आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां पर रहने के लिए कुछ शर्तें होती हैं. कुछ कानूनी जिम्मेदारियों होती हैं. जैसे भारत में रहने के लिए हर भारतीय के पास आधार नंबर होना ‘जरूरी’ है. वैसे ही विदेशियों के पास यहां रहने के लिए अपने मुल्क का पासपोर्ट और भारत से वीजा मिलना जरूरी है. परन्तु, अंटार्कटिका में एक बस्ती ऐसी भी है जहां लंबे समय के लिए रहना है तो अपनी अपेंडिक्स को ऑपरेशन कर के हटवाना जरूरी शर्त है.
अंटार्कटिका बहुत ही सर्द महाद्वीप है. यहां लोग कुछ महीनों के लिए ही रहते हैं. यदि, इस सर्द वीराने में भी इंसानों की कुछ बस्तियां आबाद हैं. ऐसी ही एक बस्ती विलास लास एस्ट्रेलास है. जो अंटार्कटिका का वो क्षेत्र है, जहां या तो रिसर्च के मकसद से वैज्ञानिक रहते हैं, या फिर चिली की वायु सेना और थल सेना के जवान रहते हैं. जहां अधिकांश सैनिक यहां आते-जाते रहते हैं, परन्तु बहुत से वैज्ञानिक और सैनिक यहां लंबे समय से रह रहे हैं. वो यहां अपना परिवार भी साथ ले आए हैं. विलास लास एस्ट्रेलास की आबादी मुश्किल से सौ लोगों की होगी.
दरअसल यहां किसी बड़े गांव या छोटे शहर जैसी सुविधाएं नहीं हैं. फिर भी जरूरत के अनुसार जनरल स्टोर, बैंक, स्कूल, छोटा-सा पोस्ट ऑफिस और अस्पताल बना दिए गए हैं. स्कूलों में बच्चों को बुनियादी तालीम तो मिल जाती है, परन्तु अस्पतालों में इलाज बहुत ही सतही मिलता है. अंटार्कटिका में एक बड़ा अस्पताल है, परन्तु वो विलास लास एस्ट्रेलास गांव से एक हजार किलोमीटर दूर है. रास्ते भर बर्फ के पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है. ये बड़ा अस्पताल भी शहर के किसी मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल जैसा नहीं है. बेस के अस्पताल में चंद ही डॉक्टर मौजूद हैं और वो भी माहिर सर्जन नहीं हैं. इसीलिए किसी भी तरह की इमरजेंसी से बचने के लिए लोगों को अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाना आवश्यक होता है.
वहीं, यहां के लोगों की जिंदगी जितनी अद्भुत है, उससे भी अधिक यह जगह अद्भुत है. अलग-अलग दिशाएं बताने वाले निशानों को देखकर ही अंदाजा हो जाता है कि ये जगह घनी आबादी से कितनी दूर है. मिसाल के लिए बीजिंग यहां से लगभग 17,501 किलोमीटर दूर है. जरूरत का सामान यहां सेना के विशाल हवाई जहाज अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के बनाए मालवाहक विमान सी-130 हर्क्यूलिस से लाया जाता है. आसपास के क्षेत्र में चलने के लिए 4WD ट्रक और राफ्टिंग बोट की आवश्यकता पड़ती है.