पिछले कुछ सालो में हमने कई ऐसी घटनाएं देखी और सुनी हैं जिसमे लोगो की इंसानियत बिलकुल मर चुकी हैं. आज के जमाने में अधिकतर लोग अपने काम से काम रखते हैं. यहाँ तक कि जब सड़क पर छेड़छाड़, मारपीट या मर्डर भी हो रहा होता हैं तो कोई मदद को आगे नहीं आता हैं. इंसान सड़क पर तड़पता रहता हैं और लोग उसकी मदद की बजाए पास से होकर गुजर जाते हैं. लोगो की इस असंवेदनशीलता को देख ऐसा लग रहा था मानो अब दुनियां में इंसानियत नाम की चीज बची ही नहीं हैं.
लेकिन जहाँ बुराई होती हैं वहीँ अच्छाई भी होती हैं. ऐसी ही एक अच्छाई मुंबई के रहने वाले बहादुर स्टूडेंट श्रवण तिवारी ने दिखाई. श्रवण रेल ट्रैक पर घायल पड़े एक युवक की जान बचाने के लिए अपनी जान पर खेल गया और मुंबई की लोकल ट्रेन को रोक दिया. आइए विस्तार से जाने क्या हैं पूरा मामला…
श्रवण प्रेम तिवारी (26) मुंबई के चर्नी रोड स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 4 पर ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रहा था. इसी बीच इसकी नज़र रेल्वे ट्रैक पर लेटे एक व्यक्ति पर गई. ये देख श्रवण तुरंत रेल्वे ट्रैक की ओर भागा. यहाँ उसने देखा कि एक आदमी बेहोशी की हालत में रेल की पटरी पर पड़ा हैं. इस आदमी के सर पर चोट लगी हैं और खून भी निकल रहा हैं. पहले तो श्रवन को लगा कि आदमी मर चुका हैं. लेकिन जब पास जाकर उसने व्यक्ति की नाक पर ऊँगली रखी तो उसकी साँसे चल रही थी. जब श्रवण को पता चला कि आदमी जिंदा हैं तो वो बस किसी भी तरह से उसकी मदद करना चाहता था.
इसके पहले की श्रवन व्यक्ति की मदद करता उसने देखा कि एक ट्रेन दूर से इसी रेल्वे ट्रैक पर आ रही हैं जहाँ ये घायल आदमी बेहोश पड़ा हैं. ट्रेन से आदमी का कचूमर ना बन जाए इसलिए श्रवण बहादुरी दिखा कर आगे गया और जोर जोर से हाथ हिला कर और चिल्ला कर ट्रेन को रुकने का संकेत देने लगा. ट्रेन स्टेशन से निकल चुकी थी और नजदीक आ रही थी लेकिन श्रवन अपनी जगह से नहीं हटा और ट्रेन को रोकने का प्रयास करता रहा. आखिर ट्रेन के ड्राईवर ने श्रवण को पटरी पर खड़ा देख लिया और ट्रेन रोक दी.
इसके बाद श्रवन चिल्ला कर लोगो से घायल आदमी को पटरी से उठाने के लिए मदद मांगने लगा. कुछ लोग प्लेटफार्म से कूद श्रवन की मदद को आगे आए और फिर उन्होंने घायल आदमी को सैफी हॉस्पिटल पहुंचा दिया. घायल व्यक्ति की पहचान अश्विन सावंत के रूप में हुई हैं. फिलहाल उसकी हालत में काफी सुधार आ चुका हैं.
अस्पताल से श्रवन ने आश्विन के घर वालो को भी फोन कर एक्सीडेंट की सुचना दे दी थी. बाद में उसके घर वालो ने श्रवन को अश्विन की सुधरती हालत के बारे में बताया जिसे जान श्रवन को बहुत ख़ुशी हुई. श्रवन ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ‘मैं बस किसी भी तरह उस व्यक्ति की जान बचाना चाहता था.’ श्रवन ने साथ ही ये भी कहा कि इस घटना के वक़्त प्लेटफार्म पर मौजूद पुलिस वालो ने ढीला रवैया अपनाया और अश्विन को अस्पताल पहुचाने में देरी की. इस पर चर्च गेट के रेल्वे पुलिस ऑफिसर का कहना हैं कि इस तरह की घटना में घायल को सरकारी अस्पताल ले जाया जाता हैं जबकि वहां लोग उसे प्राइवेट अस्पताल ले जाना चाहते थे. इस वजह से देरी हुई थी.
खैर इस पूरी घटना से एक बात तो साफ़ हो गई कि श्रवन तिवारी जैसे नेक दिल लोगो की वजह से इंसानियत आज भी जिन्दा हैं. श्रवन की बहादुरी को हमारा सत सत नमन.