
-ईडी ने हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में छह ठिकानों की ली थी तलाशी
शिमला । ईडी ने पिछले दिनों को हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में छह ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई इंपीरियल ग्रुप के चेयरमैन मानविंदर सिंह, उनकी पत्नी सागरी सिंह और ग्रुप की संबंधित कंपनियों और व्यक्तियों पर की गई थी। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत शुरू हुई इस जांच में अघोषित विदेशी संपत्तियों, निवेशों और वित्तीय हितों का जाल सामने आया है। ईडी ने खुफिया जानकारी के आधार पर मामला दर्ज किया था, जिसमें ग्रुप के विदेशी कारोबार की अनियमितताओं का शक था।
इंपीरियल ग्रुप एयरोस्पेस और रियल एस्टेट क्षेत्रों में सक्रिय कंपनियों का समूह है, जिसके चेयरमैन मानविंदर सिंह हैं। हिमाचल के नालदेहरा में स्थित लग्जरी आवासीय परियोजना और्मा वैली भी इसी ग्रुप का हिस्सा है। तलाशी में ईडी ने मानविंदर और सागरी सिंह के नाम पर विदेशी कंपनियों में अघोषित हितों के कई सबूत जब्त किए। इनमें सिंगापुर की एयरोस्टार वेंचर प्राइवेट लिमिटेड और दुबई की यूनाइटेड एयरोस्पेस डीडब्ल्यूसी एलएलसी प्रमुख हैं, जहां दोनों ही लाभकारी मालिक हैं। मानविंदर एकमात्र निदेशक हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुबई की कंपनी के जरिए करोड़ों के असुरक्षित ऋण दिए गए, जो भारतीय संस्थाओं को लौटाए जा रहे हैं। मई 2025 में इस कंपनी ने हांगकांग की एक बिना नाम की संस्था से 7 करोड़ रुपए का ऋण लेकर रॉबिन्सन 66 हेलीकॉप्टर खरीदा था, जिसे और्मा वैली के निवासियों के लिए भारत आयात किया गया था। लीज भुगतान दुबई कंपनी को ही लौटाया जा रहा है, जिससे अघोषित संपत्ति बढ़ रही है। 31 मार्च 2025 तक इस कंपनी के पास 38 करोड़ रुपए की संपत्ति थी।
इसके अलावा, थाईलैंड के कोह समुई में विला समायरा नामक विला की खरीद का खुलासा हुआ, जहां सिंह दंपति और परिवार लाभार्थी हैं। ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह की कंपनियों और सिंगापुर के बैंक खातों में भी अघोषित हित पाए गए। ईडी के मुताबिक इन विदेशी संपत्तियों, हितों व खातों का कुल मूल्य 80 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
और्मा वैली परिसर में तलाशी में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। समानांतर बहीखातों से पता चला है कि फ्लैटों की बिक्री का 29 करोड़ रुपए नकद वसूला गया। ईडी को शक है कि यह नकदी हवाला या अन्य तरीकों से विदेश भेजी जा रही है, जिसके बाद अघोषित संपत्तियां खरीदी जा रही हैं या राउंड ट्रिपिंग की जा रही है। यह प्रक्रिया इंपीरियल ग्रुप की रियल एस्टेट गतिविधियों से उत्पन्न धन को सफेद करने का जरिया लग रहा है।