डॉन खान मुबारक : जिसके नाम से थर्राता था, अंबेडकरनगर वो गुमनाम मौत मर गया

अंडरवर्ल्ड तक रखता था अपनी पैठ 

बड़ा भाई जफर सुपारी छोटा राजन का खास गुर्गा 

लखनऊ। डॉन खान मुबारक ने कभी कंधे पर बंदूक रखकर फोटो नहीं खिचाई। वजह, वो सिर पर बोतल रखकर निशाना लगाता था। यह तो खान का एक छोटा सा कारनामा है। इसके खौफ से जिला अंबेडकरनगर इस कदर थर्राता था । कि वहां की मांएं अपने बच्चों को यह कहकर सुला देती थी। कि सो जाओं वरना खान मुबारक आ जाएंगा। इस बेरहम दिल खान मुबारक के ऊपर चालीस से अधिक सनसनीखेज मामले दर्ज थे। लेकिन उसकी चौखट को पुलिस वाले चूमा करते थे, वो डान गुमनामी की मौत मर गया । अंबेडकर नगर के थाना हसवर गांव हरसम्हार में पैदा हुआ। उसकी जिंदगी आम बच्चों की तरह गुजरी जब होश संभाला तो स्कूल गया और घीरे-घीरे पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चौखट पर पहुंचा लेकिन एक दिन उसके हाथों ऐसी घटना सामने आई जिसके बाद मानों सब कुछ बदल गया। कहते कि एक बार यूनिवर्सिटी में क्रिकेट मैच हो रहा था। और खान मुबारक हाथों में बैंट लिए खड़ा हुआ था। तभी वो रन लेने के लिए दौड़ा तो अंपायर ने उसे आउट का इशारा कर दिया। फिर क्या उसने असलहा निकाला और अंपायर को गोली मार दी। 

जानकार बताते कि खान मुबारक का इस घटना में उसका बेरहम दिल नही बल्कि उसके भाई जफर मुबारक उर्फ जफर सुपारी जिसे अंडरवर्ल्ड की दुनिया का डॉन कहां जाता था। 16 अक्टूबर साल 2006 को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के शूटर अमजद खान और हिमांशु को देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई के काला घोड़ा इलाके पास पुलिस गाड़ी में बैठाकर कोर्ट ले जा रही थी। अत्याधुनिक असलहों लैंस खान मुबारक बच्चा पासी और उसके साथियों ने पुलिस गाड़ी पर इतनी गोलियां चलाई कि जब तक अंदर बैठे कैदियों के बदन ठंडे नहीं पड़ गए। इस घटना से पुरे देश में सनसनी फैल गई थी। जिसके पहली बार अंडरवर्ल्ड के तार उत्तर प्रदेश से जुड़े थे। और सामने आया कि छोटा राजन के कहने पर जफर सुपारी ने यूपी से शूटर बुलाकर हत्याकांड अन्जाम दिलाने के लिए भाई खान मुबारक और बच्चा पासी समेत अन्य शूटर से घटना को अन्जाम दिलवाया था। 

जिसके बाद इस बेरहम का नाम लूट,डकैती,हत्या, रंगदारी जैसी कई घटनाओं में सामने आया और इसका खौफ अंबेडकरनगर जिले के लिए अभिशाप बन गया । जिस व्यापारी को फोन कर देता उसे अपने सामने मौत नजर आने लगती थी।2007 में कैश वैन लूट कांड मामले में पांच साल सलाखें गिनता रहा। पर सबूतो  का न मिला और दोबारा 2012 में खुली हवा लौट आया। और ईट भट्टा मालिकों से रंगदारी वसूलने लगा ऐनुद्दीन भट्टा मालिक ने उसे रंगदारी देने से मना कर दिया तो खान ने उसे हमेशा के लिए खामोश करा दिया। 2017 में जिले में एक नाम तेजी से राजनीति में उभर रहा था। जिसें खामोश करने के लिए खान मुबारक ने उस पर जानलेवा हमला करवाया लेकिन वो बच निकला। मगर इस बेरहम ने साल 2018 में जुरगाम मेहंदी पर हमला करवाया जिसमें ड्राइवर शुभनीत और जुरगाम हमेशा के लिए खामोश हो गए। जिसका इल्जाम जफर सुपारी और खान मुबारक पर लगा । अंबेडकरनगर में खौफ का यह आलम था। कि व्यापारियों उठाकर फिल्मी स्टाइल में बोतल रखकर निशाना लगाता था। खान मुबारक अयोध्या जेल में रहते हुए वहां से वीडियो जारी कर धमकियां देता था । लेकिन अंडरवर्ल्ड तक अपने रिश्ते रखने वाला खान मुबारक हरदोई जेल में गुमनाम मौत मर गया । 

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें