
धान की कटाई के साथ ही अधिकतर क्षेत्रों में आलू की बुवाई शुरू हो जाती है. मगर कई बार किसान मंहगा खाद बीज का उपयोग करते हैं, साथ ही मेहनत भी करते हैं, लेकिन फिर भी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त नहीं कर पाते हैं.
बता दें कि आलू की खेती की शुरूआत खेत की तैयारी से लेकर बीज के चयन से होती है, इसलिए किसानों को शुरू से ही इस पर ध्यान देना चाहिए. इसी कड़ी में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (Central Potato Research Institute/CPRI) के वैज्ञानिकों द्वारा आलू की एक नई किस्म विकसित की गई है. इस नई किस्म का नाम कुफरी संगम है, जो कि खाने में स्वादिष्ट है, साथ ही उत्पादन भी मिलता है.
आलू की नई कुफरी संगम किस्म
इस किस्म पर मेरठ के मोदीपुरम में लगभग 12 साल तक शोध का कार्य किया गया है. अखिल भारतीय स्तर पर इसका परीक्षण 14 केंद्रों पर मानकों पर खरा उतरा है. इसके बाद किसानों के लिए तैयार किया गया है. कृषि वैज्ञानिक की मानें, तो यह किस्म 100 दिनों में तैयार होने वाली है. इसके साथ ही उत्पादन के लिए भी अच्छी है
रोग प्रतिरोधी है किस्म
इस किस्म में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है. इसमें पछेता झुलसा बीमारी को सहन करने की क्षमता अधिक होती है. खास बात यह है कि किसानों को परीक्षण से उत्पादित बीज दिया जा रहा है. यह किस्म कुफरी चिप्सोना, कुफरी बहार, फ्राइसोना से अधिक उत्पादन देगी. यह किस्म देश के 8 राज्यों के लिए खास उपयोगी मानी गई है.
इसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ हरियाणा और पंजाब का नाम शामिल है. इसकी बुवाई उत्तरी मैदान में अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में कर सकते हैं. इसके अलावा केंद्रीय मैदान में अक्टूबर से नवंबर के पहले पखवाड़े तक कर सकते हैं.
खबर साभार : कृषि जागरण