अमेरिका के 12 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपए ठगे, सरगना गिरफ्तार; 22 खातों की मिली जानकारी

कानपुर के काकादेव में कॉल सेंटर खोलकर 12 हजार अमेरिकी नागरिकों से 10 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह के मास्टर माइंड जसराज को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। 14 जुलाई को क्राइम ब्रांच ने चार लोगों को गिरफ्तार कर फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया था, लेकिन जसराज फरार चल रहा था।

जसराज पेशे से फैशन डिजाइनर है। वह गिरफ्तारी के दौरान अपनी 60 लाख रुपए कीमत की लग्जरी कार पर सवार था। जांच में पता चला है कि वह दिल्ली में करोड़ों के फ्लैट में रहता है और अमेरिका, कनाडा समेत कई देशों में उसकी गर्लफ्रेंड हैं।

विदेशी लड़कियों से दोस्ती कर उनके खातों का करते थे इस्तेमाल
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि जसराज के पास से कई बैंकों के चेकबुक और एटीएम कार्ड मिले हैं। इन खातों में अपने हिस्से की मिली ठगी की रकम जमा की है। विदेश से अपने खाते में पैसा मंगाने के लिए विदेशी नागरिक टोड एल थॉमस के खाते में रकम मंगाई गई, लेकिन उसका खाता बंद कर दिया गया। इसके बाद जसराज ने रकम जमा करवाने के लिए कनाडा में रहने वाली महिला मित्र हर्ष बरार के खाते का इस्तेमाल किया।

22 खातों की मिली जानकारी तीन साथी फरार
जसराज बड़ा ही रंगीन मिजाज है। उसने भारत में राज सिंघानिया गोल्डी थापर आदि के नाम से आईडेंटिटी पत्र बनवाई थी। इन्हीं प्रपत्रों के जरिए उसने 22 खाते खुलवाए थे। जिनमें पैसों का ट्रांजैक्शन हुआ। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक इन सभी खातों को सीज कर दिया गया है। इनकी ट्रांजैक्शन हिस्ट्री निकलवाई जा रही है।

अमेरिका के नागरिकों को कंगाल करके लग्जरी लाइफ जीता था ठग

  • पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि वेस्ट दिल्ली के जनकपुरी का रहने वाला जसराज सिंह करोड़ों की कोठी में रहता है। गिरफ्तारी के दौरान उसके पास 60 लाख की लग्जरी कार मिली है। इस तरह की उसके पास आधा दर्जन कारें और फ्लैट हैं। जांच के दौरान सामने आया कि ठग गिरोह का सरगना और विदेशी पैसा भारत लाने का मास्टर माइंड जसराज ही है।
  • जसराज जेआरएस हाट कोचर नाम से कंपनी खोलकर डिजाइनर कपड़ों का विदेशों से व्यापार करता था, लेकिन इसकी आड़ में उसने साइबर ठगी के एक्सपर्ट मोहिंदर शर्मा के साथ ठगी का कॉल सेंटर शुरू किया था। फर्जी कॉल सेंटर के जरिए विदेश में सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस के नाम पर विदेशी लोगों के मोबाइल और कंप्यूटर से डाटा चोरी करके बैंक अकाउंट खाली कर देते थे।
  • विदेश से भारत पैसा मंगाने के लिए जसराज ने ही अमेरिकी नागरिक टॉडएल थॉमस के जरिए ऑनलाइन गेटवे का रुपए ट्रांसफर करने के लिए इंतजाम किया था। इसके बाद बैंक ऑफ अमेरिका के डेविट कार्ड के जरिए ठगी की रकम को निकालकर मोहिंदर शर्मा समेत अन्य साथी आपस में बांट लेते थे।

तीन साइबर हैकरों की तलाश में जुटी क्राइम ब्रांच
जसराज सब हैंडल करने का काम करता था, मगर इसके तीन फरार साथी सारा टेक्निकल काम करते थे। यह तीनों फर्जी वेबसाइट बनाने और फिशिंग करने में माहिर हैं। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक इन तीनों की तलाश की जा रही है।

फर्जी कॉल सेंटर से इस तरह करते थे ठगी

  • अंतरराष्ट्रीय काॅल सेंटर के द्वारा वह लोगों को बिल्कुल अनोखे अंदाज में फंसाते थे।
  • किसी भी साइट पर आने वाले विज्ञापन जैसे 10 दिन में मोटापा घटाएं, पेट कम करें, घुटनों को मजबूत करें, लंबाई बढ़ाएं, झड़ने वाले बालों को रोकें आदि को जैसे ही अमेरिका में बैठा कोई व्यक्ति क्लिक करता था। वैसे ही मालवेयर जो कि एक प्रकार का वायरस होता था उसके सिस्टम में आ जाता था।
  • एक बार मालवेयर सिस्टम में जाने के बाद बार-बार पापअप मैसेज स्क्रीन पर आता था। इसके साथ ही एक हेल्प लाइन नंबर जो कि इस काॅल सेंटर का होता था वह भी ब्लिंक करता था।
  • लोग टेक सपोर्ट के लिए जब इस पर फोन करते थे वह कुछ ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते थे। जैसे ही लोग कॉलर की बातों में आकर ऐप डाउन लोड करते थे वैसे ही उनका सारा डेटा यह हैक कर लेते थे।
  • मालवेयर हटाने और सर्विस देने के नाम पर काॅल सेंटर द्वारा प्लान बेचा जाता था। यह प्लान छह माह और साल भर का होता था।
  • जब कभी सर्विस सही नहीं मिलती थी तो पैसा वापस करने के नाम पर लोगों को ठगने का खेल शुरू होता था।
  • काॅल सेंटर पर आने वाली विदेशी काॅल को भी सॉफ्टवेयर से अलग-अलग समय पर अलग-अलग लोगों को ट्रांसफर कर दिया जाता था।

ले लेते थे रिमोट एक्सेस
डाटा हैक करने के बाद वह उनके एकाउंट आदि की डिटेल के HTML में जाकर कोडिंग चेंज कर देते थे। इसके बाद सर्विस देने के नाम पर फीस लेते थे। खेल इसके बाद शुरू होता था। लोगों के एकाउंट में जमा रकम को कई गुना बढ़ाकर दिखाते और फिर पैसे वापस करने के नाम पर बड़ा अमाउंट उनके एकांउट में डाल देते, जो कि बस कोडिंग चेंज होने के कारण दिखता था। हकीकत में एक रुपया भी नहीं जाता था।

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