आयुष्मान योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: रुड़की और हरिद्वार के दो निजी अस्पतालों की संबद्धता निलंबित, स्थायी कार्रवाई की चेतावनी

देहरादून।
उत्तराखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत किए जा रहे उपचारों में गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है। इसके चलते राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (SHA) ने बड़ा कदम उठाते हुए रुड़की स्थित क्वाड्रा हॉस्पिटल और हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल की योजना से संबद्धता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी है। दोनों संस्थानों को पांच दिनों के भीतर संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर दिया गया है। इस दौरान दोनों अस्पताल नए मरीजों को भर्ती नहीं कर सकेंगे, हालांकि पहले से भर्ती मरीजों का इलाज यथावत जारी रहेगा।

क्वाड्रा हॉस्पिटल में 90 प्रतिशत मरीज ICU में भर्ती दिखाए
SHA द्वारा कराए गए ऑडिट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच में पता चला कि क्वाड्रा हॉस्पिटल ने कुल 1800 उपचार मामलों में से 1619 मरीजों को ICU में भर्ती दिखाया। यानी 90 फीसदी सामान्य मरीजों को गहन चिकित्सा इकाई में दाखिल दिखाकर उच्च दर वाले पैकेज का लाभ लिया गया।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल ने एक निश्चित पैटर्न पर मरीजों को 3 से 6 दिन तक ICU में रखा और छुट्टी से ठीक पहले 1-2 दिन सामान्य वार्ड में स्थानांतरित किया गया, जिससे ICU पैकेज की औचित्यता बन सके। यही नहीं, मरीजों के दस्तावेजों में 102°F बुखार दर्शाया गया, जो डिस्चार्ज से पहले 98°F दिखाया गया।
सबसे बड़ी बात, मरीजों की फोटो में ICU जैसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आई—ना मॉनिटर चालू थे, ना IV लाइन। एक ही मोबाइल नंबर के साथ अलग-अलग पहचान पत्र और फॉर्म में एक जैसी लिखावट ने फर्जीवाड़े की पुष्टि कर दी।

मेट्रो हॉस्पिटल की जांच में भी गंभीर लापरवाही
हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल की जांच में भी कई गड़बड़ियां पाई गईं। हर मरीज को 3 से 18 दिनों तक ICU में भर्ती दर्शाया गया, जो सामान्य बीमारियों के मामले में असामान्य है।
जांच के दौरान अस्पताल ICU चार्ट, मरीजों की तस्वीरें और अन्य अनिवार्य दस्तावेज SHA को सौंपने में विफल रहा। अपलोड किए गए दस्तावेज भी धुंधले और पढ़ने में असमर्थ पाए गए। यह स्पष्ट हुआ कि अस्पताल ने सामान्य बीमारियों को गंभीर दिखाकर महंगे पैकेज का दुरुपयोग किया।

डीलिस्टिंग और दंड की चेतावनी
SHA ने चेतावनी दी है कि अगर निर्धारित समय में अस्पतालों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उनकी योजना से स्थायी डीलिस्टिंग की जाएगी। साथ ही वित्तीय दंड की कार्यवाही भी की जाएगी।
प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि आयुष्मान भारत योजना का दुरुपयोग किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और भविष्य में इस प्रकार की गतिविधियों पर निगरानी और कड़ी की जाएगी।

यह कार्रवाई राज्य में चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

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