लखनऊ ( हि.स़.)। हिन्दी महीने के पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया 23 अप्रैल को अक्षय तृतीय का पर्व मनाया जाएगा। इसको अखा तीज भी कहते है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन किए गए स्नान- दान, पुण्य, जप, तप का फल अक्षय हो जाता है, इसी कारण से इसे अक्षय तृतीया कहते हैं। यह त्योहार वसंत और ग्रीष्म ऋतु के संधि काल में मनाया जाता है।
भारतीय ज्योतिष अनुसंघान संस्थान के निदेशक आचार्य विनोद मिश्रा ने बताया कि 23 अप्रैल को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की उदया तिथि में पर्व मनाना श्रेष्ठ रहेगा। लखनपुरी के पुराने इलाके में प्रतिष्ठित श्रीकोनेश्वर महादेव मंदिर के आचार्य गुड्डू पंडित ने भी बताया कि अक्षय तृतीया 23 तारीख को मनाई जाएगी। हालांकि चिंता हरण पंचाग में 22 अप्रैल का अक्षय तृतीया का मुहूर्त बताया गया है।
सनातन धर्म मेें इसे बडा पुनीत माना गया है। कहा गया है कि इस दिन बिना विचार के भी कोई शुभ काम किए जा सकते है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन से सत्ययुग का आरम्भ हुआ था। इस दिन जल से भरे कलश, पंखे, खड़ाऊं, छाता, गौ आदि का दान करने का विधान बताया गया। ऐसा माना गया है कि नर-नारायण, परशुराम, हयग्रीव का अवतार भी हुआ था।