
अखिलेश दुबे पर आगमन की आफत टूटी, सिंडिकेट के खिलाफ एक और मुकदमा
वक्फ की जमीन कब्जाने के मामले में ग्वालटोली टोली में एफआईआर दर्ज
- अखिलेश दुबे समेत 8 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई
- एक इंस्पेक्टर के खिलाफ भी एफआईआर की चर्चा
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। आखिरकार साकेत दरबार के आका अखिलेश दुबे के खिलाफ आगमन गेस्ट हाउस की जमीन की आफत टूट पड़ी। कमिश्नरेट पुलिस नाम ग्वालटोली थाने में अवैध रूप से जमीन कब्जाने, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल करने की जुर्म में अखिलेश दुबे समेत आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखी है। इस मामले में राज कुमार शुक्ला, सर्वेश दुबे, सर्वेश दुबे की पुत्री सौम्या दुबे, जयप्रकाश दुबे, शिवांश उर्फ पप्पू को मुलजिम बनाया गया है। चर्चा है कि इसी मामले में शिकायत के आधार पर एक इंस्पेक्टर सभाजीत को भी आरोपी बनाया जा सकता है।
मृतक महिला की पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खेल
गौरतलब है कि सिविल लाइंस क्षेत्र में मुस्लिम परिवार की 135 वर्ष पुरानी जमीन को फर्जी दस्तावेज और मृतक महिला की पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खुर्द-बुर्द किया गया था। कागजात गवाही देते हैं कि वर्ष 1891 तक की जमीन के मालिक कानपुर के नवाब मंसूर अली होते थे, क्योंकि मंसूर अली की कोई औलाद नहीं थी इसलिए उन्होंने फरवरी 1891 में यह जमीन फखरुद्दीन हैदर को बेच दी थी। जमीन के नए मालिक फखरुद्दीन हैदर भी ला-औलाद थे, लिहाजा उन्होंने जमीन को वक्फ के हवाले करते हुए शेख फखरुद्दीन हैदर के नाम से ट्रस्ट बना दिया। इसके बाद वर्ष 1910 के आसपास जमीन के तत्काली के कर्ताधर्ता हलीम ने कुछ परिवारों को 90 साल की लीज पर यह जमीन सौंपी थी। लीज की अवधि वर्ष 2000 में खत्म हो चुकी है। इसी दरमियान लीज होल्डर मुन्नी देवी की वर्ष 2015 में मृत्यु होने के बावजूद फर्जीवाड़ा करने वालों ने 2016 में उनकी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाई और जमीन को सिंडिकेट के हवाले कर दिया गया। पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के जरिए जमीन बेचने वालों में राजकुमार शुक्ला, सर्वेश दुबे, सौम्या दुबे, जयप्रकाश दुबे तथा शिवांग के नाम सामने आए हैं।
जमीन हथियाने के बाद आफिस और गेस्ट हाउस
करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव हथियाने के बाद अखिलेश दुबे सिंडिकेट ने यहां कुछ ऑफिस बनाए तथा कुछ संस्थाओं को किराए पर जमीन मुहैया कराई। सिंडिकेट ने यहां पर आगमन के नाम से गेस्ट हाउस भी संचालित किया। इस प्रकार इस जमीन से अखिलेश दुबे का कुनबा लाखों रुपए महीने कमा रहा था।
मुर्दा की अर्टानी से हासिल किया कब्जा
दरअसल, अखिलेश दुबे ने सिविल लाइन में ग्रीनपार्क के करीब 150 करोड़ रुपये कीमत वाली बेशकीमती जमीन को अपनी मिल्कियत बनाने के लिए छोटे भाई सर्वेश दुबे के नाम से 26 फरवरी 2016 की तारीख में 29 वर्ष 11 माह की लीज के लिए कागजात तैयार कराए थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, चार हजार वर्गगज जमीन के लिए मूल पट्टाधारक मुन्नी देवी की पॉवर ऑफ अर्टानी के जरिए राजकुमार शुक्ला ने सम्पत्ति संख्या 13/388 का रजिस्टर्ड पट्टा दिनांक एक मार्च 2016 को सर्वेश दुबे पुत्र स्वर्गीय राम कृष्ण दुबे एवं मेसर्स केनरी ऐपेरलेस प्रा०लि० स्थित पंजीकृत कार्यालय 13/388 सिविल लाइन्स द्वारा निदेशक सर्वेश दुबे पुत्र राम कृष्ण दुबे के पक्ष में किया था। गौरतलब है कि, अव्वल मुन्नीदेवी की लीज अवधि वर्ष 2010 में समाप्त हो चुकी थी, इसके अतिरिक्त वर्ष 2015 में मुन्नीदेवी की मौत हो चुकी थी, जबकि उनके नाम पर वर्ष 2016 तथा वर्ष 2024 में दस्तावेज तैयार किये गये। कानूनन, किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी पॉवर ऑफ अर्टानी स्वतः शून्य घोषित हो जाती है।
प्रशासन की पड़ताल में खुली पोल
अधिवक्ता सौऱभ भदौरिया और आशीष शुक्ला ने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को भेजे शिकायती प्रार्थना पत्र में आरोप चस्पा किया है कि, अखिलेश दुबे एंड सिंडिकेट ने 18 मई 2001 को घोषित शत्रु सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त पर रोक के बावजूद साजिश और फर्जीवाड़ा के जरिए मुर्दा इंसान की पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए चार हजार वर्गगज जमीन कब्जाई है। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी, केडीए सचिव और एसीपी बाबूपुरवा की तीन सदस्यीय एसआईटी से जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में सिंडिकेट की पोल खुल गई। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट अंकित है कि, वक्फ सम्पत्ति संख्या 13/388 पर मूल पट्टेदार को वर्ष 2010 तक ही पट्टेदारी के अधिकार थे, लिहाजा उक्त अवधि के बाद मकान संख्या 13/388 पट्टेदारी के अधिकार हस्तांतरित करना मुमकिन नहीं है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी संपत्ति के पट्टाधारकों ने रकम मिलने के बाद जमीन पर सिकमी किराएदार बसा दिए थे। इन्हीं सिकमी किरायेदारों के जरिए फर्जी कागजात बनाकर जमीन को हथियाया गया है। ऐसे में सर्वेश दुबे के पक्ष में पट्टा विलेख निष्पादित करने वाले राजकुमार शुक्ला को उपर्युक्त संपत्ति के मालिकाना हक को स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं प्राप्त था।
गेस्ट हाउस बनाया, किराया बटोरा
आरोप है कि अखिलेश दुबे ने पॉश इलाके में करोड़ों की जमीन पर फर्जीवाड़ा से कब्जा करने के बाद गेस्टहाउस बनाने के साथ कई अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालित करना शुरू किया, जबकि बड़ा हिस्सा किराये पर देकर आमदनी बढ़ाई थी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही जमीन कब्जाने वाले सिंडिकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। पुलिस की एसआईटी जांच में अखिलेश दुबे सिंडिकेट के खिलाफ फिलहाल आठ शिकायतों के पुख्ता साक्ष्य मिले हैं। कयास है कि, अगले सप्ताह अखिलेश एंड सिंडिकेट के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज होंगी।