गोरखपुर, (हि.स.)। गंगा के प्रवाह का अधिकतम हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है। निर्मल एवं अविरल गंगा के जरिये गंगा जल की ये खूबियां बनीं रहें, इसकी सर्वाधिक जवाबदेही उत्तर प्रदेश सरकार की है। नदी संस्कृति के मुखर पैरोकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से इसके लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर गंगा के चंगा होने की चर्चा है।
”धर्म” और ”अर्थगंगा” की कल्पना साकार कर रही योगी सरकार
हर संभव मौके पर योगी गंगा के धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व की चर्चा जरूर करते हैं। मसलन 30 दिसंबर 2022 को कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में उन्होंने कहा था कि वह गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार एवं सस्ते परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार ने वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा की। यह गंगा को अर्थगंगा से जोड़ने का प्रयास ही है।
गंगा के तटवर्ती जिलों में जैविक खेती पर जोर
गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक व प्राकृतिक गंगा तथा गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की प्रतिबद्धता दुहराई गयी और वर्ष 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार कही।
निर्मल-अविरल गंगा को जन आंदोलन बनाने को गंगा यात्रा
निर्मल एवं अविरल गंगा की मुहिम एक जन आंदोलन बने, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर गंगा यात्रा भी निकाली जा चुकी है। यह यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत दोनों को समझा जा सकता है। यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की थी तो बिजनौर (उत्तर प्रदेश में गंगा का प्रवेश द्वार) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी साझीदार बने। इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जिन योजनाओं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी, अब उन पर तेजी से अमल हो रहा है। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों को होगा। उनको सर्वाधिक, जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती रही।
ज्ञातव्य हो कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है। इसका धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हमारे धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में गंगा के महात्म्य का खूब जिक्र किया गया है। इसे नदियों में श्रेष्ठ के साथ मोक्षदायिनी, पतितपावनी भी कहा गया है। गंगा का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हाल ही में जर्मनी में हुए एक शोध में पता चला कि गंगाजल स्नायु एवं जल जनित रोगों का नाशक है। कुछ समय पहले देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा एवं शोध संस्था आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) नई दिल्ली के एक शोध में भी गंगाजल की खूबियों का जिक्र किया गया। लगभग छह महीने पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में नमामि गंगे परियोजना की सराहना हुई थी। स्वाभाविक है कि इस तरह की सराहना का सर्वाधिक श्रेय योगी आदित्यनाथ सरकार को ही जाता है।
यह भी जानें
आचार्य पंडित सरोजकांत मिश्र के मुताबिक ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 09 जून को प्रातःकाल 08 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जून को सायंकाल 07 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। 10 जून को उदया तिथि प्राप्त हो रही है। गंगा दशहरा 10 जून को मनाई जाएगी।
– ”गंगा के चंगा” होने की चर्चा में योगी सरकार की भूमिका
गोरखपुर, (हि.स.)। गंगा के प्रवाह का अधिकतम हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है। निर्मल एवं अविरल गंगा के जरिये गंगा जल की ये खूबियां बनीं रहें, इसकी सर्वाधिक जवाबदेही उत्तर प्रदेश सरकार की है। नदी संस्कृति के मुखर पैरोकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से इसके लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर गंगा के चंगा होने की चर्चा है।
”धर्म” और ”अर्थगंगा” की कल्पना साकार कर रही योगी सरकार
हर संभव मौके पर योगी गंगा के धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व की चर्चा जरूर करते हैं। मसलन 30 दिसंबर 2022 को कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में उन्होंने कहा था कि वह गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के साथ अर्थ गंगा की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले उत्पादों को व्यापक बाजार एवं सस्ते परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार ने वाराणसी से बलिया तक 15 जेटी (छोटे बंदरगाह) बनाने की घोषणा की। यह गंगा को अर्थगंगा से जोड़ने का प्रयास ही है।
गंगा के तटवर्ती जिलों में जैविक खेती पर जोर
गंगा को रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से मुक्ति दिलाने के लिए तटवर्ती गावों के सभी जिलों में जैविक व प्राकृतिक गंगा तथा गंगा वन के पीछे भी यही मकसद है। अनुपूरक बजट में भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की प्रतिबद्धता दुहराई गयी और वर्ष 2025 तक एसटीपी के सभी कार्यों को पूरा करने की बात सरकार कही।
निर्मल-अविरल गंगा को जन आंदोलन बनाने को गंगा यात्रा
निर्मल एवं अविरल गंगा की मुहिम एक जन आंदोलन बने, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर गंगा यात्रा भी निकाली जा चुकी है। यह यात्रा और योगी के लिए गंगा की अहमियत दोनों को समझा जा सकता है। यात्रा के एक छोर (बलिया) की शुरुआत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने की थी तो बिजनौर (उत्तर प्रदेश में गंगा का प्रवेश द्वार) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। मुख्यमंत्री तो मीरजापुर, प्रयागराज और यात्रा के समापन के मौके पर कानपुर में भी साझीदार बने। इस यात्रा के पहले सरकार ने गंगा के तटवर्ती शहरों, कस्बों और गांवों के लिए जिन योजनाओं (गंगा मैदान, गंगा पार्क, औषधीय पौधों की खेती, गंगा नर्सरी, पौधरोपण, बहुउद्देशीय गंगा तालाब, जैविक खेती) की घोषणा की थी, अब उन पर तेजी से अमल हो रहा है। आस्था और अर्थ के इस संगम का लाभ गंगा की गोद में बसे करोड़ों लोगों को होगा। उनको सर्वाधिक, जिनकी आजीविका का साधन कभी गंगा ही हुआ करती रही।
ज्ञातव्य हो कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है। इसका धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हमारे धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में गंगा के महात्म्य का खूब जिक्र किया गया है। इसे नदियों में श्रेष्ठ के साथ मोक्षदायिनी, पतितपावनी भी कहा गया है। गंगा का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक एवं आर्थिक महत्व भी है। हाल ही में जर्मनी में हुए एक शोध में पता चला कि गंगाजल स्नायु एवं जल जनित रोगों का नाशक है। कुछ समय पहले देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा एवं शोध संस्था आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) नई दिल्ली के एक शोध में भी गंगाजल की खूबियों का जिक्र किया गया। लगभग छह महीने पहले कनाडा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से आयोजित जैव विविधता सम्मेलन में नमामि गंगे परियोजना की सराहना हुई थी। स्वाभाविक है कि इस तरह की सराहना का सर्वाधिक श्रेय योगी आदित्यनाथ सरकार को ही जाता है।
यह भी जानें
आचार्य पंडित सरोजकांत मिश्र के मुताबिक ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 09 जून को प्रातःकाल 08 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जून को सायंकाल 07 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। 10 जून को उदया तिथि प्राप्त हो रही है। गंगा दशहरा 10 जून को मनाई जाएगी।