
बिना NEET यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में एडमिशन का मामला जांच के लिए CBI को भेजा गया है। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने संस्तुति की है। इस मामले में कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं, प्रोफेसर डॉ. एस एन सिंह और उमाकांत यादव, प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय आयुर्वेद सेवाएं को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा डॉ. मोहम्मद वसीम, प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय और प्रो. विजय पुष्कर कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
आयुष कॉलेजों में एडमिशन में हेराफेरी होने की आशंका
यूपी ही नहीं, देश भर में आयुष आयुर्वेदिक कॉलेजों में एडमिशन को लेकर हेराफेरी होने की आशंका जताई जा रही है। सभी राज्यों में ठेका पद्धति पर काउंसिलिंग कराने की व्यवस्था से इसकी आशंका बढ़ गई है। प्रदेश के MBBS और BDS कॉलेजों में एडमिशन चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय के जरिए होता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग नोडल सेंटर बनाता है। NIC के जरिए सेंटर प्रभारी को पासवर्ड जारी किया जाता है। उसी पासवर्ड से सॉफ्टवेयर के जरिए मेरिट सूची तैयार होती है। फिर उसी मेरिट के आधार पर अलॉटमेंट लेटर जारी किया जाता है।
- अब आगे पढ़ते हैं कि आयुष कॉलेज में हुए घोटाले का पूरा मामला है क्या?
बीते 5 नवंबर को आयुष कॉलेजों में हुए फर्जी दाखिले में आयुर्वेद निदेशक ने काउंसिलिंग कराने वाली संस्था के समेत तीन के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज गया। पुलिस ने अपट्रान, निजी एजेंसी वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह तथा अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश, आईटीए एक्ट समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि नीट परीक्षा में शामिल हुए बगैर कई छात्रों के दाखिले आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथ कॉलेजों में कर दिए गए। विभाग ने 891 छात्रों के दाखिले को सदिग्ध करार दिया है। फर्जी दाखिलों की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है।आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथी कॉलेज में दाखिले नीट की मेरिट सूची के आधार पर हुए थे।
वर्ष 2021-22 में काउंसिलिंग के लिए आयुर्वेद निदेशालय ने बोर्ड का गठन किया था। आईटी सेल न होने के कारण बोर्ड की निगरानी में निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन प्रालि को काउंसिलिंग का ठेका दिया गया। इस एजेंसी को अपट्रान पावरट्रानिक्स लि. ने नामित किया था। एक फरवरी 2022 से शुरू हुई काउंसिलिंग प्रक्रिया 19 मई तक चार चरणों में पूरी की गई।
प्रदेश के राजकीय तथा निजी कॉलेजों में 7338 सीटों पर एडमिशन हुए। काउंसिलिंग से लेकर सत्यापन तक की जिम्मेदारी निजी एजेंसी की थी। दाखिलों के बाद सीट एलाटमेंट भी कर दिया गया। 1181 छात्रों के रिकॉर्ड नीट काउंसिलिंग की मेरिट सूची से नहीं मिले। इनमें से 22 छात्र ऐसे थे जो नीट में शामिल ही नहीं हुए थे। 1181 में से 927 को सीट आवंटन किया गया था। इनमें से 891 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश ले लिया है।
73 हजार 388 सीटों पर कुल एडमिशन हुए
आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी कॉलेज में एडमिशन NEET की मेरिट सूची के आधार पर हुए थे। वर्ष 2021-22 में काउंसिलिंग के लिए आयुर्वेद निदेशालय ने बोर्ड का गठन किया था। IT सेल न होने के कारण बोर्ड की निगरानी में निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को काउंसिलिंग का ठेका दिया गया। इस एजेंसी को अपट्रान पावरट्रानिक्स लिमिटेड ने नामित किया था। एक फरवरी 2022 से शुरू हुई काउंसिलिंग प्रक्रिया 19 मई तक चार चरणों में पूरी की गई। प्रदेश के राजकीय और निजी कॉलेजों में 73 हजार 388 सीटों पर एडमिशन हुए।
काउंसिलिंग से लेकर सत्यापन तक की जिम्मेदारी निजी एजेंसी की थी। दाखिलों के बाद सीट एलाटमेंट भी कर दिए गए और छात्रों ने एडमिशन भी ले लिए। इसके बाद कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को डॉक्युमेंट के सत्यापन कराने के आदेश दिए गए।
कॉलेजों ने सत्यापन कराना शुरू किया तो पता चला कि 1181 छात्रों के रिकॉर्ड NEET काउंसिलिंग की मेरिट सूची से नहीं मिले। इनमें से 22 छात्र ऐसे थे जो NEET में शामिल ही नहीं हुए थे। 1181 में से 927 को सीट आवंटन किया गया था। इनमें से 891 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश ले लिया है।
NEET के डाटा बेस और वेबसाइट में भी छेड़छाड़
आरोप है कि निजी एजेंसी ने NEET के डाटा बेस में ही नहीं बल्कि वेबसाइट में भी छेड़छाड़ की। DGME कार्यालय से मिले डाटा बेस और निजी एजेंसी के रिकॉर्ड में हेरफेर मिले हैं। जांच शुरू हुई तो निजी एजेंसी संचालक ने DGME कार्यालय से मिली हार्ड डिस्क की RDBD भी क्रप्ट कर दी।
पांच-पांच लाख रुपए में सीटें बेची
सूत्रों के मुताबिक यूपी के आयुष कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया महज दिखावा थी। NEET-UG मेरिट का भी कोई मतलब नहीं था। घोटालेबाजों ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी पाठ्यक्रमों की एक-एक सीट की सौदेबाजी की।
पांच-पांच लाख रुपए में सीटें बेच दीं। करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे काउंसिलिंग में हो गए। पात्र छात्रों के सपनों का सौदा कर एडमिशन के दलालों ने अयोग्य विद्यार्थियों को एडमिशन दिला दिया। इसमें निदेशालय के अफसर और काउंसिलिंग एजेंसी की भूमिका सवालों के घेरे में है।
राजकीय कॉलेजों में दाखिले की घूस दोगुनी
आयुष पाठ्यक्रमों की काउंसिलिंग का ठेका निजी एजेंसी को दिया गया। आयुर्वेद निदेशालय के अफसरों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। इसके बावजूद बड़े पैमाने पर एडमिशन में घोटाला हो गया। आठ राजकीय आयुर्वेद कॉलेजों में करीब 400 सीटें हैं। 68 निजी कॉलेजों में लगभग साढ़े चार हजार सीटें हैं। लगभग दो लाख रुपए सालाना फीस प्राइवेट कॉलेजों के लिए तय है। हॉस्टल की फीस इसमें शामिल नहीं है। जबकि सरकारी कॉलेजों में 14 हजार रुपए सालाना फीस है।
कई स्टूडेंट्स ने शिकायत कर आरोप लगाया कि राजकीय कॉलेजों में प्रवेश के नाम पर पांच-पांच लाख रुपए और निजी कॉलेजों में दाखिला दिलाने के लिए दलालों ने तीन से चार लाख रुपए तय कर रखे थे। होम्योपैथी के आठ सरकारी कॉलेजों में लगभग 800 सीटें हैं। दो प्राइवेट होम्योपैथिक कॉलेज हैं। इसी तरह यूनानी के सरकारी और प्राइवेट कॉलेज हैं। सरकारी कॉलेजों में दाखिले दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली गई। जबकि सरकारी में दो से तीन लाख रुपए वसूले गए।












