
पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के जरिए लिया। पाकिस्तानी आतंकियों के गढ़ में घुसकर उनकी कमर तोड़ दी गई। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल से जवाबी हमला किया। हालांकि, हमारे मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। इसमें भारतीय वायुसेना के भरोसेमंद साथी रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सफल ऑपरेशन के बाद अब वायुसेना नए सुरक्षा मिशन में जुट गई है। इसके लिए पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। इसका मकसद भारत के एयर डिफेंस को अमेरिका और इजराइल से भी बेहतर बनाना है।
हमारी एयरफोर्स के पास अभी अमेरिकी गोल्डन डोम और इजराइल के आयरन डोम जैसे सिस्टम हैं। हालांकि, इनको चीन और पाकिस्तान से से बचाव के लिए तैयार किया गया है। अब वायुसेना सबसे मॉडर्न और स्मार्ट एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ड्रोन पर फोकस कर रही है। एयरफोर्स के डिजाइन ब्यूरो ने एरियल सिस्टम का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इसमें स्वॉर्म एल्फा-एस ड्रोन और नॉन-रोटेटिंग AESA रडार बनाए जा रहे हैं। ये न केवल दुश्मन के हमलों को नाकाम करेंगे बल्कि उसे कंफ्यूज कर उसके सिस्टम को ही तबाह कर देंगे।
क्या होगी नए सिस्टम की खासियत?
आइये जानें भारतीय वायुसेना द्वारा तैयार किए जा रहा ड्रोन एल्फा-एस और रडार AESA कैसे काम करेगा? इनके पीछे कौन से तकनीति है जो दुश्मन को कंफ्यूज कर उसे मात देने में सक्षम है।
पहले स्वॉर्म एल्फा-एस ड्रोन की बात करते हैं।
स्वॉर्म एल्फा-एस ड्रोन स्वदेशी स्वार्म ड्रोन सिस्टम है। इसे AI से लैस कर तैयार किया जा रहा है। ये दुश्मन के एयर डिफेंस को भ्रमित कर उसे खत्म करेगा। इसे जमीन, आसमान दोनो से लॉन्च किया जा सकेगा। इसे इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के लिए पेलोड और चाफ सिस्टम के साथ तैयार किया जा रहा है। इस कारण ये ISR यानी इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉग्निशंस के साथ सटीक हमलों के लिए काम आएगा।
- इसकी रेंज 40 किमी होगी और ये 8 हजार फीट की ऊंचाई पर भी आसानी से उड़ सकेगा।
- एआई से लैस यह सिस्टम ड्रोन समूह के साथ काम करेगा। इससे दुश्मन का डिफेंस सिस्टम कंफ्यूज हो जाएगा।
- इसको एक बार में 500 किमी तक उड़ा सकेंगे।
- इसको 50 किलो के हथियार के साथ हेलीकॉप्टर से लॉन्च कर सकेंगे।
- ये वायुसेना के लिए 25 किमी तक सामान लाने-ले जाने के साथ ठिकानों की 24 घंटे निगरानी करेगा।
सबसे खास बात ये कि यह एमुलेटर की तरह काम करेगा। मतलब किसी अन्य सिस्टम की नकल कर सकेगा। इससे दुश्मन कंफ्यूज होकर बचाव में हमला करेगा तो एल्फा-एस भारतीय सेनाओं को उसकी क्षमता की सूचना देगा। जरूरत पड़ने पर ये ग्रुप में उड़ान भरेगा और 5 किमी की रेंज दुश्मन के ड्रोन को खत्म करने के साथ उन्हें कैप्चर भी कर पाएगा।
अब नॉन-रोटेटिंग AESA रडार पर आते हैं
इस नॉन-रोटेटिंग को AESA यानी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैनड ऐरी तकनीक से काम करेगा। इसे घुमाने की जरूरत नहीं होगा। यह स्थिर रहते हुए एक ही टाइम में कई टारगेट का पता लगा लेगा। 360 डिग्री कवर वाला स्थिर रडार सिस्टम होगा जो 200 दुश्मन ड्रोन को एक साथ डिटेक्ट कर सकेगा। इसकी सबसे खास बात ये कि ये जमीन से करीब 2 किलोमीटर ऊंचाई पर भी अपने टारगेट की पहचान करने के काबिल होगा।
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय सेना ने दुश्मन को तबाही के मुहाने पर पहुंचा दिया। इसमें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही कई स्वदेशी प्रणालियों के कारण भारत को खासी बढ़त मिली। इस कारण अब वायुसेना नॉन-रोटेटिंग AESA रडार और स्वॉर्म एल्फा-एस ड्रोन पर काम की जा रही है। इतना ही नहीं सेना स्टेल्थ कॉम्बैट ड्रोन, मीडियम एटीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी और स्मार्ट लॉइटरिंग म्यूनिशन पर भी काम हो रहा है।