारस का मतलब है विकास, आस्था के साथ आधुनिक सुविधाएं। अब बनारस का मतलब है स्वच्छता और बदलाव। बनारस आज विकास के अद्वितीय पथ पर अग्रसर है। वाराणसी में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 9 साल में अद्वितीय कार्य हुआ।
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, आचार्य स्वतंत्र देव जी महराज, संत प्रवर विज्ञान देव जी महराज आदि मौजूद रहे।
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पीएम ने लोगों से किए नौ आग्रह
पहला आग्रहः पानी की बूंद- बूंद बचाइए, जल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक कीजिए।
दूसरा आग्रहः गांव-गांव जाकर लोगों को डिजिटल लेनदेन के प्रति जागरूक कीजिए व ऑनलाइन पेमेंट सिखाइए।
तीसरा आग्रहः अपने गांव-मोहल्ले-शहर को स्वच्छता में नंबर एक बनाने के लिए कार्य कीजिए।
चौथा आग्रहः स्थानीय उत्पादों को प्रमोट कीजिए। मेड इन इंडिया प्रोडक्ट का प्रयोग कीजिए।
पांचवां आग्रहः जितना हो सके, पहले अपने देश को देखिए। अपने देश में घूमिए। जब तक पूरा देश नहीं देख लेते, विदेशों में जाने का मन नहीं बनाना चाहिए। धन्नासेठों से भी कहता हूं कि विदेशों में जाकर शादी क्यों करते हैं। भारत में शादी करो।
छठवां आग्रहः प्राकृतिक खेती के प्रति अधिक से अधिक किसानों को जागरूक करते रहिए।
सातवां आग्रहः मिलेट्स (श्रीअन्न) को रोजमर्रा के खाने में शामिल कीजिए।
आठवां आग्रहः फिटनेस (योग, खेल) को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाइए।
नौवां आग्रहः कम से कम एक गरीब परिवार का संबल बनिए। भारत में गरीबी दूर करने के लिए यह जरूरी है।
पीएम ने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा चल रही है। इस यात्रा के प्रति जागरूकता फैलाने का दायित्व आप सभी का है। यह सभी हमारे व्यक्तिगत संकल्प बनने चाहिए।