हम इंसान हर रोज ना जाने कितने प्रकार के सामान का इस्तेमाल करते हैं, इनमे से प्लास्टिक भी एक ऐसा सामान होता हैं जिसका इस्तेमाल काफी मात्रा में किया जाता हैं. इस वजह से हर रोज पुराने प्लास्टिक और इससे जुड़े सामान के कचरे भी बढ़ते चले जाते हैं. अन्य मटेरियल तो किसी तरह वक़्त के साथ वातावरण में घुल जाता हैं लेकिन प्लास्टिक कई सालो तक वैसा कि वैसा ही रहता हैं.
ऊपर से हम इंसान इन प्लास्टिक और अन्य कचरों को सही से ठिकाने भी नहीं लगाते हैं. जहाँ मर्जी हो वहां इन्हें फेक देते हैं. बिना ये सोचे कि इससे इस प्रयावरण और उसमे रहने वाले प्राणियों को क्या नुकसान हो सकता हैं. इसी कड़ी में समुद्र में भी इन दिनों काफी कचरा देखा जाता हैं. समुद्र, नदियों में फेके गए इस कचरे का सबसे बड़ा नुकसान इसमें रह रहे जिव जंतुओं पर पड़ता हैं. ऐसे में कई बार आपके द्वारा फेके गए कचरे की वजह से इन जीव जंतुओं की जान पर बन आती हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमे इंसानों की गलती की वजह से एक कछुआ 19 सालो तक बेहिसाब दर्द सहता रहा.
जैसा कि आप तस्वीर में देख सकते हैं इस कछुए का आकार बाकी सभी कछुओं से थोड़ा अलग हैं. इस कछुए का बीच का हिस्सा दो भागो में बता हुआ हैं. इसकी वजह ये हैं कि इस कछुए की बॉडी में प्लास्टिक के बोतल की रबड़ रिंग करीब 19 सालो तक फसी रही थी. इस कारण कछुए के अंदरूनी हिस्से दो भागो में बंट गए. अब आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि आखिर कछुए की बॉडी में ये छोटी सी रिंग फसी कैसी होगी. दरअसल ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा हैं कि जब ये कछुआ छोटा था तो इंसानों के फेके कचरे की वजह से ये प्लास्टिक रोंग उसकी बॉडी में अटक गई होगी. उस दौरान बेशक इस कछुए ने इसे बॉडी से निकालने की कोशिश करी होगी लेकिन वो असफल रहा. फिर वक़्त बीतता गया और कछुआ बॉडी में फासी इस प्लास्टिक रिंग के साथ ही बड़ा होता चला गया. इस तरह जब कछुआ 19 साल का हुआ तब कुछ समुद्री वैज्ञानिको को ये दिखाई दिया.
समुद्री वैज्ञानिक इस कछुए को अपने साथ ले आए और उन्होंने इसकी बॉडी में फासी रिंग काट के अलग कर दी. लेकिन रिंग निकल जाने के बाद भी उसकी बॉडी वैसे ही बनी रही क्योंकि उसका विकास ही प्लास्टिक रिंग की वजह से ऐसा हुआ था. अब जरा सोचिए यदि हमारी ऊँगली में कोई अंगूठी भी फंस जाती हैं तो हमारी जान निकल जाती हैं और इस कछुए की पूरी बॉडी में ये रिंग 19 सालो तक यूं ही फंसी रही. इस बेचारे ने इसकी वजह से कितनी दर्द और तकलीफ सही होगी. फिलहाल ये कछुआ वैज्ञानिको की देख रेख में हैं और स्वस्थ हैं.
अब वक़्त आ गया हैं कि हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को समझे और अपने आसपास कचरे को यूं ही ना फेंके. क्योंकि पूरी दुनियां में इस तरह के और भी कई उदहारण देखने को मिलते हैं फिर वो समुद्र हो या जमीन. हमार एफेके कचरे की वजह से कई जानवर अपनी जान गवा बैठते हैं. इसलिए कचरे को प्रॉपर तरीके से कूड़ेदान में ही डाले.