-इनकम टैक्स विभाग भेज सकता है नोटिस
नई दिल्ली (ईएमएस)। कई बार हम आईटीआर फाइल करते टाइम कुछ चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं, जिस वजह से इनकम टैक्स विभाग नोटिस भेज देता है। आपको आईटीआर फाइल करते समय इन पांच बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आपने अपने बच्चों के नाम पर कहीं निवेश किया है, तब आपको आईटीआर फाइल करते टाइम इसकी जानकारी देनी होगी। वैसे तो बच्चे के नाम पर बैंक अकाउंट खुल जाता है, लेकिन इस अकाउंट में माता-पिता अभिभावक के तौर पर होते हैं। अगर आपने अपने बच्चे के नाम पर निवेश किया है और उस पर ब्याज मिल रहा है, तब ये आपकी इनकम के साथ जोड़ा जाएगा। इस वजह से माता-पिता को आईटीआर फाइल करते टाइम इसकी जानकारी देनी होती है।
बच्चे की इनकम को जोड़ने के बाद आप 1,500 रुपये तक का डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। अगर आप यो जानकारी नहीं देते हैं तो आपके बच्चे नाम नोटिस आ सकता है। आईटीआर दाखिल करते समय आपको अपने सभी निवेश का ब्यौरा देना होता है। अगर आपने पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश किया है, तो आपको इसकी जानकारी देनी होगी। पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है। रिटर्न में इसका ऑप्शन भी दिया होता है, जहां आपको पीपीएफ से जुड़ी जानकारी देनी होती है। आपको रिटर्न फाइल करते वक्त अपने सेविंग बैंक अकाउंट से मिलने वाले ब्याज की कमाई को भी दिखाना होता है।
कई लोगों को लगता है कि ये बहुत छोटी कमाई है, लेकिन आपको रिटर्न दाखिल करते हुए हर छोटी कमाई की जानकारी देनी होती है। आईटीआर फाइल करने के बाद आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTA के तहत सालाना 10,000 रुपये तक डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं।अगर आपने विदेशी निवेश किया है, जो डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स या फॉरेन फंड्स या हाउस प्रॉपर्टी के रूप में हो सकता है। इस तरह के किसी भी निवेश के बारे में आपको आईटीआर फाइल करते टाइम बताना होगा।अगर आप इस तरह की जानकारी नहीं दोते हैं तो आपके पास नोटिस आ सकता है। आपको अपने होल्डिंग्स से होने वाली कमाई को भी दिखाना होगा। सभी टैक्सपेयर्स को इस बारे में ध्यान देना चाहिए।
आपको अगर इंटरेस्ट से कमाई हो रही है तो आपको इसकी दानकारी देना बेहद जरूरी है। ब्याज से होने वाली कुल इनकम को एक्रूएड इंट्रेस्ट भी कहा जाता है। इस इनकम में आपको इंटरेस्ट मिलता है लेकिन आपको उसका लाभ एक समय के बाद ही मिलता है। ये कम्युलेटिव डिपॉजिटव या बॉन्ड से मिलने वाला इंटरेस्ट होता है। इस तरह के ब्याज का भुगतान सिर्फ मैच्योरिटी पर किया जाता है। इस तरह की इनकम पर टीडीएस भी लिया जा सकता है। इसलिए आपको इसकी जानकारी जरूरी देनी चाहिए।